Infosys के CEO विशाल सिक्का का जाना शुभ संकेत नहीं



देश की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर विशाल सिक्का ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें तीन वर्ष पहले ही कंपनी के सीईओ पद पर नियुक्त किया गया था। सिक्का की जगह यूबी प्रवीण राव को कंपनी का अंतरिम प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया है। सिक्का अब कंपनी में एक्जिक्यूटिव वाइस चेयरमैन की भूमिका निभाएंगे। सिक्का ने इस्तीफे के पीछे का मुख्य कारण बीते कुछ महीनों से उन पर हो रहे व्यक्तिगत हमलों को बताया है। इंफोसिस के फाउंडर्स और कंपनी के बोर्ड के बीच यह विवाद इस साल फरवरी में सामने आया था। फाउंडर्स ने इस पर सवाल उठाया था कि जब वेरिएबल पे 80 फीसद तक दिया जाता है तो कंपनी छोड़ने वाले कुछ चुनिंदा लोगों को अगले दो वर्षो के लिए 100 फीसद वेरिएबल क्यों दिया जा रहा है। यह सवाल दो सहसंस्थापकों नंदन निलेकणि और एस गोपालकृष्णन ने उठाया था। मतभेद पर नारायणमूर्ति ने कहा था कि उन्हें सिक्का से कोई परेशानी नहीं है। मगर गवर्नेस की कुछ चीजों को बेहतर किया जा सकता था।

बहरहाल, इंफोसिस से सिक्का का इस्तीफा हर लिहाज से बड़ी खबर है, लेकिन यह और भी बड़ी तब हो जाती है जब दो ही दिन पहले कंपनी की ओर से बायबैक पर विचार करने की खबर सामने आ रही हो। बुधवार की शाम बायबैक की खबर आने के बाद गुरुवार के सत्र में इंफोसिस का शेयर बढ़त के साथ कारोबार करता रहा, इससे स्पष्ट है कि बायबैक की खबर को बाजार ने सकारात्मक माना और निवेशकों ने जमकर शेयरों की खरीदारी की। लेकिन शुक्रवार की सुबह सिक्का के इस्तीफे की खबर आते ही शेयर 13 फीसद से ज्यादा टूट गया। निवेशकों को 30 हजार करोड़ का घाटा हुआ। बायबैक निर्धारित समय में पूरी की जाने वाली प्रक्रिया है, जिसमें निवेशकों के अतिरिक्त शेयरों को अपने सरप्लस का इस्तेमाल कर खुले बाजार से खरीदा जाता है। ये शेयर बाजार मूल्य या उससे ज्यादा कीमत पर खरीदे जाते हैं, हालांकि इसें एक शर्त शामिल होती है कि यह मैक्सिमम बायबैक से ज्यादा नहीं हो सकता है। अब छोटे निवेशक जिन्होंने बायबैक की खबर के बाद खरीदारी की थी, वे आज ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। विशाल सिक्का का जाना कंपनी के लिहाज से नकारात्मक खबर है। हालांकि, प्रवीण राव को यह जिम्मेदारी सौंपी जरूर गई है, लेकिन जब तक फुल टाइम सीईओ नहीं आ जाते तब तक कंपनी के लिए समय चुनौतीपूर्ण तो रहेगा। अभी आईटी सेक्टर के लिए ग्लोबल माहौल भी पक्ष में नहीं है, ऐसे में आने वाला समय कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कंपनी में नारायणमूर्ति की वापसी हो सकती है। हाल में ही कंपनी के संस्थापक सदस्यों की ओर से कहा गया था कि मूर्ति को मानद चेयरमैन के रूप में वापसी करनी चाहिए। अब देखना यह है कि कंपनी इस झटके से कैसे उबरती है। विवादों को हल करने के साथ निवेशकों का भरोसा कायम करना बड़ी चुनौती है।

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