यादव की मुश्किलें बढ़ी, अपना ही बोया काट रहे हैं लालू यादव



लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें इन दिनों बढ़ी हुई हैं। यूं तो वे पहले से चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता हैं एवं जमानत पर जेल से बाहर हैं। मगर अब उनसे लेकर उनके परिवार के सदस्यों तक के खिलाफ एक के बाद एक आरोप जिस तरह से सामने आए तथा सरकारी एजेंसियों द्वारा उन पर कार्रवाई हुई है, उससे साफ है कि लालू की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। अब शायद वक्त आ गया, जब उन्हें अपने पूरे कच्चे-चिट्ठे का हिसाब देना होगा। पिछले दिनों सीबीआई ने लालू के कई ठिकानों पर छापेमारी की। आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए उन्होंने पटना के चाणक्य होटल के मालिकों के साथ मिली-भगत करके उन्हें रांची एवं पुरी स्थित रेलवे के दो होटल बिना किसी टेंडर के बेहद सस्ते में लीज पर दे दिए। इसके बदले में लालू को पटना में तीन एकड़ जमीन प्राप्त हुई। यह जमीन पहले तो उनके सहयोगी प्रेमचंद गुप्ता की कंपनी को दी गई, जो कंपनी बाद में लालू और उनके परिवार की हो गई। यह वही भूमि है, जिस पर तेजस्वी यादव बड़ा शॉपिंग मॉल बनाने वाले थे। लेकिन अब इस मामले के सामने आ जाने के बाद प्रवर्तन निदेशालय लालू पर मनी लॉड्रिंग का मुकदमा दर्ज करने जा रहा, जिसके बाद इन अवैध संपत्तियों (होटल व जमीन) को जब्त करने की कार्रवाई कानूनन की जा सकेगी।
बहरहाल, इतना तो जाहिर है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए किस हद तक अपने पद का दुरुपयोग किया है। यह तो सिर्फ एक मामला है, जो प्रकाश में आ गया है। इसे देखते हुए इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि ऐसे और भी गोरखधंधे लालू ने अपने रेलमंत्रित्व काल में किए होंगे। यह तो सिर्फ लालू और उनके बेटों की बात हुई। उनकी बेटियां भी घोटालों की इस नदी में हाथ धोने में पीछे नहीं रही हैं। लालू यादव के ठिकानों पर सीबीआई के छापों के कुछ वक्त बाद उनकी बेटी मीसा भारती के तीन ठिकानों पर भी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा छापेमारी की गई। यह मामला मनी लॉड्रिंग का था। बेनामी संपत्ति के मामले में भी मीसा और उनके पति शैलेश कुमार आरोपी हैं। इससे स्पष्ट है कि लालू के परिवार में लालू की कृपा से जिसे, जहां, जब अवसर मिला है, उसने हाथ साफ करने में देर नहीं लगाई। अब इन्हीं गोरखधंधों की पोलपट्टी खुलकर सामने आ रही है, तो लालू से कोई जवाब देते नहीं बन रहा है। इन कार्रवाइयों पर उनका यही बयान होता है कि यह सब भाजपा नीत केंद्र सरकार की उन्हें चुप कराने की साजिश है। पर यह बात कुछ नहीं हजम नहीं होती। गौर करें तो इस वक्त भाजपा अपने सवरेत्कृष्ट राजनीतिक दौर में है, मगर लालू यादव की वर्तमान राजनीतिक दशा ‘संतोषजनक’ से अधिक कुछ नहीं कही जा सकती है। सिवाय बिहार की गठबंधन सरकार के लालू का कोई ठोस राजनीतिक वजूद अभी नजर नहीं आता।
यह गठबंधन भी हर समय किंतु-परंतुओं के भंवर में ही गोते लगाता रहता है। इसके अलावा लालू के पास न तो लोकसभा में कुछ है, न ही राज्यसभा में। अन्य किसी राज्य में भी उनका कोई वजूद नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि भाजपा जैसी ताकतवर पार्टी को लालू यादव से क्या दिक्कत हो सकती है कि वह उन्हें चुप कराने के लिए सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल जैसे हथकंडे अपनाएगी? यह एकदम निराधार बात है। असली बात यह है कि लालू के ये ज्यादातर कारनामे कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के जमाने के हैं। कांग्रेस ने लालू के इन कारनामों को आधार बनाकर उन्हें अपने हाथों की कठपुतली बनाए रखा। तभी तो लालू कांग्रेस के साथ किसी गठबंधन में रहें या न रहें, मगर उसके खिलाफ कभी वे कठोर तेवर नहीं दिखाते हैं। वे प्राय: उसके समर्थन में ही खड़े नजर आते रहते हैं। मगर अब केंद्र की भाजपा सरकार के सामने जैसे-जैसे लालू यादव के कच्चे-चिट्ठे आने लगे हैं, वह उन पर कार्रवाई करने लगी है। पूरी संभावना है कि लालू ने भाजपा को भी साधने का प्रयत्न किया होगा, मगर फिलहाल उनके पास ऐसा कुछ भी नहीं है कि वे भाजपा को साध सकें। सो, उन्हें कामयाबी नहीं मिली होगी। इसीलिए उन्होंने इन सब कार्रवाइयों को भाजपा नीत केंद्र सरकार की साजिश बताने को अपना शगल बना लिया है। लेकिन अब वे चाहे जो कहते रहें, अपने काले कारनामों की कालिख से बच नहीं सकते। उन्हें जवाब तो देना पड़ेगा।
कभी बिहार की राजनीति में डेढ़ दशक तक लगातार हुकूमत करने वाले लालू यादव की यदि आज यह दशा है तो इसके लिए सामाजिक न्याय की आड़ में उनके द्वारा की जाती रही जातिवाद और परिवारवाद पर आधारित राजनीति तथा अपराधियों के प्रश्रय से बिहार में स्थापित किया गया जंगलराज ही जिम्मेदार है। बिहार को सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक रूप से जितना नुकसान लालू प्रसाद यादव ने पहुंचाया, उतना और किसी ने नहीं पहुंचाया है। यह नुकसान इतना तगड़ा था कि उससे आज तक बिहार उबर नहीं सका। अब लालू को इन सबका हिसाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि केंद्र में कांग्रेस नहीं है, जिसकी जी-हुजूरी करके वे खुद को बचा लेंगे। केंद्र में अब नरेंद्र मोदी की सरकार है, जो भ्रष्टाचारियों के खिलाफ समुचित कार्रवाई करती है।

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