हमारे लिए शर्मनाक है ठाणो की घटना



मुंबई से सटे ठाणो के उल्लासनगर में एक दुकान से खाने की चीज चोरी करने के आरोप में दुकानदार ने दो बच्चों की न सिर्फ पिटाई की, बल्कि उनके साथ बदसलूकी भी की। इस तरह के मामलों में बच्चों की पिटाई का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई जगहों पर चोरी के आरोप में बच्चों की पिटाई की जा चुकी है। बार-बार इस तरह के मामलों का सामने आना यह साबित करता है कि बच्चों के सामने आर्थिक संकट तो है ही, सामाजिक ढांचा भी अब छोटी से छोटी बात को सहन करने के लिए तैयार नहीं है। दूसरा, कानून अपने हाथ में लेकर मौके पर ही न्याय करने की बढ़ती प्रवृत्ति भी ऐसे मामलों को बढ़ावा दे रही है। यह तत्काल बंद होना चाहिए।

अगर घटना को देखें, तो उल्लास नगर में सिर्फ एक रुपए की चकली चोरी करने वाले आठ और नौ साल के दो बच्चों की दुकानदार ने पहले तो पिटाई की और बाद में कपड़े उतारकर आधे बाल काटने के बाद चप्पल की माला पहनाकर घुमाया। प्रेमनगर इलाके में रहने वाले दोनों बच्चे भूखे थे, इसलिए उन्होंने दुकानदार की इजाजत के बिना एक रुपए में मिलने वाली दो चकली डिब्बे से निकालकर खा ली थी। दुकानदार महमूद पठान इतना नाराज हुआ कि उसने अपने दो बेटों इरफान और सलीम के साथ मिलकर दोनों बच्चों के साथ ऐसी हरकत की। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद एक बच्चे की मां ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इस घटना ने एक बार फिर बहस छेड़ दी है कि बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सामाजिक और सरकारी तंत्र क्यों विफल हो रहा है?
इस घटना में सरकारी से कहीं ज्यादा सामाजिक तंत्र की विफलता है। बच्चों ने जिस दुकान से चकली की चोरी की, उसके मालिक को ऐसा नहीं करना चाहिए था। माना कि बच्चों ने गलती की, मगर उन्हें सही रास्ते पर लाना भी तो हमारी ही जिम्मेदारी है। दुकानदार को चाहिए था कि वह गलती पर बच्चों को समझाता कि क्या सही है, क्या गलत। इस तरह से पिटाई किए जाने से बच्चों के सुधरने की गारंटी कोई नहीं ले सकता। एक रुपए की जिस चकली के लिए बच्चों की पिटाई की गई, वह कोई बड़ी रकम नहीं थी। इस गलती को समझाइश के साथ माफ भी किया जा सकता था। हालांकि, ऐसा हो नहीं सका। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी भी कम दोषी नहीं हैं। जिस समय बच्चों के साथ वह दुकानदार बर्बरता कर रहा था, लोग आगे आने के बजाए वीडियो बना रहे थे, ताकि सोशल मीडिया पर अपलोड कर ज्यादा से ज्यादा लाइक लिए जा सकें।
यह सही है कि इसी वीडियो के चलते ही दुकानदार पकड़ा जा सका है, मगर बच्चों को बचाना भी वहां मौजूद लोगों की जिम्मेदारी थी। मगर किसी ने ऐसा करने की जहमत नहीं उठाई। समाज में आज ऐसी प्रवृत्ति बढ़ने लगी है कि आरोपी को मौके पर ही सजा दी जाए। अब लोग पुलिस के पास जाने के बजाए आरोपी को बर्बर तरीके से सजा देने में यकीन करने लगे हैं। अभी 10 मई को ही बिहार के मुंगेर जिले में मुर्गा और गेहूं चोरी करने के आरोप में दो मासूम बच्चों को खंभे से बांधकर पीटा गया। यूपी के अमरोहा में चोरी के शक में एक छात्र की बेरहमी से पिटाई की गई। देश में भीड़तंत्र की निरंकुशता ही ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार मानी जा सकती है। एक आरोपी को बांध कर बुरी तरह से पीटा जाना सभ्य समाज के लिए कतई सही नहीं है। आरोपी को सजा देना कानून का काम है, लिहाजा उसे ही करने दिया जाए। उल्लासनगर की घटना सबसे ताजा मामला है। इसीलिए सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक पर चर्चा में है, लेकिन जैसे ही इस तरह की दूसरी घटना सामने आएगी कि हम इस बर्बरता को भूल जाएंगे। यह इस तरह के मामलों का समाधान नहीं है। बच्चों की इस तरह से पिटाई किए जाने से वे सुधरेंगे नहीं, बल्कि और भी बिगड़ सकते हैं।

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