जीएसटी कार्यक्रम का विरोध व्यर्थ, जीएसटी पर सरकार का साथ दे
माना यह जा रहा था कि वस्तु एवं सेवाकर यानी जीएसटी देश में राजनीतिक आम सहमति का एक आदर्श उदाहरण बनेगा। दरअसल, इसको लेकर जो कानून बने, सामान्य कानूनों से लेकर संविधान संशोधन तक, उनमें विपक्ष की भूमिका सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले की रही। करों की दरों समेत जीएसटी के सभी प्रावधानों को जिस जीएसटी परिषद ने मंजूरी दी है, उसमें भी प्राय: सभी राजनीतिक दलों की भागीदारी है। मगर अब जबकि जीएसटी लागू होने में कुछ ही घंटे शेष रह गए हैं, तब उसका विरोध होने लगा है। गौरतलब है कि यह कर-प्रणाली कल एक जुलाई से जम्मू कश्मीर के अलावा पूरे देश में एक साथ लागू हो जाएगी। इसके लिए आज रात संसद के केंद्रीय कक्ष में भव्य समारोह होना है, जिसमें सरकार ने विपक्ष के नेताओं समेत देश के दूसरे क्षेत्रों की हस्तियों को भी आमंत्रित किया है। इस समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी शामिल होंगे। बहरहाल, यह सब तो जब होगा, सो होगा ही, पर जीएसटी के विरोध में गुरुवार को जो स्वर सुनाई दिया है, उसने आम सहमति पर पानी फेर दिया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो जीएसटी के लिए होने जा रहे कार्यक्रम का