मप्र सरकार रेप पीड़िता को बंदूक का लाइसेंस देगी। यह फैसला महिलाओं को सुरक्षित बनाने की दिशा में उम्दा कदम



मध्य प्रदेश में रेप पीड़िता को पद्मावती सम्मान और रेपिस्ट को फांसी की सजा के प्रावधान को विधानसभा में मंजूरी के बाद राज्य सरकार एक और फैसला लेने जा रही है। सरकार रेप पीड़िताओं को बंदूक का लाइसेंस देने की तैयारी में है। इस कदम के पीछे महिला-बाल विकास विभाग की मंत्री अर्चना चिटनीस का तर्क है कि अब महिलाओं की सुरक्षा को लेकर इंतजाम करना जरूरी है। जो भी इसकी पात्र होंगी, उन्हें लाइसेंस दिया जाएगा, लेकिन प्राथमिकता तो दुष्कर्म पीड़िताओं को ही दी जाएगी। महिलाओं को आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाना किसी भी सरकार की जिम्मेदारी होती है और यह काम अगर मध्यप्रदेश में हो रहा है, तो इसे सार्थक रूप में ही देखा जाना चाहिए। वैसे, मध्यप्रदेश में महिलाओं में हथियारों का लाइसेंस लेने का चलन काफी पुराना है। सिर्फ इंदौर में ही बीते दो वर्षो में 18 महिलाओं को बंदूक का लाइसेंस दिया जा चुका है। बढ़ते अपराध के बीच खुद को सुरक्षित रखने के लिए महिलाओं की संख्या भले ही पुरुषों के मुकाबले कम हो, मगर यह कदम महिलाओं की सोच के प्रति नया बदलाव परिलक्षित करता है।
नई पहल हाल ही में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के संदर्भ में सरकार के ‘फेस सेविंग’ की दिशा में उठाए जा रहे कदमों में से एक है। पिछले दिनों जारी रिपोर्ट में दुष्कर्म के मामलों में मध्यप्रदेश देश में सबसे ऊपर है। वैसे, इस पहल का कांग्रेस ने स्वागत करते हुए कहा है कि सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जिनसे दुष्कर्म जैसे अपराध न हो सकें। महिलाओं को ऐसे अपराधों से बचाने के लिए मजबूत करना चाहिए। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए इस तरह के प्रावधान व्यापक स्तर पर किए जाने चाहिए। हालांकि, इस प्रस्ताव का सामाजिक स्तर पर विरोध हुआ है, लेकिन सरकार को चाहिए कि वह अपना काम करती रहे। सिर्फ विरोध या आशंका के चलते बेहतर काम को रोकना सही नहीं होगा। प्रदेश ही नहीं पूरे देश में इस तरह के काम पर विचार करना चाहिए। सख्त कानून और कड़ी सजा के प्रावधान के बाद भी अपराध नहीं रुक रहे हैं, तो फिर महिलाओं को सशक्त बनाना होगा कि वे अपराधियों का डटकर मुकाबला कर सकने में सक्षम हो सकें।
कई मौकों पर देखा गया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध करने के बाद जेल गए बदमाश बाहर आकर फिर से तंग करने लग जाते हैं। बलात्कार के कई ऐसे मामले भी हैं, जिनमें दोषियों ने जमानत पर छूटने के बाद फिर घृणित कार्य को अंजाम दिया। बलात्कार पीड़िता पहले से ही टूट चुकी होती है, लिहाजा वह बदमाशों को पुन: सामने देख बेबस हो जाती है। लेकिन जब उसके पास हथियार होगा, तो वह मुकाबला कर पाने में सक्षम होगी। वैसे, एक पहलू ऐसा भी है, जिस पर विचार करना चाहिए। सरकार महिलाओं को लाइसेंस देगी, बंदूक नहीं। ऐसे में उन पीड़िताओं का क्या होगा, जो बेहद गरीब हैं। वे हथियार कैसे खरीदेंगी। प्रशिक्षण की क्या व्यवस्था होगी? फिर हथियार के लाइसेंस का दुरुपयोग रोकना भी बड़ी चुनौती होगी। यह ऐसे पहलू हैं, जिनका निराकरण किए बगैर मंशा पूरी नहीं होगी।

Comments

Popular posts from this blog

झंडे की क्षेत्रीय अस्मिता और अखंडता

नेपाल PM शेर बहादुर देउबा का भारत आना रिश्तों में नए दौर की शुरुआत

देश में जलाशयों की स्थिति चिंतनीय, सरकार पानी की बर्बादी रोकने की दिशा में कानून बना रही है