सस्ते कर्ज का दौर हो रहा है खत्म


राजएक्सप्रेस, भोपाल। Cheap Loans: कर्ज सस्ता होने की उम्मीद कर रहे लोगों को रिजर्व बैंक ने जोर का झटका दिया है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.5 और कैश रिजर्व रेश्यो में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। शीर्ष बैंक के इस फैसले से साफ हो गया है कि अब सस्ते कर्ज का दौर खत्म हो रहा है।
Cheap Loans: कर्ज सस्ता होने की उम्मीद कर रहे लोगों को रिजर्व बैंक ने जोर का झटका दिया है। रिजर्व बैंक ने लोगों की उम्मीदों को तरजीह न देते हुए महंगाई को नियंत्रित करने पर ज्यादा ध्यान दिया है। लिहाला, शीर्ष बैंक ने ब्याज दरें बढ़ा दी हैं। रेपो रेट में 0.5 और कैश रिजर्व रेश्यो में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। नए फैसले का सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ना तय है। रिजर्व बैंक के इस कदम के बाद वाणिज्यिक बैंकों द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन के इंटरेस्ट रेट में बढ़ोतरी करीब-करीब तय मानी जा रही है। यानी नया लोन लेना तो महंगा होगा ही, आपके पुराने लोन की ईएमआई भी बढ़ जाएगी। बढ़ोतरी के बाद नया रेपो रेट 8.5 फीसदी से बढ़कर 9 फीसदी हो गया है और नया कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) 8.75 फीसदी से बढ़कर 9 फीसदी। रेपो रेट में बढ़ोतरी को फौरन लागू कर दिया गया है जबकि सीआरआर में बढ़ोतरी 30 अगस्त से लागू होगी।
रिजर्व बैंक ने 31 मार्च 2009 तक महंगाई दर को कम करके 7 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा है, जो फिलहाल 12 फीसदी के आसपास है। रिजर्व बैंक का मकसद महंगाई दर को जल्द से जल्द घटाकर 5 फीसदी तक लाना है। ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि बढ़ती महंगाई दर के मद्देनजर आरबीआई रेपो रेट और सीआरआर में बढ़ोतरी करेगा और आरबीआई ने ऐसा ही किया। आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई में छह सदस्यीय मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (एमपीसी) की चार जून से मीटिंग हो रही थी। बता दें, जनवरी 2014 के बाद पहली बार रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बदलाव किया है। वहीं मोदी सरकार के कार्यकाल में यह पहला मौका है जब रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाया है। रिजर्व बैंक के इस कदम से साफ है कि अब सस्ते कर्ज का दौर खत्म हो रहा है और आपको महंगे कर्ज के लिए तैयार रहना होगा।
आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने बैठक के बाद कहा कि मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की क्षमता बढ़ी है। ग्रामीण और शहरी इलाकों में खपत बढ़ रही है। मानसून अच्छा रहने का अनुमान है, इसलिए पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है। आरबीआई को पता है कि अगर कच्चे तेल के दाम नई ऊंचाई तक पहुंचे तो इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था और महंगाई पर पड़ना तय है। आरबीआई के पास मार्केट में मनी फ्लो रोकने और डिमांड कम करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने यानी लोन को महंगा करने के अलावा चारा नहीं था। आरबीआई की ओर से रीपो रेट में इजाफा किए जाने के बाद अब बैंकों की ओर से भी मार्जिनल कॉस्ट बेस्ड लेडिंग रेट्स में बढ़ोतरी की जा सकती है। कहने का मतलब यह है कि अब बैंक भी कर्ज की दरों में इजाफा कर सकते हैं। कुछ बैंकों की ओर से पिछले सप्ताह ही इस बढ़ोतरी की शुरुआत की जा चुकी है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने पहले ही इस साल अब तक दो बार ब्याज दर में इजाफा किया है।

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