आम बजट में रेलवे की सेहत सुधारने के लिए वित्त मंत्री ने वह सब किया, अब रेलवे को सुरक्षा और विकास पर जोर देना होगा




नए भारत के सपने को साकार करने के लिए सरकार ने रेलवे में सुरक्षा को मजबूत करने, यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने और लंबित विकास योजनाओं को चरणबद्ध तरीके से गति प्रदान करने पर बल दिया है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को संसद में वित्त वर्ष 2018-19 के लिए प्रस्तुत आम बजट में समुचित प्रावधान किए हैं। उन्होंने नए वितीय वर्ष के लिए बजट आवंटन में पांच फीसदी की बढ़ोतरी करके उसे एक लाख 48 हजार 528 करोड़ रुपए करने की घोषणा की है। दरअसल, आम बजट में रेल बजट को मिलाए जाने से लोगों के मन में जो दुविधाएं थीं, उसे समाप्त करने की पूरी कोशिश मोदी सरकार ने की है। लिहाजा, अब यह स्पष्ट हो गया है कि बजट के दूसरे नए स्वरूप में रेलवे में कतिपय चमत्कार किए गए हैं, जिससे रेलवे के पुनर्निर्माण और उसकी यात्री सुविधाओं की पुरानी स्थिति की जड़ता को तोड़ने में भारी कामयाबी भी मिली है। नि:संदेह, मोदी सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है क्योंकि रेलवे की सेहत को गठबंधन सरकारों के दौर की राजनीतिक लोकलुभावन घोषणाओं से जो निरंतर क्षति पहुंच रही थी, उस पर भी मौजूदा सरकार ने लगभग विराम लगा दिया है।
बेशक, सरकार ने नए वित्त वर्ष में रेलवे के लिए जो एक लाख 48 हजार 528 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाने का प्रावधान किया है, वह अब तक का सबसे बड़ा बजटीय आवंटन है। इससे वह रेलवे में ‘सुरक्षा सर्वप्रथम नीति’ को लागू करने में सफल रहेगी। सरकार ने विभिन्न स्तरीय सुरक्षा सुधारों पर बल देते हुए सभी रेलवे स्टेशनों पर तथा सभी रेलगाड़ियों में वाईफाई और सीसीटीवी की सुविधा प्रदान करने का निश्चय किया और इसके लिए समुचित बजटीय प्रावधान भी, ताकि डिजिटल सुरक्षा सोच को बढ़ावा मिल सके और निर्बाध रूप से उस पर अमल भी सुनिश्चित किया जा सके। गौर करने वाली बात है कि सरकार ने समूचे रेल नेटवर्क को ब्रॉडगेज में परिवर्तित करने की अप्रत्याशित घोषणा की है, जिस पर रेल बजट का बड़ा हिस्सा खर्च किया जाएगा, ताकि रेल यात्र सुगम और निरापद रह सके। इसके तहत पांच हजार किलोमीटर पुरानी रेल लाइन में किए जा रहे गेज परिवर्तन अभियान को गति प्रदान की जाएगी। इसके अलावा 36 सौ किलोमीटर पटरियों के नवीनीकरण का कार्य करने भी लक्ष्य तय किया गया है। साथ ही साथ पूरे देश के 600 प्रमुख रेलवे स्टेशनों को पुन: विकसित करके उन्हें आधुनिक बनाया जाएगा।
सरकार ने देश की आर्थिक राजधानी मुबई में लोकल ट्रेन का भी दायरा बढ़ाने की भी घोषणा की है। वह मुंबई में 90 किलोमीटर की पटरी का विस्तार करेगी। देश के रेलवे स्टेशनों पर नए एस्केलेटर भी लगाए जाएंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि माल ढुलाई के मद्देनजर 12 हजार नए वैगन खरीदे जा रहे हैं। इसके अलावा यात्रियों की सुविधा के लिए 3160 कोच और 700 इंजन भी खरीदे जा रहे हैं। इस साल 700 नए रेल इंजन व 5160 नए कोच तैयार भी किए जाएंगे। स्टेशनों पर ऐस्केलेटर्स बनाने की भी योजना है। सरकार ने घोषणा की कि 40 हजार करोड़ रुपए एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण पर खर्च किए जाएंगे। दो टूक कहा जाए तो सरकार ने रेल नेटवर्क और उसकी जरूरतों के लिहाज से उम्मीद के मुताबिक ही बजट पेश किया, जिसमें रेल सुरक्षा और उसकी बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने पर जोर दिया गया है। याद दिला दें कि केंद्र सरकार ने बजट में 2017-18 के लिए रेल नेटवर्क को और मजबूत करने साथ रेल यात्रियों की सुरक्षा पर विशेष पहल की तस्वीर पेश की थी। करीब दो हजार करोड़ रुपए का सुरक्षा कोष, नई पटरियां बिछाने व स्टेशनों के पुनर्विकास और उनका आधुनिकरण करने पर जोर दिया गया था।
