किसानों को आधार से मिलेगा सहारा



देश में किसानों की हालत को लेकर समय-समय पर उठने वाले सख्त सवालों का जवाब देने के लिए केंद्र सरकार बड़ी योजना लाने वाली है। सरकार की मंशा के मुताबिक, अब किसानों को मिलने वाली सब्सिडी और प्राकृतिक आपदा के तहत मिलने वाली राशि को बिचौलिए हड़प नहीं पाएंगे। सरकार अब किसानों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करने जा रही है, जिससे सब्सिडी व सहायता राशि सीधे उनके खाते में जमा कराई जा सकेगी। कृषि मंत्रलय इस संबंध में अधिसूचना जारी कर चुका है। इसमें 31 मार्च-2018 तक देश के सभी किसानों के आधार कार्ड बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं। उम्मीद है कि इस प्रावधान के बाद किसानों के दिन सुधरेंगे। अब तक की जो स्थिति है, उसे देखें, तो सरकार की ओर से राज्यों को भेजी जाने वाली सब्सिडी-सहायता राशि किसानों तक पहुंचने में काफी समय लगता है। इसके अलावा बिचौलियों के फर्जीवाड़े के चलते किसानों को मदद नहीं मिल पाती है। बीज, खाद, कीटनाशक और सूक्ष्म सिंचाई योजना की सब्सिडी में बिचौलिए किसानों से कमाई करते हैं। वहीं, प्राकृतिक आपदा होने पर केंद्र व राज्य सरकार की ओर से मुहैया कराई जाने वाली सहायता राशि में भी बंदरबांट किया जाता है। कई योजनाओं में तो बड़े पैमाने पर किसानों को कमीशन देना पड़ता है। बड़े किसान छोटे काश्तकारों के नाम पर तमाम सब्सिडी झटक रहे हैं। इसके चलते कई बार किसान आर्थिक रूप से परेशान हो जाते हैं और उनकी हालत खराब हो जाती है। कर्ज आदि का बोझ उन पर पहले से होता है। ऐसे में सरकार की तरफ से मिलने वाली राशि भी जब उन तक पहुंचती है, तो वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान ही होती है। सरकार का तर्क सही है कि आधार कार्ड अनिवार्य होने से किसानों के साथ होने वाली धांधली पर पूर्ण रूप से अंकुश लगेगा। वहीं, सब्सिडी-सहायता राशि सीधे बैंक खाते में पहुंचने से किसानों को बिचौलियों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा। इससे निचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के साथ पारदर्शिता भी आएगी। योजनाएं और उनका लाभ किसानों तक जल्दी और सीधे पहुंच सकेगा। आधार कार्ड सेंटर ब्लॉक व तहसील स्तर पर हैं। किसानों का आधार बनाने में राज्य सरकारें और एजेंसियां भी मदद करेंगी। इसके अलावा केंद्र की एजेंसियां भी इस काम में मदद करेंगी। देश इस बात से वाकिफ है कि पिछले कुछ वर्षो से किसान बेहद परेशान हैं। खाद, बीज, कीटनाशक और डीजल की कीमतें बढ़ने से कृषि उत्पादों के लागत मूल्य में जिस औसत से वृद्धि हुई है, उसके अनुपात में फसलों के दाम नहीं मिल रहे हैं।

किसी भी फसल को बाजार में बेचे जाने के समय जिस तरह से बिचौलिए सक्रिय हो जाते हैं, वह किसी से छिपा नहीं है। कई बार किसानों को फसल का दाम इतना कम मिलता है कि वे अपने उत्पादों को सड़क पर ही फेंक आते हैं या फिर औने-पौने दाम पर बेच देते हैं। इससे किसानों को फसल की लागत तक नहीं मिल पाती। किसान फसल से पहले कर्ज इस आस में लेते हैं कि अच्छी पैदावार होने पर उन्हें जो मुनाफा होगा, उससे वे कर्ज की भरपाई कर देंगे। मगर जब वे बाजारों में जाते हैं, तो बिचौलियों के आगे उनकी एक नहीं चलती। यही स्थिति फसल खराब होने के समय भी रहती है। मुआवजा पाने किसानों को पहले रिश्वत देनी पड़ती है। कई बार तो किसान अफसरों या बिचौलियों को पैसा न दे पाने के चलते मुआवजा पाने से रह जाते हैं। इससे न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती है, बल्कि कई बार वे आत्महत्या तक करने को मजबूर हो जाते हैं।
किसानों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। उनकी हालत सुधारने के लिए ही सरकार ने आधार को अनिवार्य करने का फैसला किया है। इस फैसले के दो फायदे होंगे, पहला-किसानों को अपनी रकम के लिए घूस नहीं देनी पड़ेगी और दूसरा भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा।

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