मप्र में बच्ची के साथ बलात्कार करने पर फांसी की सजा दी जाएगी, यह सरकार का सराहनीय निर्णय




रेप और गैंगरेप की घटनाओं को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने कानून में बड़ा संशोधन किया है। कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि अब मप्र में 12 साल तक की बच्ची से किसी ने भी ज्यादती की तो उसे फांसी की सजा दी जाएगी। इसी तरह किसी भी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना होती है तो भी सारे दोषियों को फांसी पर लटका दिया जाएगा। इससे पहले दंड विधि (मप्र संशोधन विधेयक) 2017 में प्रस्तावित इस संशोधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को सहमति दे दी थी। बलात्कार को हर एक समाज और देश में अपराध माना जाता है। यह अपराध करने वाले को गलती की सजा देने के लिए सभी देशों में अलग-अलग सजा के प्रावधान हैं। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार के निर्णय को रखा जा सकता है। निश्चित रूप से सजा का सख्त प्रावधान किए बिना अपराध और अपराधियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता।
मध्यप्रदेश सरकार के निर्णय के आलोक में देखें, तो सवाल यह भी है कि अब तक बलात्कार के प्रति कड़ी सजा का प्रावधान क्यों नहीं बनाया जा सका। निर्भया गैंगरेप के बाद कानून में भारी बदलाव कर सजा को सख्त बनाने की जो पहल की गई, वह अपराधियों में खौफ पैदा करने में नाकाम क्यों है? बलात्कार किसी भी देश और समाज के लिए शर्मनाक घटना होती है। घटना के बाद पीड़िता को समाज द्वारा बार-बार टॉर्चर किया जाता है जिसमें उस मासूम की कोई गलती ही नहीं होती है और इस ताने के साथ उसे जिंदगी भर गुजरना पड़ता है। ऐसे में या तो पीड़िता घुट-घुट कर जीती है नहीं तो हार मानकर खुदखुशी कर लेती है। लेकिन उस बलात्कारी का क्या जिसने उसे इस लायक भी न छोड़ा कि वह समाज में सिर उठा कर चल सके। सजा के सख्त प्रावधान से अपराधी को तो खत्म कर दिया जाएगा, पर उस पीड़िता का क्या, जिसे सारी जिंदगी दंश झेलना है। सरकार व समाज को इस दिशा में भी सोचना होगा और ऐसे सख्त प्रावधान करने होंगे, जिससे महिलाओं में भय खत्म हो सके।
रेप एक भयानक किस्म का यौन अपराध है। ऐसे में रेप के लिए फांसी नहीं, किसी और डरावनी सजा की जरूरत है। ऐसी सजा जिसे जीते हुए अपराधी न मर पाए और न जी पाए। वैसे भी किसी तरह के सेक्शुअल असॉल्ट के बाद एक इंसान (अमूमन औरत) की जिंदगी खत्म नहीं हो जाती। अब जबकि मध्यप्रदेश सरकार ने बलात्कार के लिए फांसी की सजा का विकल्प खोल दिया है, तो यह मानने में गुरेज नहीं कि हालात में बदलाव आएगा। सरकार की तरफ से दिखाई जाने वाली सख्ती का असर होता है। मध्यप्रदेश के बाद यदि दूसरे राज्यों ने भी इस तरह का विकल्प अपनाया, तो निश्चित रूप से देश में बलात्कार के खिलाफ सख्ती का माहौल कायम होगा और हम महिलाओं को सुरक्षित समाज दे पाने में सफल होंगे। बलात्कार जैसे अपराध की बढ़ती तादाद शर्मनाक है। इसे रोकने की जरूरत है। यह तभी हो पाएगा, जब हम महिलाओं को भोग की वस्तु मानना बंद करेंगे। स्त्री की देह को उसकी सबसे बड़ी पूंजी मानना/बताना पितृसत्तात्मक समाज की ही घटिया देन है।

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