बॉल टेम्परिंग क्रिकेट की पुरानी बीमारी


राजएक्सप्रेस, भोपाल। (Ball Tampering Cricket) क्रिकेट ही नहीं, बल्कि समूचे खेल इतिहास में इस तरह की हरकतें अक्षम्य मानी गई हैं क्योंकि खेल कोई राजनीति नहीं, जहां साम, दाम, दंड, भेद का सिद्धांत चलता हो। मगर जिस तरह से खिलाड़ियों को इस अघोषित युद्ध में सिर्फ जीतने के लिए झोंक दिया गया है, उसे देखते हुए ऐसी घटनाएं स्वाभाविक लगने लगी हैं। क्रिकेट अभी बहुत सारे फॉर्मेट्स में खेला जाता है। ऐसे में जीतने की जिद में खिलाड़ी गलती कर बैठते हैं, जिसके नतीजे भी उन्हें भुगतने पड़ते हैं।
यूं तो क्रिकेट को जेंटलमैन गेम कहा जाता है लेकिन इससे जुड़ी विवादास्पद खबरें भी समय-समय पर आया करती हैं। ताजा विवाद बॉल टेम्परिंग (गेंद के साथ छेड़छाड़) का है। इस विवाद ने ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम की जमकर फजीहत कर दी है। बॉल टेम्परिंग का पूरा मामला दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में सामूहिक रूप से गेंद से छेड़छाड़ करने से जुड़ा है। यूं तो गेंद से छेड़छाड़ आसानी से पकड़ी नहीं जा सकती मगर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में मैदान में उपस्थित कैमरापर्सन ऑस्कर की नजरों से गेंद से छेड़छाड़ बच नहीं पाई। इस कैमरामैन ने ऑस्ट्रेलियाई टीम के गेंदबाज कैमरन ब्रेनक्राफ्ट को पीले रंग की पट्टी से गेंद को रगड़ते हुए कैमरे में कैद कर लिया।
गेंद के साथ छेड़छाड़ इसलिए की जाती है कि उससे गेंद का आकार बिगड़ जाता है और बॉल ज्यादा स्विंग होने लगती है, जिससे गेंदबाज को ज्यादा विकेट मिलने की संभावना बन जाती है। इस सारे प्रकरण को ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान स्टीव स्मिथ ने मंजूर कर लिया, जिसके कारण पहले तो उन्हें टीम की कप्तानी से हटाया गया। फिर उन्हें, ब्रेनक्राफ्ट तथा डेविड वॉर्नर को तुरंत वापस ऑस्ट्रेलिया भेज दिया गया। मजेदार बात यह है कि भारत के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ भी बॉल टेम्परिंग के मामले में फंस चुके हैं। जब 2001 में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच टेस्ट सीरीज चल रही थी तब सचिन पर गेंद से छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था।
इस आरोप के चलते उनके एक मैच में खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, यह प्रतिबंध बाद में हटा लिया गया था। राहुल द्रविड़ पर 2004 जिम्बाम्बे दौरे के दौरान एक तरह की टॉफी से गेंद को चमकाने का आरोप लगा था। इस आरोप के कारण उन्हें जुर्माना भरना पड़ा था। आईसीसी (इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल) ने क्रिकेट को जेंटलमैन गेम बनाए रखने के लिए कुछ कानून बनाए हैं। इसमें गेंद और बल्ले से जुड़े सख्त कानून भी हैं। इस कानून के मुताबिक, कोई भी खिलाड़ी गेंद के आकार और उसकी बनावट के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकता। यदि ऐसी कोई घटना पाई गई, तो उसे बॉल टेम्परिंग माना जाएगा।
इस संगठन के नियम के मुताबिक, कोई भी खिलाड़ी किसी बाहरी चीज जैसे कटर, चुइंगम, टेप, नाखून या किसी और वस्तु से गेंद को रगड़ नहीं सकता। अगर खेलने के दौरान गेंद उधड़ती है या उसमें कोई और खराबी आती है तो दोनों टीमों के कप्तान अम्पायर से संपर्क कर गेंद को बदलने की मांग कर सकते हैं। बॉल टेम्परिंग दो प्रकार की होती है। बॉल के या तो आधे सरफेस को चिकना कर दिया जाता है या उसे खुरदुरा बना दिया जाता है। ऐसी बॉल जब ज्यादा स्विंग होती है तो बल्लेबाज चकमा खा जाता है और अक्सर अपना विकेट खो देता है। दूसरे तरीके में वैसलीन, लिपबॉम या किसी व तरीके से गेंद के एक हिस्से को चमका दिया जाता है।
