बेटियों के बिना अधूरा है संसार, समाज में बेटियों के अस्तित्व को स्वीकारें व उन्हें पूरा सम्मान भी दें
देश में कानूनी तौर पर लिंग परीक्षण भले ही प्रतिबंधित है, लेकिन इसे प्रतिबंधित किए जाने के मायने तब तक अधूरे रहेंगे, जब तक प्रशासन, कानून और माता-पिता खुद अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे। कानून के बावजूद लिंगानुपात में बेटियां घट रही हैं। एक ओर बेटे के सानिध्य, संपर्क और संबल से वंचित होते बूढ़े मां-बाप के अश्रुपूर्ण अनुभव और भारतीय आंकड़े मातृत्व और पितृत्व के लिए खुद में एक नई चुनौती बनकर उभर रहे हैं। सभी देख रहे हैं कि बेटियां दूर हों, तो भी मां-बाप के कष्ट की खबर मिलते ही दौड़ी चली आती हैं, बिना कोई नफे-नुकसान का गणित लगाए, बावजूद इसके भारत ही नहीं, दुनिया में बेटियां घट रही हैं। काली बनकर दुष्टों का संहार करने वाली अब बेटी बनकर पिता के गुस्से का शिकार बन रही है। देश के 21 बड़े राज्यों में से 17 राज्यों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है। गुजरात में गिरावट 53 अंक नीचे पहुंच गई है। नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में भ्रूण का लिंग परीक्षण कराकर होने वाले गर्भपात के मामले में जांच की जरूरत पर जोर दिया गया है। गुजरात के बाद हरियाणा का स्थान है। यहां 35 प्वॉइंट्स की...
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