रेल दुर्घटनाओं या फिर पटरियों से उतरने की कई घटनाओं के बाद एक लाख करोड़ रुपए के सुरक्षा कोष का अलग से प्रावधान करना रेल सुरक्षा के हित में माना गया था, लेकिन इस बात से लगभग सभी वाकिफ हैं कि घटनाएं थमी नहीं, जिससे लोग हमेशा सशंकित रहते हैं। उम्मीद है कि सरकार के ताजा बजट से लोगों की आशंकाएं दूर होंगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि लोगों की नजर आम बजट के साथ-साथ रेल बजट पर भी लगी थी और वे कतिपय चुनावी लॉलीपॉप का इंतजार कर रहे थे, लेकिन वित मंत्री ने संतुलित बजट पेश करके रेल सहित सभी को साधने की कोशिश की और कतिपय राजनीतिक लोकप्रियता के लिए वित्तीय हानि उठाने की परंपरा को तोड़ दिया। दरअसल, सरकार इस बात से वाकिफ है कि पूरे देश की नजरें रेलवे हेतु किए जाने वाले बजटीय प्रावधान पर रहेंगी, क्योंकि विभिन्न रेल दुर्घटनाओं में से अधिकतर पटरियों के चटकने या फिर उससे उतरने को लेकर ही हुई, जिसमें सैकड़ों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। इसीलिए पूरे रेल नेटवर्क की पटरियों का आधुनिकरण और उनके रखरखाव पर विशेष ध्यान देने की ताजा पहल की गई है जिससे लोग भी आशान्वित और उत्साहित हैं।
आपको याद होगा कि रेल मंत्री रहते सुरेश प्रभु ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक करोड़ 19 लाख रुपए का विशेष कोष स्थापित करने के लिए खत लिखा था, जिसे पिछले बजट में शामिल किया गया था और इसी के दम पर रेलवे सुधार के लिए कई संतुलित योजनाएं लागू करने की घोषणाएं भी की गईं, लेकिन हुआ क्या? न तो रेलवे परिचालन सुधरा, न ही दुर्घटनाएं थमीं। इसलिए सरकार के नए बजटीय सोच और उपाय कुछ उम्मीद तो बंधाते ही हैं। दरअसल, सरकार के समक्ष नए भारत के निर्माण के लिए रेलवे की नकारात्मक छवि को सुधारने की कठिन घड़ी है, जिससे मुकाबले के लिए वह तत्पर प्रतीत होती है। सवाल यह भी है कि आम बजट में रेल के लिए जो घोषणाएं हुई हैं, वह कब तक अमल में आ पाएंगी। याद दिलाते चलें कि पिछले साल की कई ऐसी योजनाएं हैं, जो आज तक पूर्ण रूपेण लागू नहीं हो पाई हैं और महज कागजों तक में ही सिमटी हैं। इन योजनाओं में नई लाइनें बिछाना, देश भर में लाइनों का दोहरीकरण और विद्युतीकरण करना आदि शामिल है। उम्मीद है कि सरकार इन अधूरे कामों को चुनावी वर्ष में पूरा कर लेगी। अगर ऐसा नहीं हो पाता है, तो फिर सरकार को जनाक्रोश झेलने और विपक्षी उलाहने सहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। विपक्ष की चाहत भी यही है।
बजट में जिन प्रावधानों का ऐलान नहीं किया गया है, उसमें यात्रियों को यात्र के दौरान कंफर्म सीट मिलना है। ट्रेनों में लगातार लंबी होती जा रही वेटिंग सूची ने रेलवे के पूरे तंत्र को फेल कर रखा है। उम्मीद है कि रेलवे को जो बजट मिला है, उससे वह इस तरफ कुछ काम करेगी। पिछली यूपीए सरकार के समय तक बजट में ट्रेनों की भारी-भरकम घोषणाओं का दौर मोदी सरकार के आने के बाद खत्म हो चुका है और सरकार समय-समय पर सुविधायुक्त ट्रेनों को शुरू भी कर रही है, मगर अब भी ट्रेनों की गुंजाइश बनी है। पिछले चार साल में जितनी भी नई गाड़ियां शुरू की गई हैं, उनमें से कई आम आदमी को अब तक नहीं रिझा पाई हैं। फिर मोदी के महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन को लेकर भी ऐलान नहीं किया गया है। संभव है कि बजट में इसके लिए आवंटन किया गया हो, मगर जेटली ने इस पर कोई बात नहीं की। रेलवे को लेकर आम बजट में जो भी वादे-दावे किए गए हैं, मगर जब तक सुरक्षा और संरक्षा दुरुस्त नहीं होगी, गाड़ी पटरी पर नहीं आएगी।

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