छात्रों का भरोसा न टूटने पाए


राजएक्सप्रेस, भोपाल। सीबीएसई के 10वीं गणित और 12वीं अर्थशास्त्र का पेपर लीक (CBSE Paper Leak) होना व्यवस्थागत खामी का ताजा उदाहरण है। पेपर लीक होने या नकल कराए जाने का असर उन छात्रों पर पड़ता है, जो मेहनत से लक्ष्य को पाना चाहते हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि भरोसा न टूटने दें।
सीबीएसई (CBSE) के 10वीं गणित और 12वीं अर्थशास्त्र का पेपर लीक होने की जांच तेज करते हुए पेपर लीक के मुख्य आरोपी विक्की को हिरासत में लिया गया है। वहीं मामले में कुछ छात्रों से भी पूछताछ हो रही है। दूसरी तरफ विक्की को हिरासत में लिए जाने के बाद उसके इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले कई छात्र और माता-पिता समर्थन में उतर आए हैं। छात्रों का कहना है कि उनके शिक्षक निर्दोष हैं, और गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। बहरहाल, परीक्षाओं को रद्द करने और फिर से कराए जाने को लेकर बवाल मचा हुआ है।
पेपर लीक होने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नाराजगी जताई है। मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर छात्रों को भविष्य में बेहतर व्यवस्था बनाए जाने का भरोसा दे रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि, एक के बाद एक परीक्षा में सामने आ रही धांधली के बाद छात्रों का भरोसा कैसे कायम किया जा सकेगा। परीक्षाओं के पेपर लीक होने या नकल कराए जाने की कुव्यवस्था आज की नहीं है। सब कुछ देखते और जानते हुए भी इस पर नकेल कसने की कोई कारगर योजना क्यों नहीं बनाई जा रही है।
सीबीएसई के पेपर लीक होने से पहले एसएससी की परीक्षा को लेकर बवाल पूरा देश देख चुका है। कई राज्य परीक्षाओं में नकल कराने के लिए बदनाम हैं। इस साल भी बोर्ड परीक्षाओं में नकल को लेकर कई तस्वीरें सामने आई हैं। यूपी सरकार के नकल पर सख्ती के तमाम दावों के बावजूद वहां के कई परीक्षा केंद्रों में कहीं दीवारों पर चढ़कर तो कहीं खिड़कियों आदि के जरिए लोग बच्चों को नकल कराते दिखे तो कई परीक्षा केंद्रों पर छात्र-छात्रओं द्वारा किताब से देखकर नकल करने की तस्वीरें भी सामने आईं।
बिहार की बात करें तो वह नकल के लिए बदनाम ही रहा है। विगत वर्ष बिहार में 10वीं की बोर्ड परीक्षा में नकल का ऐसा हल्ला मचा कि, वहां के तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने यह तक कह दिया कि, नकल रोकना उनके बस की बात नहीं, जिस पर उन्हें उच्च न्यायालय से फटकार भी सुननी पड़ी थी। हालांकि पिछले साल से कुछ सबक लेते हुए इस साल बिहार सरकार ने वहां नकल पर नकेल कसने के लिए पूरा जोर लगाने का दावा किया और इस वर्ष की परीक्षाओं में संभवत: इसका कुछ असर भी दिखा, लेकिन फिर भी कई जगहों पर नकल करते हुए विद्यार्थी पकड़े गए।
नकल की इस तस्वीर का एक पहलू यह भी है कि विद्यार्थियों की नकल की आवश्यकता को देखते हुए परीक्षा केंद्रों में नकल के लिए पूरा एक तंत्र बना पड़ा है। परीक्षा कक्षों के भीतर नकल का एक पूरा बाजार ही चलता है जहां विषयवार नकल की कीमत तय होती है, मोल-भाव होता है और परीक्षार्थी के रूप में खरीदार होते हैं। जो ऐसा नहीं करना चाहते हैं, उनके लिए सोशल मीडिया का प्लेटफार्म उपलब्ध है। बहरहाल, सीबीएसई के दो पेपरों की परीक्षा फिर से कराए जाने का आदेश जारी हो चुका है, लेकिन यह हल नहीं है। अब ऐसी व्यवस्था बनानी होगी, जो छात्रों का भरोसा कायम कर सके।

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