मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बने आज 12 साल पूरे हो गए, सूबे के सरताज हैं शिवराजसिंह चौहान




सबका साथ-सबका विकास। सत्ता में रहते हुए हर मजहब के लोगों को न केवल साथ लेकर चलना बल्कि सुख-दुख में बराबर से बिना भेदभाव किए भागीदारी निभाना, यह काम सिर्फ शिवराज सिंह चौहान के बस का है। बतौर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज 12 साल का रिकार्ड कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। जाहिर है उनकी इस उपलब्धि पर देश में उनकी चर्चा हो रही है। मौजूदा राजनीतिक उतार-चढ़ाव के दौर में जब किसी भी मुख्यमंत्री के लिए पांच साल का कार्यकाल बिना विवाद के पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं है तो ऐसी विषम परिस्थिति में शिवराज ने 12 साल मुख्यमंत्री रहते हुए न केवल कांग्रेस के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के रिकार्ड को ध्वस्त किया, बल्कि उन्होंने अपनी अद्भुत कार्यशैली से राजनीति के बड़े पंडितों को भी अचरज में डाल दिया है।
29 नवंबर-2005 को जब शिवराज सिंह चौहान ने 46 वर्ष की आयु में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ ली थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि वे मध्यप्रदेश में इतिहास लिखने जा रहे हैं। नर्मदा किनारे बसे सीहोर के जैतगांव में एक नवंबर-1959 को शिवराज सिंह का जन्म हुआ। पिता प्रेम सिंह चौहान और माता श्रीमती सुंदर बाई से मिले संस्कारों पर चलते हुए उन्होंने बचपन से ही सहज, सरल और मिलनसारिता का परिचय दिया। उनकी आत्मीयता का ही कमाल था कि कम उम्र में ही जैतगांव के बड़े बुजुर्ग शिवराज को सम्मान से पुकारते थे। वर्ष 1974 में जब शिवराज भोपाल के मॉडल हाईस्कूल के अध्यक्ष चुने गए थे, तभी से यह कयास लगाए जाने लगे थे कि वे आगे चलकर न केवल छात्र राजनीति के नामवर नेता के रूप में उभरेंगे, बल्कि राजनीति के एक बड़े नेता के रूप में भी स्थापित होंगे।
वर्ष 1992 में 33 साल की उम्र में गोंदिया के मतानी परिवार की साधना सिंह के साथ शिवराज परिणय सूत्र में बंध गए। शिवराज सिंह की दो संतानें हैं कार्तिकेय एवं कुनाल। छात्र राजनीति में सक्रिय रहे शिवराज पढ़ाई में भी मेधावी रहे। उन्होंने दर्शन शास्त्र में न केवल स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की, बल्कि गोल्ड मेडल हासिल कर यह बता दिया कि राजनीति उनकी पढ़ाई में बाधक नहीं है। 1990 में 31 साल की उम्र में बुधनी से विधायक बनने वाले शिवराज सिंह चौहान पांच बार सांसद रह चुके हैं। शिवराज सिंह चौहान देश के उन चंद नेताओं में शामिल हंै जिनकी भाषण देने की कला लोगों को प्रभावित करती है। हर समाज, हर धर्म और हर वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलना उनकी बड़ी खासियत है। वे टोपी पहनकर मुस्लिमों को मुबारकबाद देने ईदगाह पहुंच जाते हैं, तो गुरु पर्व और क्रिसमस पर अपने निवास पर कार्यक्रम आयोजित करते हैं। हिंदू पर्वो पर भी शिवराज सिंह चौहान की सहभागिता जगजाहिर है। वे हर मौकों पर जनता का नेता बनकर जनता के बीच उत्सवों की खुशियां बांटते हैं।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना ने शिवराज सिंह चौहान को लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा दिया है, पर यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि इस योजना की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली? दरअसल 1990 में जब शिवराज सिंह चौहान बुधनी से विधायक बने थे तब उन्होंने अपनी इच्छा से गांव की ही एक गरीब लड़की बसंती की शादी में शामिल होकर उसका कन्यादान किया था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान लगातार अपने विधानसभा क्षेत्र में सामूहिक विवाह के आयोजन कराने लगे। इसकी अपार सफलता से उत्साहित होकर ही मुख्यमंत्री कन्यादान योजना अमल में लाई गई, जो आज न मध्यप्रदेश बल्कि संपूर्ण देश में चर्चा का विषय है। इस योजना के चलते कई ऐसे गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी हो चुकी है, जो आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं। यह योजना हर समाज, हर वर्ग के लिए चलाई जा रही है।
