भाजपा को पूर्वोत्तर में मिली जीत नि:संदेह साल 2019 के चुनाव में बड़ा असर छोड़ेगी



त्रिपुरा में शानदार जीत और मेघालय तथा नगालैंड में आशा के विपरीत प्रदर्शन के बाद भाजपा का उत्साह आसमान पर है। पूर्वोत्तर में मिली जीत नि:संदेह साल 2019 के चुनाव में बड़ा असर छोड़ेगी। वहीं कांग्रेस के लिए यह परिणाम खतरे की घंटी के समान है।
पूवरेत्तर के तीन राज्यों के आए चुनाव नतीजों ने भाजपा को सियासी पटल पर और भी मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया है। त्रिपुरा में पार्टी ने अभूतपूर्व जीत दर्ज की तो मेघालय और नगालैंड में भाजपा का प्रदर्शन उत्साहजनक रहा। दूसरी तरफ, प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस का जनाधार उखड़ने से उसकी चुनौतियां बढ़ गई हैं। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि नतीजों का इस्तेमाल भाजपा अगले दो महीनों में कर्नाटक के महत्वपूर्ण चुनावी समर में अपने लिए जमीन तैयार करने में करेगी। साफ है कि भाजपा के नए मतदाता तेजी से बढ़ रहे हैं और ये 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा की राह आसान बना सकते हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में साल के अंत में होने वाले चुनाव में सत्ता बरकरार रखना भाजपा के लिए चुनौती है। हालांकि, ताजा चुनाव नतीजों से पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला जरूर बढ़ेगा। त्रिपुरा में भाजपा की शानदार जीत जमीनी स्तर पर किए गए उसके कार्यो पर आधारित है। भाजपा ने न केवल लेफ्ट पार्टियों को झटका दिया है, जो 25 वर्षो से सत्ता का स्वाद चख रहे थे, बल्कि कांग्रेस को भी पीछे धकेल दिया, जो अब तक मुख्य विपक्षी पार्टी बनी हुई थी। त्रिपुरा में जीत के साथ ही भाजपा ने केरल, पश्चिम बंगाल और ओडिशा को जीतने का टारगेट भी तैयार कर लिया है।
ये तीनों राज्य ऐसे हैं जहां काफी पहले से पार्टी के लिए जनाधार बढ़ा पाना चुनौतीपूर्ण रहा है। गौर करने वाली बात यह है कि त्रिपुरा में 2013 के चुनावों में 50 में से 49 सीटों पर भाजपा की जमानत जब्त हो गई थी, लेकिन इस बार नतीजों ने उसे सत्ता के शिखर पर पहुंचा दिया। यहां इस बात को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि भाजपा की त्रिपुरा विजय में असम में मिली शानदार जीत का अहम योगदान है। यहां पहली बार था जब पार्टी ने वामदलों को सीधी चुनौती दी। पूवरेत्तर में मिजोरम ही अब एक राज्य बचा है, जहां एनडीए का प्रभाव नहीं है। गौरतलब है कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूवरेत्तर राज्यों पर फोकस करना शुरू कर दिया था।
जिस पार्टी को हिंदुत्व से जोड़कर देखा जाता हो, त्रिपुरा में ऐतिहासिक प्रदर्शन और ईसाई बहुल नगालैंड और मेघालय में मजबूत जनाधार तैयार होने से पार्टी के भीतर जोश का संचार हुआ है। पूवरेत्तर क्षेत्र में 25 लोकसभा सीटें हैं। उधर, कांग्रेस की स्थिति खराब होती जा रही है। मेघालय, जहां वह सत्ता में थी, उसका प्रदर्शन गिरा है और सरकार बनाने के लिए उसे संघर्ष करना पड़ सकता है। त्रिपुरा और नगालैंड के चुनाव नतीजे उसके लिए किसी झटके से कम नहीं हैं, जबकि एक समय उत्तर-पूर्व कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। नतीजे कांग्रेस के लिए झटका इसलिए भी हैं क्योंकि इससे साफ है कि मोदी लहर बरकरार है और कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और दूसरे मामलों में जिस तरह का बड़ा माहौल बनाने की कोशिश की, उसका भी कोई असर नहीं हुआ।

Comments

Popular posts from this blog

झंडे की क्षेत्रीय अस्मिता और अखंडता

नेपाल PM शेर बहादुर देउबा का भारत आना रिश्तों में नए दौर की शुरुआत

देश में जलाशयों की स्थिति चिंतनीय, सरकार पानी की बर्बादी रोकने की दिशा में कानून बना रही है