बुराड़ी: तंत्र-मंत्र या फिर षडयंत्र


राजएक्सप्रेस, भोपाल। देश की राजधानी दिल्ली स्थित बुराड़ी (Burari Case)के संतनगर में एक ही परिवार के 11 लोगों की सामूहिक आत्महत्या की थ्योरी अब उलझती जा रही है। घर से मिले रजिस्टर के आधार पर पुलिस इस घटना को तंत्र-मंत्र से जोड़कर देख रही है, तो परिवार वाले इस घटना के पीछे षडयंत्र का दावा कर रहे हैं। जो भी हो, इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा। मगर अभी तो यह घटना हम सभी के लिए एक सबक बनकर आई है, जो तंत्र-मंत्र या अंधविश्वास के खिलाफ सभी को जागृत करती है।
देश की राजधानी दिल्ली स्थित बुराड़ी (Burari) के संतनगर में गत दिनों एक ही परिवार के 11 लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत का जो घरेलू मंजर सामने आया था, उससे हर संवेदनशील व्यक्ति का दिल दहल गया कि आखिर यह क्या हो गया? अमूमन, अपराध की भी राजधानी समझी जाने वाली दिल्ली में अब यह कौन सी नई शातिर परंपरा शुरू हो गई कि चाह कर भी दिल्ली पुलिस के लंबे हाथ उस शातिर व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाएंगे जो इस घटना का असली मास्टर माइंड होगा। हालांकि, रोज बदल रहे घटनाक्रम में कभी पुलिस की थ्योरी सामूहिक सुसाइड तो कभी किसी तांत्रिक बाबा की ओर घूम रही है और परिजन हत्या की आशंका जता रहे हैं। खुलासा यह भी हो रहा है कि छोटे बेटे ललित ने ही पूरे परिवार को अपने वश में किया और तंत्र-मंत्र के जरिए उन्हें जान देने के लिए उकसाया। कुछ भी हो, इतना तो तय है कि आने वाले दिनों में कई ऐसे राज सामने आएंगे, जो बेहद चौंकाने वाले होंगे।
इस घटना ने कई सवालों को भी जन्म दिया है। सवाल है कि क्या चकाचौंध से भरी महानगरीय जिंदगी से लोग-बाग अब इस कदर ऊब चुके हैं कि मोक्ष प्राप्ति की कामना वश प्रभु दर्शन के चक्कर में आकर अपना पूरा का पूरा परिवार गवां देने में झिझक महसूस नहीं कर रहे और पास-पड़ोस का समाज भी इतना लाचार हो चुका है कि असहाय बनकर सबकुछ देखने-सुनने को अभिशप्त है। यदि ऐसी प्रवृति बढ़ रही है तो आप किसे दोष देंगे! आखिर हत्या, आत्महत्या और सामूहिक हत्या का ऐसा विभत्स खेल कैसे रुकेगा, इस बारे में शिक्षक और पुलिस अधिकारियों दोनों को मिलकर कुछ सोचना-समझना और करना होगा।
सवाल यह भी है कि आप इसे सामूहिक आत्महत्या की वारदात मानने से पहले जरा क्यों नहीं सोचते कि दिल्ली में सक्रिय सम्प्रदाय विशेष के काला जादूगर गैंग की पकड़ व पहुंच अब इतनी मजबूत हो चुकी है कि बिना एक भी गोली दागे और छूरेबाजी का रिस्क लिए उसने अपने अलौकिक हुनर से एक नहीं बल्कि ग्यारह लोगों को मौत के मुंह में धकेल दिया और खुद बाल-बाल बच गया। लिहाजा, अपराध उद्भेदन के नजरिए से यहां पर हमें यह बात भी सोचनी पड़ेगी कि कहीं ऐसा तो नहीं कि चल-अचल सम्पत्ति या ऋण हड़पने के लोभ में अथवा कोई व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के चक्कर में किसी शातिर रिश्तेदार, पड़ोसी या मित्र वर्ग से जुड़े किसी भरोसेमंद व्यक्ति ने इस पूरे कांड की सुपाड़ी किसी काला जादूगर को दे दी हो, जिसने आहिस्ता-आहिस्ता सबका काम तमाम कर दिया व यश-अपयश लूट लिया। मसलन, मृतकों के रिश्तेदारों ने भी इस अप्रत्याशित सामूहिक मौत पर सवाल खड़े किए और बोले कि किसी साजिश के तहत पूरे परिवार की हत्या की गई है, इसलिए पुलिस सच्चाई सामने लाए। नि:संदेह, पुलिस यदि मृतकों के कॉल डिटेल्स की बरीकीपूर्वक पड़ताल करेगी तो संभव है कि हत्यारा पकड़ा जा सके।
