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Showing posts from June, 2018

काला के संदेश को समझें हम

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। हर फिल्म की बनावट पर अपने समय, काल और परिस्थितियों की छाप जरूर होती है लेकिन हाल ही में आई रजनीकांत की फिल्म ‘काला’ (Rajinikanth Film Kaala) इससे आगे बढ़कर अपना सांस्कृतिक प्रतिरोध दर्ज कराती है, यह अपनी बुनावट में सदियों से अपना वर्चस्व जमाये बैठे ब्राह्मणवादी संस्कृति की जगह दलित बहुजन संस्कृति को पेश करती है और पहली बार मुख्यधारा की कोई फिल्म बहुजनों के आत्मा की बात करती है। यह फिल्म जो संदेश देना चाह रही है, उसे आत्मसात करना ही होगा। ‘पुरोहितों ने पुराणों की प्रशंसा लिखी है। कम्युनिस्टों और विवेकवादी कई लेखकों ने इन पुराणों की टीकायें लिखी हैं, लेकिन किसी ने भी यह नहीं सोचा कि हमारी भी कोई आत्मा है जिसके बारे में बात करने की जरूरत है।’ (कांचा इलैया की किताब “मैं हिन्दू क्यों नहीं हूं से) फिल्में मुख्य रूप से मनोरंजन के लिए बनायी जाती हैं लेकिन सांस्कृतिक वर्चस्व को बनाए रखने में फिल्मों की भी भूमिका से इनकार नही किया जा सकता है। हर फिल्म की बनावट पर अपने समय, काल और परिस्थितियों की छाप जरूर होती है लेकिन हाल ही में आई रजनीकांत की फिल्म ‘काला’ इससे आगे बढ

पानी को लेकर गंभीर हों हम

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। पिछले दिनों आई नीति आयोग की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में करीब साठ करोड़ लोग पानी की घोर कमी (Heavy Water Crisis)का सामना कर रहे हैं। 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध आपूर्ति से दोगुना होने का अनुमान है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि दस-बारह साल बाद क्या होगा। इसरो के पूर्व अध्यक्ष के.कस्तूरीरंगन का कहना है कि भारत के जल(water) उपयोग में कृषि-कार्यो में होने वाले इसके इस्तेमाल को पचास फीसद से नीचे लाने की जरूरत है। साथ ही, जल की एक-एक बूंद को बचाने और उसके प्रबंधन की कोशिश की जानी चाहिए। कस्तूरीरंगन का यह आग्रह दरअसल वक्त का तकाजा है। भारत में जल संकट दिनोंदिन और गहराता जा रहा है। पिछले दिनों आई नीति आयोग की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में करीब साठ करोड़ लोग पानी की घोर कमी का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध आपूर्ति से दोगुना होने का अनुमान है। ऐसे में, अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगले दस-बारह साल बाद कैसे भयावह हालात होंगे। अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए होने की कथित भविष्यवाणी सही हो या नहीं, यह अभी से दिख रहा है

चीन को भारत का कड़ा जवाब

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। भारत और पाक के साथ त्रिपक्षीय वार्ता (India Pakistan China Trilateral Summit)का जो शिगूफा चीन ने फेंका है, उसे भारत सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। यह सुझाव भारत में चीन के राजदूत ने दिया था। कुछ भी हो, इसके पीछे चीन की ही चाल है, क्योंकि अपने देश से इशारा मिले बिना राजदूत कुछ नहीं करते। भारत और पाक के साथ त्रिपक्षीय वार्ता का जो शिगूफा चीन ने फेंका है, उसे भारत सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। हालांकि यह सुझाव चीन सरकार की ओर नहीं आया था, बल्कि दिल्ली स्थित चीनी दूतावास में आयोजित एक सेमिनार में भारत में चीन के राजदूत ने रखा था। सेमिनार का विषय था कि वुहान के बाद बदले माहौल में भारत और चीन के रिश्ते कितनी तेजी से और कहां तक ले जाए जा सकते हैं। भारत सरकार ने इसे रत्ती-भर तवज्जो नहीं दी और इसे चीनी राजदूत की निजी राय करार दिया। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह संभव है कि अपनी सरकार के इशारे के बगैर, चीनी राजदूत ऐसा सुझाव रखते? दरअसल, ऐसा कर चीन ने भारत का रुख भांपने की कोशिश की होगी कि मौजूदा दौर में भारत पर किस हद तक डोरे डाल कर अपने हित साधे जा सकते हैं। इसलिए

