अब बदली दिखेगी स्टेशनों की सूरत, सूची मेंयूपी के दो रेलवे स्टेशन भी शामिल



कुछ दिनों पहले जब रेलवे स्टेशनों पर स्वच्छता सर्वे की रिपोर्ट आई थी, तब देश के कई स्टेशनों की बदहाली सामने आ गई थी। इसमें मध्यप्रदेश के भी कई रेलवे स्टेशनों की बदतर हालत की तस्वीर दिखी थी। इस लिहाज से केंद्र सरकार ने देश के कई रेलवे स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया है, जो बिलकुल सही है। वैसे इस फैसले का स्वच्छता सर्वे से कोई लेना-देना नहीं है, स्टेशनों को निजी हाथों में देने की रूपरेखा काफी दिनों से तैयार की जा रही थी। अब इस योजना को सिर्फ मूर्तरूप दिया जा रहा है। फिर भी इस फैसले को स्वच्छता सर्वे से ही जोड़कर देखें, तो मान लेना चाहिए कि यात्रियों के अच्छे दिन आने वाले हैं। इस फैसले के कई अर्थ सामने आएंगे। यात्रा के दौरान स्टेशनों पर फैली गंदगी व साफ पानी की समस्या के साथ ही अराजक तत्वों के जमावड़े से निजात मिल जाएगी।

संक्षेप में सरकार के फैसले को देखें, तो देश के 23 रेलवे स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया गया है। इस सूची में राजस्थान का उदयपुर व यूपी के दो रेलवे स्टेशन भी शामिल हैं-कानपुर सेंट्रल और इलाहाबाद जंक्शन। 28 जून को ऑनलाइन नीलामी होनी है। कानपुर रेलवे स्टेशन की कीमत 200 करोड़ रुपए और इलाहाबाद जंक्शन की 150 करोड़ रुपए रखी गई है। नीलामी के दो दिन बाद 30 जून को इसका एलान होगा। निजी हाथों में सौंपने से स्टेशन का विकास भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा। तीन सितारा होटल, मॉल, लजीज व्यंजनों के स्टॉल और मनोरंजन के साधन भी विकसित किए जाएंगे। सबसे अहम बात यह कि यह सब काम निजी कंपनी कराएगी। 45 वर्षो की लीज पर सेंट्रल स्टेशन निजी कंपनी के हवाले किया जाएगा। कंपनी यहां विकास पर दो सौ करोड़ से ज्यादा राशि खर्च करेगी।
ऐसा नहीं है कि निजी हाथों में जाने से स्टेशन पर सरकार का कोई अधिकार नहीं रहेगा। सरकार पहले की ही तरह अपना अधिकार बनाए रखेगी। कंपनी और रेलवे के बीच सिर्फ काम का बंटवारा होगा। ट्रेन संचालन, पार्सल, टिकटिंग, तकनीकी, परिचालन, लॉ एंड आर्डर जैसे काम रेलवे के पास पहले की ही तरह रहेंगे। कंपनी के पास पूछताछ, प्लेटफार्म, यूटीएस और होटल-मॉल आदि का संचालन होगा। कंपनी और रेलवे के बीच होने वाली आय में भी बंटवारा होगा। हालांकि, अभी हिस्से का फीसद तय नहीं हो सका है। रेलवे स्टेशनों की तरह ही पुरानी यात्री बोगियों को एलएचबी बोगियों की भांति सुरक्षित बनाने के लिए भी रेलवे निजी क्षेत्र की मदद लेगा। विकसित देशों के मुकाबले भारत में ट्रेन हादसे तो कम हैं, पर हादसों में मरने और घायल होने वालों की संख्या बहुत ज्यादा होती है। लिहाजा अन्य नवीकरण और रखरखाव पर ध्यान देने के अलावा बोगियों को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षित बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत चालू वित्तीय वर्ष के दौरान दो हजार बोगियों में सेंट्रल बफर कपलर (सीबीसी) लगाए जाएंगे। इसी तरह अगले साल पांच हजार बोगियों और उसके बाद सात हजार बोगियों में यही काम किया जाएगा।
कुल मिलाकर, केंद्र सरकार के दोनों फैसले रेल यात्र के दौरान यात्रियों को सुखद अहसास कराने वाले हैं। इन दोनों फैसलों से रेलवे पर पड़ रहे राजस्व के अतिरिक्त बोझ से तो मुक्ति मिलेगी, साथ ही यात्र भी सुरक्षित होगी। कुछ लोग इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, फिर भी यह एक ऐसा फैसला है, जो दिक्कतों को दूर करेगा। अब तक स्टेशनों पर कदम रखते ही यात्री का सामना गंदगी से सबसे पहले होता है। फिर गर्मी के दिनों में साफ पानी का अभाव और प्लेटफार्मो पर अराजक तत्वों का जमावड़ा तकलीफों को और बढ़ा देता है। रेलवे की पुलिस हो या कर्मचारी कई बार यात्रियों से उलझते ही दिखाई देते हैं। निजी हाथों में आने के बाद तो कम से कम ऐसा नहीं होगा। नीलामी के बाद जो काम कंपनियों के हिस्से में आएंगे, वह सुधरे दिखेंगे।

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