हालांकि आसपास के सीसीटीवी कैमरे से भी सच के निकट तो पहुंचा ही जा सकता है, लेकिन महानगर के अपराधी इस बात से भलीभांति वाकिफ होते हैं, इसलिए ऐसा कोई सुराग छोड़ेंगे सहसा विश्वास नहीं होता। देखा जाए तो भाटिया परिवार सामूहिक हत्याकांड दिल्ली के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी वारदात है। इससे पहले बुराड़ी में ही एक ही परिवार के छह लोगों की हत्या वर्ष 2017 में कर दी गई थी जिसमें बसपा नेता मुनव्वर हसन समेत उनका परिवार तबाह कर दिया गया था। इस मामले में अंधविश्वास और तंत्र-मंत्र का जो एंगल सामने आया है, वह पेशेवर अपराधियों का षड्यंत्र भी हो सकता है ताकि पुलिस जांच का विषय और दिशा भटक जाए। सवाल यह भी है कि मोक्ष का जो मंत्र रजिस्टर मिला है, उस मंत्र को देने वाला कौन है? क्या कोई मंत्रदाता किसी को खुदकुशी के लिए प्रेरित कर सकता है? अगर खुदकुशी है तो क्या उस मंत्र दाता के खिलाफ खुदकुशी के लिए उकसाने और अंधविश्वास को फैलाने आदि का केस नहीं होना चाहिए। बहरहाल, पुलिस जांच जारी है और इस मौत की असली वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है! जिससे 11 लोगों की मौत का रहस्य और पेचीदा होता जा रहा है!
बेशक भाटिया परिवार धार्मिक था और मिलनसार भी, लेकिन इन सबके सामाजिक जज्बे को आखिर किस शातिर की नजर लग गई, यह जानना हम सभी के लिए जरूरी है ताकि अगला कोई परिवार ऐसे किसी कुचक्रियों का सहज शिकार नहीं बन पाए। कहा जा रहा है कि परिवार के छोटे बेटे ललित ने ही मोक्ष के लिए परिवार के सभी सदस्यों को सूली चढ़वाया और खुद भी आत्महत्या कर ली। एक परिवार के 11 सदस्यों के एकसाथ आत्महत्या के पीछे कोई बाबा या तांत्रिक का हाथ नहीं मिला है। यह बात पुलिस दावे से कह रही है। खुद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कह रहे हैं कि शुरुआत में उन्हें भी शक था कि ललित को कर्मकांड और सामूहिक आत्महत्या के लिए उकसाने में किसी बाबा या गुरु का हाथ हो सकता है, लेकिन आगे की जांच में लगभग साफ हो गया है कि उनका किसी बाबा से संपर्क नहीं था। ऐसा लग रहा है कि वह किसी गंभीर मानसिक रोग से ग्रस्त थे, क्योंकि वह अपने मृत पिता को देखने और उनसे सलाह-मशविरा करने का दावा करते थे। यहां तक कि मृत पिता की सलाह पर कारोबारी और प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त के फैसले भी लिया करते थे। यह अलग बात है कि ललित को उनके परिजन मानसिक रोगी नहीं मानते थे, बल्कि उन्हें स्पेशल पॉवर से लैस मानते थे, इसलिए उन पर भरोसा करते थे, उनके साथ पूजा-पाठ आदि करते थे।
ललित ने अपने मृत पिता से (काल्पनिक) बात करके मोक्ष का कर्म-कांड रजिस्टर में लिखा था। उसके लिए कई दिन से तैयारियां चल रही थीं। रजिस्टर की हैंडराइटिंग को मिलान के लिए एक्सपर्ट्स के पास भेजा गया है। पुलिस के अनुसार, रजिस्टर में मोक्ष प्राप्ति के लिए जैसा-जैसा करने को लिखा गया, सभी सदस्यों ने वही किया। क्राइम ब्रांच का कहना है कि रजिस्टर के शुरुआती पन्नों में यह तक लिखा है कि घर में कैसे-कैसे और कहां-कहां लटकना है। इस आधार पर पुलिस मान रही है कि सभी सदस्यों ने एक ही जगह पर फंदे से लटक मंत्रजाप किए। रजिस्टर में लिखा है..पूजा के दौरान आसमान कांपेगा, धरती हिलेगी, लेकिन घबराना नहीं, मैं आकर तुम्हें उतार लूंगा। इससे लग रहा है कि घरवालों ने पूजा के लिए फंदा लगाया होगा। उन्हें भरोसा रहा होगा कि वे मंत्रजाप करके बच जाएंगे या फिर परलोक पहुंच जाएंगे।
कुल मिलाकर, यह मामला लगातार पेचीदा होता जा रहा है। कोई किसी एक निष्कर्ष पर पहुंचने को तैयार नहीं है। यह अंधविश्वास है या हत्या, यह राज जैसे सामने आने को तैयार ही नहीं है। लेकिन एक बात को साफ है भारत लाख तरक्की के बाद भी आज तक अंधविश्वास के जाल से बाहर नहीं निकल सका है। हमारी सरकारों ने कानून भी बना रखे हैं, मगर उन कानूनों को बुराड़ी जैसी घटना मुंह चिढ़ाती नजर आती है। बुराड़ी की घटना हम सभी के लिए आश्चर्य की न होकर सबक लेने वाली ज्यादा है।

रमेश ठाकुर (वरिष्ठ पत्रकार)

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