नगालैंड में फिर बढ़ रही अशांति

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। नगालैंड में सुरक्षा बलों पर किए जा रहे उग्रवादी हमले (Nagaland Militants Attack)बता रहे हैं कि राज्य में अशांति का दौर थमा नहीं है। उग्रवादियों ने गत 14 दिनों में तीन बार असम राइफल्स के जवानों को निशाना बनाया। यह हरकत उग्रवादियों के नगालैंड में फिर से सिर उठाने की परिचायक है। नगालैंड में सुरक्षा बलों पर उग्रवादी हमले बता रहे हैं कि राज्य में अशांति का दौर थमा नहीं है। उग्रवादियों ने पिछले 14 दिनों में तीन बार असम राइफल्स के जवानों को निशाना बनाया। रविवार को राज्य के मोन जिले में नगा उग्रवादियों के हमले में चार जवान शहीद हो गए। छह जून को भी इसी जिले में नगा उग्रवादियों ने असम राइफल्स के एक शिविर पर धावा बोला था। अभी 20 जून को उग्रवादियों ने फिर जवानों पर हमला किया। राहत की बात यह है कि इस बार वे अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो पाए। पिछले महीने की तीन तारीख को मोन जिले के चांगलांसू में नगा उग्रवादियों के हमले में असम राइफल्स के आठ जवान शहीद हो गए थे। हिंसा का यह सिलसिला चिंताजनक है। नगा उग्रवादियों की रणनीति घात लगा कर हमले करने की रही है, ताकि अधिक से अधिक संख

बाबाओं ने डिगाई आस्था

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। गुरमीत राम रहीम और आसाराम को सजा होने के बाद संदेश यही गया था कि अब धर्म और आस्था के नाम पर कोई भी बाबा छल-कपट करने से बचेगा, मगर ऐसा हुआ नहीं। ताजा मामला दाती महाराज (Dati Maharaj)से जुड़ा है। उन पर आश्रम की एक लड़की ने बलात्कार का आरोप लगाया है। संभव है कि उन पर लगे आरोप गलत साबित हो जाएं और वे बरी हो जाएं, मगर अभी जो आस्था संदेह के घेरे में आई है, उसका क्या किया जाए? अब इस दिशा में सोचना बेहद जरूरी हो गया है। हाल में शनिधाम मंदिर के संस्थापक दाती महाराज पर राजस्थान की एक 25 वर्षीय युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है। युवती ने बाबा के तीन सौतेले भाइयों पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि यह सभी मेरे सिवाय कई लड़कियों से वर्षो से दुष्कर्म कर रहे थे। इससे पहले आसाराम बापू, गुरमीत राम रहीम के अलावा ऐसे कई प्रचलित नाम है जिन पर इस तरह के आरोप लग चुके है। अब सवाल यह उठता है जिन पर भक्त आंख मूंद कर भरोसा करते हैं और भगवान से जुड़ने का किसी धर्मगुरु के रूप में एक सुगम माध्यम ढूंढते हैं, वे भक्त अब क्या किसी और पर भरोसा दिखा पाएंगे। बाबाओं के प्रति एक तरह से नकारात्मक लहर

