महिला अपराधों पर सरकार की सख्ती एकदम सही



सोशल मीडिया पर महिलाओं को निशाना बनाते हुए अश्लील संदेश या वीडियो पोस्ट करने जैसे साइबर अपराधों पर सरकार ने सख्ती का मूड बनाया है। सोशल मीडिया पर महिलाओं के खिलाफ जिस तरह से माहौल बना दिया जाता है, उसे देखते हुए इसे सही कदम कहा जा सकता है। किसी भी महिला को बदनाम करने के इरादे से किए जाने वाले इस तरह के कृत्य समाज में वैमनस्यता तो फैलाते ही हैं, उस महिला की निजी जिंदगी को भी बोझिल बना देते हैं। कई मौकों पर वह महिला ऐसे शरारती तत्वों का मुकाबला कर लेती है, तो कई मौकों पर उसके सामने जीवन का अंत करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं होता। वैवाहिक संबंध टूटने या प्रेम संबंध खत्म होने के बाद इस तरह के मामलों का सामने आना देखा गया है। ऐसे में अगर सरकार ने कानून में संशोधन कर महिलाओं के लिए सम्मान भरी जिंदगी जीने की राह आसान बनाने की कोशिश शुरू की है, तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए।

महिला और बाल विकास मंत्रालय ऑनलाइन सेक्शुअल अब्यूज और रिवेंज पोर्न को लेकर इंडियन पैनल कोड की मौजूदा व्यवस्थाओं और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के बीच के गैप को भरने का रास्ता तलाश रहा है। अब किसी शख्स की मर्जी के खिलाफ उसके सेक्शुअल कंटेंट वाले वीडियो या वैसी तस्वीरों को इंटरनेट पर डालने को रिवेंज पोर्न माना जाएगा। ऐसा अकसर होता है कि रिश्तों में खटास के बाद पार्टनर बदला लेने की नीयत से ऐसा करते हैं, जिससे पीड़ित को दोहरी पीड़ा झेलनी पड़ती है। पीड़ित को बदनामी मिलती है और यहां तक कि अपराधी के खिलाफ केस दर्ज कराने में भी कई मुश्किलों से लड़ना पड़ता है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले इस तरह के अपराध को रोकने के लिए कानून में बदलाव की आवश्यकता इसलिए पड़ी है, क्योंकि साइबर क्राइम जैसे मामलों से निपटने को लेकर मौजूदा कानूनों में कुछ कमियां हैं।
जैसे साइबर अपराध रोकने के लिए तंत्र नहीं है। माना कि भोपाल में कोई साइबर अपराध होता है, तो पीड़ित तत्काल रिपोर्ट दर्ज करा सकता है, यदि यही अपराध ग्रामीण अंचलों या कस्बों में होता है, तो उसे तत्काल सहायता नहीं मिल पाती। साइबर अपराध को रोकने के लिए न तो अलग से पुलिस है और न ही जानकार। ऐसे में किसी भी मामले की तह तक जाने में या तो विशेषज्ञों के आने का इंतजार करना पड़ता है या फिर मामला इस कदर उलझ जाता है कि पीड़ित न्याय की उम्मीद करना ही छोड़ देता है। इसी वजह से साइबर क्राइम करने वालों का हौसला बढ़ता है। महिला और बाल विकास मंत्रलय ने कानून में बदलाव की पहल करते हुए इन्हीं खामियों की बात कही है। निश्चित रूप से उसका ध्यान इस पर होगा। वैसे भी मंत्रलय जिस अपराध को रोकने की बात कर रहा है, वह इसके बिना संभव भी नहीं है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अगर सरकार ने साइबर कानून में बदलाव की बात कही है, तो इसका फायदा सिर्फ महिलाओं को नहीं, बल्कि हर उस नागरिक को मिलेगा, जिसके साथ गलत हुआ है।
महिलाओं को सम्मानपूर्वक जिंदगी जीने के लिए सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है, मगर उन्हें भी यह समझना चाहिए कि किसी भी पुरुष के साथ संबंध रखते समय वे ऐसी कोई भी तस्वीर अथवा वीडियो न बनने दें, जो भविष्य में उनके लिए दिक्कत खड़ी करे। वैसे, यह प्रवृत्ति सभी पुरुषों में नहीं होती, फिर भी किसी पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अपराधी किस्म के पुरुष इसी लालसा में लगे रहते हैं कि उनकी महिला मित्र उनके साथ ऐसी कोई तस्वीर उनके कैमरे अथवा मोबाइल में कैद करा ले, जिससे वे भविष्य में कभी भी ब्लैकमेल कर मतलब सिद्ध कर सकें। इस स्थिति में महिलाओं की एक लापरवाही भारी पड़ जाती है। सरकार तो अपराध के बाद होने वाली सख्ती की बात कर रही है, मगर अपराध से बचाना उसका काम नहीं है। इससे महिलाओं को खुद ही बचना होगा।

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