ऐसी गेंद जब पिच पर टप्पा खाकर बल्लेबाज के पास पहुंचती है तो उस पर से हवा तेजी से फिसल जाती है, जिससे गेंद स्विंग होना शुरू हो जाती है। इसे बैट्समैन समझ नहीं पाता और आउट हो जाता है। गेंद के एक हिस्से को खुरदुरा बनाने के लिए किसी खुरदुरी चीज से रगड़ा जाता है। इससे जब गेंद पिच पर टप्पा खाकर बल्लेबाज के पास पहुंचती है तो खुरदुरे हिस्से पर हवा का दबाव कम हो जाता है और गेंद स्विंग होने लगती है। इसके अलावा खिलाड़ियों को अपने दांत, पैंट की जिप, मिट्टी, कोल्ड ड्रिंक की बॉटल के ढक्कन जैसी चीजों से बॉल टेम्पर करते हुए पकड़ा जा चुका है।
हां, खिलाड़ियों को यह छूट नियम देते हैं कि खिलाड़ी गेंद में चमक लाने के लिए पसीने या लार जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर लें। पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी वकार युनूस बॉल टेम्परिंग के कारण सजा पाने वाले पहले खिलाड़ी थे। सन् 2000 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जब पाक की टीम वनडे मैच खेल रही थी तो वकार युनूस को गेंद की सीम के साथ छेड़छाड़ का दोषी पाया गया था। इसके बाद वकार युनूस पर आईसीसी ने एक मैच के लिए बैन लगा दिया था। पाकिस्तान की ही टीम पर टेस्ट मैच में गेंद से छेड़छाड़ करने का आरोप 2006 में लगा था, जिसके कारण टीम दो दिन के आखिरी सत्र के लिए मैदान में नहीं उतरी, जिसके कारण अंपायरों ने इंग्लैंड को विजेता घोषित कर दिया था।
एक अन्य मामले में भी 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक टी-20 मैच में पाकिस्तान की टीम के तत्कालीन कप्तान शाहिद अफरीदी पर आरोप लगा था कि उन्होंने गेंद को घीसा। अफरीदी का कहना था कि वे गेंद को सूंघ रहे थे, मगर अंतत: उन्हें बॉल टेम्परिंग का दोषी पाया गया। बॉल टेम्परिंग के मामले में भले ही सजा पाने वाले पहले खिलाड़ी वकार युनूस रहे हों लेकिन गेंद से छेड़छाड़ करने का पहला आरोप सत्तर के दशक में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जॉन लीवर पर लगा था। उस समय भारतीय टीम के कप्तान बिशनसिंह बेदी थे। उन्होंने जॉन लीवर पर बॉल पर वैसलीन लगाने का आरोप लगाया था।
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइकल एथरटन ने भी जेब में रखी मिट्टी से गेंद के साथ छेड़छाड़ की थी। पूर्व भारतीय विकेट कीपर सैयर किरमानी ने यहां तक कहा कि ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट प्रशासकों को ऑस्ट्रेलिया की टीम के कोच डेरेन लेहमेन के खिलाफ भी कठोर कदम उठाया जाना चाहिए। भारतीय टीम के चयनकर्ता रह चुके किरमानी का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया की टीम धोखेबाज है। उस पर कम से कम पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए। अगर पूरे मामले को देखें, तो सबसे अफसोसनाक यह है कि गेंद को खराब करने की हरकत के पीछे किसी एक खिलाड़ी की सनक नहीं थी, बल्कि जो किया गया, वह सुनियोजित रूप से किया गया और इसमें टीम का नेतृत्व भी शामिल था।
बहरहाल, मैच के दौरान गेंद से छेड़छाड़ के कारण आस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम के कप्तान पद से स्टीव स्मिथ और उपकप्तान पद से डेविड वार्नर को आखिरकार अपने-अपने पद से हटना पड़ा। इस वाकये से आस्ट्रेलियाई क्रिकेट की साख गिरी है। साथ ही, यह घटना पूरे क्रिकेट जगत के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। जीतने का जज्बा जरूरी है और वही खेलों को रोमांचक बनाता है। पर जज्बा और किसी भी कीमत पर जीत हासिल करने की मनोवृत्ति, दो एकदम अलग-अलग चीजें हैं।
किसी भी कीमत पर जीतने की अंध-इच्छा गलत-सही के विवेक को हर लेती है और तब जहां खिलाड़ी को बेईमानी से संकोच नहीं होता, वहीं दर्शक या प्रशंसक उन्मादी बन जाते हैं जो खेल नहीं, हर हाल में सिर्फ और सिर्फ अपनी टीम की जीत देखना चाहते हैं। इस मानसिकता से उबरे बिना खेलों को बेईमानी का खेल बनने से नहीं रोका जा सकता। उम्मीद है कि अब कोई टीम ऐसा नहीं करेगी और जेंटलमैन गेम की प्रासंगिकता व विश्वसनीयता बनी रहेगी। क्रिकेट का खेल सिर्फ खेल नहीं है। यह लाखों-करोड़ों लोगों की भावनाओं से भी जुड़ा है।

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