मन को सशक्त करने का माध्यम है योग

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। आज विश्व योग दिवस (International Yoga Day) है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण जीवनचर्या योग को आज पूरी दुनिया में स्वास्थ्य लाभ के वैदिक सूत्र के रूप में देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस किसी तरह के मतभेद अथवा भेदभाव के कारण उपजी अवधारणा नहीं। यह तो मात्र सार्वभौमिक कल्याण और विश्व शांति के लिए किया जाने वाला एक शुद्ध यज्ञ है। इसमें सभी को यत्नपूर्वक सम्मिलित होना चाहिए। World Yoga Day:  पिछले चार वर्षो के भारतीय शासन की उपलब्धियों में से एक अति महत्वपूर्ण और अविस्मरणीय उपलब्धि है-अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन। इस वर्ष भारतीय संस्कृति एवं आयुर्वेद पद्धतियों तथा चारों वेदों में केंद्रक स्वास्थ्य विचार के रूप में मानित योग विद्या’ यदि आज इस सदी के इस कालखंड में संपूर्ण विश्व में व्याप्त हो चुकी है, तो इसका श्रेय आदिकालीन भारतीय जीवन संहिता की महानता को जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से भारतीय संस्कृति की महत्वपूर्ण जीवनचर्या योग को आज पूरी दुनिया में स्वास्थ्य लाभ के वैदिक सूत्र के रूप में देखा जा रहा

भाजपा का एक और साहसिक फैसला

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी गठबंधन (BJP-PDP Alliance Ends)टूट गया है। अपनी आतंक विरोधी छवि खराब होने के बाद भाजपा ने महबूबा सरकार से समर्थन वापस ले लिया। यह फैसला साहसिक है। अब कश्मीर में केंद्र सरकार की आतंक विरोधी मुहिम तेज हो सकेगी। जम्मू-कश्मीर में मार्च-2015 में पीडीपी-भाजपा के बीच हुए बेमेल गठबंधन वाली सरकार आखिरकार गिर गई। भाजपा ने महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया है। जब से राज्य में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार बनी थी सेना, पत्थरबाजों-आतंकियों और नीतियों के मोर्चे पर दोनों पार्टियों के मतभेद खुलकर सामने आ रहे थे, लेकिन गठबंधन तोड़ने का फैसला भाजपा ने 40 महीने बाद लिया। वैसे, अचानक लिये गए इस फैसले के गंभीर मायने हैं। रमजान के आखिरी दिन जवान औरंगजेब और पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के बाद केंद्र सरकार आतंकियों के खिलाफ सीजफायर को लेकर बैकफुट पर आ गई थी। पिछले चार साल में कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सरकार की कार्रवाई इस एक महीने में धुलने लगी थी। बहरहाल, अगर भाजपा और पीडीपी के अलग होने के कारणों की समीक्षा करें, तो ब

अखिलेश से शर्मसार हुआ लोकतंत्र

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बंगले (Akhilesh Yadav Bungalow Controversy) में तोड़फोड़ का मामला रोज ही नई परतें खोल रहा है। लेकिन एक शानदार बंगले को जिस तरह लगभग खंडहर में तब्दील किया गया, वह गंभीर प्रश्न उठाता ही है। नेताओं के एक बड़े वर्ग के अंदर सभी सुख सुविधाओं से लैश जीवन आम बात हो रही है। यह पूरी राजनीति एवं भारतीय लोकतंत्र के भविष्य की दृष्टि से चिंताजनक है। यह स्थिति राजनीति में बदलाव की मांग करती है। निश्चित रूप से यह देश के हर विवेकशील व्यक्ति के लिए कई मायनों में सन्न कर देने वाला वाकया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव का खाली किया गया बंगला जिस स्थिति में मिला है उसे खंडहर के सिवा कुछ कह ही नहीं सकते। एक शानदार बंगले को जिस तरह उन्होंने खाली करने के साथ नष्ट कर दिया वह कोई सामान्य खबर नहीं है। उसके बाद उनका यह बयान है कि सरकार सूची भिजवा दे हम वे सारे सामान वापस भिजवा देंगे। ऐसी ढिढाई के लिए कौन सा शब्द प्रयोग किया जाए यह तलाश करना मुश्किल है। यही नहीं पत्रकारों को बंगला दिखाने की व्यवस्था करने