शिवराज के मुख्यमंत्री बनने के बाद अगर मध्यप्रदेश की विकास गाथा को देखें, तो प्रदेश ने विकास के पैमाने पर कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। लोगों के जीने की राह अब आसान हुई है और दुनियाभर में बीमारू राज्य माना जाने वाला मध्यप्रदेश अब विकसित राज्यों की श्रेणी में आ खड़ा है। प्रदेश की विकास दर लगातार सात साल से 10 प्रतिशत से ज्यादा है, तो प्रदेश की कृषि विकास दर 20 प्रतिशत से अधिक है। प्रदेश ने सबके सहयोग से कई उपलब्धियां हासिल की हैं। सड़क, बिजली व सिंचाई के क्षेत्र में अभूतपूर्व काम हुआ है। कृषि उत्पादन लगातार बढ़ा है। प्रदेश में उद्योग तेजी से आ रहे हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में प्रदेश पहले पांच राज्यों में है। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, पर्यटन जैसे क्षेत्रों में नए कीर्तिमान स्थापित किए गए हैं।
मध्यप्रदेश की पहचान अब तेजी से विकास करने वाले राज्य के रूप में होती है। इतना ही नहीं, प्रदेश अब कई क्षेत्रों में देश में अगुआ और अव्वल राज्य भी बन गया है। प्रदेश की तरक्की में एक दशक में हुए इस चमत्कार के पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का संकल्प और समर्पण है। उन्होंने शुरुआत में ही जनता के बीच जाहिर कर दिया था कि ‘मध्यप्रदेश उनका मंदिर है, जिसमें रहने वाली साढ़े सात करोड़ से अधिक जनता उनकी भगवान है और उसके पुजारी शिवराज सिंह चौहान हैं।’ इस बात की गंभीरता को तब लोगों ने भले ही कम समझा हो, लेकिन आज जब यह चरितार्थ होते दिख रहा है, तब लोगों में उनके प्रति विश्वास और प्रगाढ़ हुआ है। आज प्रदेश में हुए अद्भुत कामों की गूंज हर ओर सुनाई दे रही है।
यह बताने की जरूरत नहीं है कि वर्ष-2003 में प्रदेश जहां अत्यंत पिछड़ा राज्य था, वहीं आज देश के अग्रणी राज्यों की कतार में शामिल है, तो इसके पीछे इस दौरान किए गए कार्य ही हैं। उस समय विद्युत उत्पादन मात्र 5173 मेगावॉट था, जबकि आज 16 हजार 116 मेगावॉट हो गया है। सिंचित भूमि का रकबा साढ़े सात लाख हेक्टेयर था, जो आज बढ़कर 36 लाख हेक्टेयर हो गया है। गेहूं का उत्पादन मात्र 73.65 मीट्रिक टन था, जो कि 184.80 लाख मीट्रिक टन हो गया है। 2003 में सकल घरेलू उत्पाद एक लाख तीन हजार करोड़ था, जो पांच लाख आठ हजार करोड़ हो गया है। शिवराज ने किसानों को खुशहाल बनाने के लिए खेती को लाभकारी धंधा बनाने का संकल्प लिया। उन्होंने कृषि की लागत को कम और पैदावार को वाजिब दाम दिलवाने के ठोस कदम उठाए।
देश में किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने और मूलधन की वसूली दस फीसदी कम करने वाला एकमात्र राज्य मध्यप्रदेश है। कृषि के क्षेत्र में सफलता हासिल की गई है। मध्यप्रदेश महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए निकायों में पचास फीसदी आरक्षण देने में भी अग्रणी है। इतना ही नहीं, बेटियों के जन्म से लेकर उनके पोषण, शिक्षा, विवाह और रोजगार आदि का इंतजाम यहां किया गया है। विकास एवं जनोन्मुखी सोच, संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत प्रदेश में सिंचाई, सड़क और बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा सुशासन के क्षेत्र में सफलता हासिल की गई है। यह सब हुआ है शिवराज सिंह के अटूट संकल्प व दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत। उम्मीद है कि विकास यात्रा आगे भी जारी रहेगी।

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