मोदी का नेपाल दौरा खोलेगा नए द्वार


राजएक्सप्रेस,भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पड़ोसी देश नेपाल के अपने तीसरे दौरे (PM Narendra Modi Nepal Visit) पर हैं। इस दौरे को दोनों देशों की जनता के बीच संपर्को को नया आयाम देने वाला दौरा कहा जा रहा है। चीन की नेपाल के साथ बढ़ती दोस्ती के बीच मोदी का यह दौरा नि:संदेह दोनों देशों के रिश्ते मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पड़ोसी देश नेपाल के अपने तीसरे दौरे पर हैं। इस दौरे को दोनों देशों की जनता के बीच संपर्को को नया आयाम देने वाला दौरा कहा जा रहा है। नेपाल, भारत की विदेश नीति में हमेशा से अहम देश रहा है, लेकिन हाल के वर्षो में दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती रुचि के कारण नेपाल को लेकर भारत काफी सजग हो गया है। नेपाल पहाड़ी देश है जिसकी सीमा सिर्फ दो देशों से ही लगती है। तीन तरफ से भारत और तिब्बत की ओर से चीन की। अपनी जरूरतों के लिए नेपाल काफी हद तक भारत पर निर्भर है, लेकिन भारत के लिए नेपाल के संदर्भ में चीन की चुनौती अब हिमालय पर्वत जैसी बड़ी होती जा रही है। नेपाल में पिछले एक दशक में आए राजनीतिक बदलाव, माओवादी ताकतों का सत्ता में आना और चीन की नेपाल में एंट्री भारत के लिए बड़ी चुनौती है और मोदी सरकार को इन सबके बीच भारत का स्टेक सुरक्षित रखना होगा। तीनों देशों के रिश्तों के कई पहलू भारत की चिंता बढ़ा रहे हैं। चीन के परिप्रेक्ष्य में भारत-नेपाल के रिश्तों में हाल के दिनों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।
चीन के करीबी माने जाने वाले माओवादी नेता और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपनी दूसरी सियासी पारी का पहला विदेश दौरा भारत का किया। वे 6-8 अप्रैल के बीच भारत दौरे पर थे, जबकि उन्हें चीन दौरे का भी न्योता मिला था। इसे दोनों देशों के बीच संतुलन बनाने की नेपाल की कोशिश के रूप में देखा गया। अप्रैल के तीसरे हफ्ते में नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली चीन के दौरे पर थे। तब चीन ने नेपाल को जोड़ते हुए रेल समेत तमाम परियोजनाओं का ऐलान किया और उम्मीद जताई कि भारत भी नेपाल की खुशहाली के लिए साथ आएगा, लेकिन भारत इस त्रिपक्षीय परियोजना को लेकर रुचि नहीं दिखा रहा क्योंकि चीन को लेकर भारत में संशय है। इससे पहले नेपाल में ऑप्टिकल फाइबर परियोजना, इंटरनेट सेवा समेत कई ऐलान चीन नेपाल के लिए कर चुका है, लेकिन क्या भारत के लिए इतना आसान है इस गठजोड़ का हिस्सा बनना बिल्कुल नहीं।
भारत का नेपाल के साथ अलग तरह का रिश्ता रहा है। नेपाल की सियासत से लेकर विदेश नीति तक भारत का प्रभाव काफी मजबूत रहा है। पीएम मोदी ने अपने दौरे की शुरुआत जनकधाम से की है। जनकपुर में खुद नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने पीएम मोदी का स्वागत किया। रामायण सर्किट के जरिए भारत नेपाल से व्यापार और धार्मिक कनेक्शन बेहतर बनाना चाहता है। जनकपुर से पीएम मोदी की नेपाल यात्र का शुरू होना ‘पीपुल टू पीपुल कनेक्ट’की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसके अलावा मोदी नेपाल में चल रहीं भारतीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा भी करेंगे ताकि द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम दिया जा सके। अब ओली को साबित करना है कि भारत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता क्या है।

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