अपनी साख बचाए सोशल मीडिया
पाकिस्तान हमेशा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के बड़े-बड़े दावे करता रहा है। लेकिन सच तो यह है कि उसने कभी उसको खत्म करने में रुचि नहीं ली है। इसीलिए आज भी बड़ी संख्या में प्रतिबंधित आतंकी संगठन सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और पाकिस्तान के अंदर खुलेआम अपनी आतंकी विचारधारा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। पाकिस्तानी समाचार पत्र ‘डान’ में खुलासा किया गया है कि वहां प्रतिबंधित 64 आतंकवादी संगठनों में से 41 दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्क साइट्स फेसबुक का इस्तेमाल समूह में व व्यक्तिगत तौर पर खुलेआम कर रहे हैं। गौरतलब यह है कि ‘डान’ द्वारा पिछले महीने हर तरह के प्रतिबंधित आतंकी संगठनों, जिनमें शिया व सुन्नी संगठन, पाकिस्तान में सक्रिय अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन, बलूचिस्तान व सिंध में सक्रिय अलगाववादियों की जांच-पड़ताल कराई गई थी। उसी में इन आतंकी संगठनों के सोशल मीडिया पर सक्रिय होने के बारे में पता चला है।
अखबार ने बताया है कि आतंकवादी सामग्रियों के प्रसार में फेसबुक पर मौजूद सबसे बड़ा संगठन अहले सुन्नत वल जमात (एएसडब्ल्यूजे) है, जिसके दो सौ पेज और समूह हैं। इसके बाद जिये सिंध मुत्ताहिदा महाज (जेएसएमएम) है, जिसके 160 पेज हैं। सिपह-ए-सहाबा (एसएएस) के 148 पेज हैं व बलूचिस्तान स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन आजाद (बीएसओ-ए) के 54 पेज हैं, तो फेसबुक पर ही सिपह-ए-मोहम्मद के 45 पेज हैं। इस वेबसाइट पर मौजूद अन्य प्रतिबंधित आतंकी संगठनों में लश्कर-ए-झांगवी (एलईजे), तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), तहरीक-ए-तालिबान स्वात, तहरीक-ए-निफज-ए-शरीयते-मोहम्मदी, जमात-उल-अहरार, 313 ब्रिगेड के अलावा कई शिया आतंकी संगठन और बलूचिस्तान के अलगाववादी संगठनों के अलावा तालिबान भी सक्रिय हैं। इन सभी प्रतिबंधित संगठनों के फेसबुक खातों को अलगाववादी व चरमपंथी विचारधाराओं का खुलेआम मिल रहा समर्थन बेहद चौंकाने वाला है। दूसरी ओर इनमें से कुछ फेसबुक अकाउंट, पेज व समूह ऐसे भी हैं, जो हथियारों के इस्तेमाल और उनके प्रशिक्षण की बात खुलकर कह रहे हैं। कुछ आतंकी गिरोहों के फेसबुक पेज एवं समूह तो बाकायदा संगठन के आधिकारिक अकाउंट के तौर पर हैं, वहीं अन्य फेसबुक अकाउंट इन संगठनों के सदस्यों एवं समर्थकों द्वारा संचालित हैं। बताने की जरूरत ही नहीं है कि जो आतंकी सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं, उनका मुख्य मकसद ज्यादा से ज्यादा युवाओं को गुमराह करके अपनी विचारधारा से जोड़ने का है। यह संगठन अंग्रेजी के बजाय उर्दू या फिर रोमन उर्दू में अपने फेसबुक पेजों और समूहों का संचालन कर रहे हैं, जिसका संकेत साफ है कि वे स्थानीय व एक समुदाय विशेष के युवाओं को ही स्वयं से जोड़ना चाहते हैं, ताकि दुनिया में चल रही आतंक की आंधी चलती रहे।
इनकी हरकतें चिंताजनक हैं, क्योंकि सोशल नेटवर्किग किसी देश की सीमाओं में बंधने वाली चीज नहीं है। उसका फैलाव पूरी दुनिया में है। हमारे देश के लगभग 2.5 करोड़ लोग तो महज एक क्लिक पर इन तक पहुंच सकते हैं। वैसे भी पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के निशाने पर जम्मू कश्मीर तो खैर है ही। ज्यादातर पेजों में कुछ समय पहले मारे गए आतंकियों का महिमामंडन, जेलों में बंद आतंकियों को छुड़वाने की मुहिम के साथ, जम्मू कश्मीर के खिलाफ अनेक पोस्टें हैं। वहीं, आतंकी संगठनों के आधिकारिक मीडिया प्रकोष्ठ हैं, उनमें राजनीतिक भाषण एवं वीडियो-ऑडियो शेयर किए गए हैं। यही फेसबुक पेज यह जानकारी भी देते हैं कि ब्लाग्स, वेबसाइट्स, ट्विटर आदि पर भी आतंकवादी विचारधारा का प्रसार करने वाली सामग्री कहां-कहां मौजूद है। बहरहाल, यह कहना गलत नहीं होगा कि सोशल मीडिया और साइट्स ने आज पूरी दुनिया को एक मंच पर लाकर सात समंदर पार की दूरी को भी खत्म कर दिया है। महज कुछ ही सेकंड में हमें घर बैठे रूस, जापान, अमेरिका में होने वाली हर घटना का पता चल जाता है। इस मंच पर एक दूसरे से जुड़ने का मौका मिलता है, जिससे हम हर देश की सभ्यता और संस्कृति से भली-भांति परिचित होते हैं, पर इसके दुरुपयोग ने माथे पर चिंता की लकीरें ला दी हैं।
पाकिस्तान तो प्रारंभ से ही आतंकियों के संरक्षक के तौर पर पूरे ही विश्व में कुख्यात है। ऐसे में सोशल मीडिया जिस तरह से आतंकी संगठनों का मददगार बन रहा है, वह हैरान करने वाला है। हाल ही में मैनचेस्टर हमला, काबुल ब्लास्ट और बगदाद हमला इसी के उदाहरण हैं कि आतंकवादी सोशल मीडिया के माध्यम से एक-दूसरे के संपर्क में थे। ऐसे में सोशल साइट्स को ही अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए कुछ सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि आतंकी इसकी मदद लेने से खौफ खाएं। सोशल वेबसाइटों के ज्यादातर सर्वर या तो अमेरिका में हैं या फिर यूरोपीय देशों में। अत: इन देशों की सरकारों को इन्हें नियंत्रण में लेना होगा। वे यह बात याद रखें कि अगर सोशल नेटवर्किग की मदद न मिली होती तो इस्लामिक स्टेट उतना खूंखार नहीं हो पाता, जितना हो गया।
Comments
Post a Comment