सोशल मीडिया में मुसीबत बनते फर्जी फोटो, मकसद समाज व देश के सौहाद्र्र को बिगाड़ना



हाल ही में दो बड़ी घटनाओं में इस्तेमाल और वायरल हुईं फर्जी तस्वीरों ने तहलका मचा दिया था। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में लाठीचार्ज के बाद छात्र के बुरी तरह घायल होने के संदेश के साथ लड़की का चित्र वायरल हुआ और संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कश्मीर की फोटो बताकर एक महिला का चित्र भारतीय सुरक्षा बलों की ज्यादती को दिखाने के लिए प्रस्तुत किया। एक फोटो देश के जाने-माने विश्वविद्यालय में छात्रओं के धरने में हुई बर्बरता को बताने का कुप्रयास था, तो दूसरी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दुनिया को भ्रमित करने वाला झूठ फैलाने की साजिश। गौरतलब है कि भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के भाषण के जवाब में यूएन में पाक की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोधी ने कश्मीर में कथित ज्यादतियों का दावा करते हुए जो तस्वीर दिखाई वह इस्राइल की निकली। बीएचयू की घायल छात्र बताकर जिस लड़की का फोटो वायरल हुआ था, वह एकतरफा प्रेम में किए गए हमले का शिकार हुई थी। वह भी काफी दिनों पहले।
यूएन में भारत की छवि बिगाड़ने के लिए दिखाई गई फोटो हीदी लिवाइन नाम की फोटो जर्नलिस्ट ने खींची थी। उनकी वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, फोटो गाजा शहर के शिफा अस्पताल में 22 जुलाई-2014 को ली गई थी। दूसरी फोटो लखीमपुर खीरी में प्रेम प्रसंग के मामले में लड़की पर हुए हमले की थी। इन दोनों ही तस्वीरों ने एक बार फिर खबरों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर दिया है। अफसोसजनक है अब खबरें आमजन तक पहुंचने से पहले ही कुटिल सोच व राजनीति का शिकार हो रही हैं। इसमें फर्जी तस्वीरें शेयर करना एक बड़ी समस्या बन गया है। सोशल मीडिया के शुरुआती दौर में यह उम्मीद की गई थी कि कम से कम साझा की जाने वाली खबरों और तस्वीरों से सच्चाई बिना लाग लपेट के लोगों तक पहुंचेगी, लेकिन यहां तो जिम्मेदार अभिव्यक्ति के बजाय असामाजिक और अविश्वसनीय सामग्री को ही साझा किए जाने का चलन चल पड़ा है। देखने में आ रहा है सोशल नेटवर्किग की दुनिया में ऐसे कंटेंट की मात्र बढ़ रही है, जिसमें न केवल नकारात्मकता भरी होती है, बल्कि विश्वसनीयता भी नहीं दिखती। आज के समय में सच तो यह है कि सोशल मीडिया के सभी माध्यमों पर मनगढ़ंत दस्तावेजों और अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी कह देने का चलन देखने को मिल रहा है।
ऐतिहासिक दस्तावेजों से लेकर राजनीतिक बयानों और व्यक्तिगत जीवन तक हर चीज को मनचाहे ढंग से परोसने की स्थिति ने माहौल को विद्रूप बना दिया है। ऐसे में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अभिव्यक्ति की ऐसी गैर-जिम्मेदार आजादी इन सामाजिक मंचों पर असामाजिकता बढ़ा रही है, जिसके चलते अर्थपूर्ण एवं वैचारिक बातें सिरे से गायब हो जाएंगी। ज्यों-ज्यों तकनीक विस्तार पा रही है, इससे जुड़े अपराध भी बढ़ रहे हैं। सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने और झूठी खबर फैलाने वाले ऐसे फर्जी चित्र शेयर करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। भारत में साइबर अपराधों में हर साल 40 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। लंदन की एक यूनिवर्सिटी के अध्ययन के बाद दावा किया गया है कि भारत तेजी से साइबर अपराध की धुरी के तौर पर उभर रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर महिला उपयोगकर्ताओं की संख्या भी काफी है। इन मंचों के नकारात्मक इस्तेमाल की अति यह भी है कि लड़कियों और महिलाओं की तस्वीरें चुराना और उन्हें बिगाड़ना भी आम बात है। विकृत मानसिकता वाले लोग राजनीतिक कटुता और धार्मिक असहिष्णुता बढ़ाने वाली पोस्टों के अलावा ऐसा करने से भी बाज नहीं आ रहे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 40 फीसदी लड़कियों के प्रोफाइल की तस्वीरों के साथ ऐसा किया जा रहा है। यह न केवल निजता के हनन का बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा मसला भी है। कई बार तो आपत्तिजनक तस्वीरें भेजकर भी महिलाओं को परेशान किया जाता है।
दरअसल, सच, झूठ और सोची समझी अफवाह का यह जाल अब सोशल मीडिया की आभासी दुनिया की कटु हकीकत बन गया है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो से छेड़छाड़ कर उसे हिंसा और प्रशासनिक ज्यादतियों से जोड़ने का काम किया गया हो। देश-दुनिया के मसलों को बेवजह बतियाने-गरियाने और वैचारिक दुराग्रह पालने के कारण संवाद और सोच की गुणवत्ता के बारे में सोचने का समय यहां किसी को है ही नहीं। सोशल मीडिया की आभासी दुनिया से जुड़ी एक वास्तविक और मानवीय चिंता यह है कि यहां आमजन भी बिना कुछ सोचे समझे ही ऐसी जानकारियों को साझा करने की भागमभाग में दिखते हैं। फर्जी फोटो और खबरें इस तरह परोसी जाती हैं, आमजन ही नहीं चर्चित चेहरे भी इस जाल में फंस जाते हैं। चिंतनीय यह भी है कि हकीकत से वास्ता न होने के बावजूद ऐसी खबरें सामाजिक माहौल बिगाड़ने का काम करती हैं। सोशल मीडिया ने लोगों को एक-दूसरे के संपर्क में रहने और नई-नई सूचनाएं उपलब्ध कराने के साथ ही अपने विचारों को साझा करने का एक बेहतरीन मंच प्रदान किया है। इसका दुरुपयोग न तो समाज के हित में है और न ही व्यक्ति के। अत: हमें इसके दुरुपयोग से बचा जाना चाहिए।

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