मप्र में बेटियों के हक में स्वर्णिम पहल

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। आज के आधुनिक समाज में बेटियों और महिलाओं (Women in Society)को लेकर जिस तरह का उपेक्षित रवैया अख्तियार कर लिया गया है, वह ठीक नहीं है। मध्यप्रदेश समेत दूसरी सरकारें महिलाओं का जीवन स्तर सुधारने और उन्हें भयमुक्त माहौल देने के लिए तमाम योजनाएं चला रही हैं, मगर योजनाएं तब तक अपना काम नहीं कर पाएंगी, जब तक हम खुद को नहीं बदलेंगे। अत: जरूरी है कि समाज महिलाओं को लेकर अपनी सोच में बदलाव लाए और उनके रास्ते का पत्थर न बने। देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश बदल रहा है। इस बात का गवाह है बीते 15 सालों का स्वर्णिम दौर। एक के बाद एक बेटियों की सुरक्षा और उनके बढ़ते रहने के लिए शिवराज सिंह सरकार ने जो कोशिश की है, उसका अनुसरण अब देश के दूसरे राज्य भी तेजी से कर रहे हैं। बेटियों के जन्म से लेकर उन्हें आर्थिक रूप से संबल बनाने तक की हर कोशिश मध्यप्रदेश में हुई है। बेटियों के दुष्कर्मियों को फांसी की सजा हो या फिर लाडली लक्ष्मी योजना की शुरुआत। इन कोशिशों का सुफल यह निकला कि बाल विवाह जैसी कुरीतियां कम होती जा रही हैं। यह मध्यप्रदेश के बदलाव का सबसे बड़ा सबूत है। इतिहास गवाह है कि

हर एक दिल में है, इस ईद की खुशी

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। आज ईद (Id-Ul-Fitr) का पर्व है। यह पर्व आपसी भाईचारे के साथ रहने और एक-दूसरे में प्रेम का भाव जागृत करने का जरिया है। कुरान में कही गई बातों पर अमल करके न सिर्फ हम समाज को नई दिशा दे सकते हैं, बल्कि इंसानियत को भी जिंदा रख सकते हैं। ईद का पर्व जो संदेश देता है, वह किसी एक धर्म या फिर मजहब के लिए नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए है। यह हम सभी का दायित्व है कि इस दिन कुरान में कही गई बातों पर अमल करें। दुनिया भर के मुसलमानों के लिए ईद-उल-फितर(Id-Ul-Fitr) की बेहद अहमियत है। यह त्यौहार इस्लाम के अनुयायियों के लिए एक अलग ही खुशी लेकर आता है। ईद के शाब्दिक मायने ही  ‘बहुत खुशी का दिन’  है। ईद का चांद आसमां में नजर आते ही माहौल में एक गजब का उल्लास छा जाता है। हर तरफ रौनक ही रौनक अफरोज हो जाती है। चारों तरफ मोहब्बत ही मोहब्बत नजर आती है। एक मुकद्दस खुशी से दमकते सभी चेहरे इंसानियत का पैगाम माहौल में फैला देते हैं। शायर मोहम्मद असदुल्लाह ईद की कैफियत कुछ यूं बयां करते हैं, ‘महक उठी है फजा पैरहन की खुशबू से/चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है।’ कुरान के मुताबिक पैगंबर-ए-इ

पानी में मिल सकता है ईंधन

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने समुद्र के गर्भ में हाइड्रोजन गैस (Hydrogen Gas Fuel)का एक विशाल भंडार होने का अनुमान जताया है। समुद्र तल में मौजूद चट्टानों में इसके होने की संभावना है। हाइड्रोजन गैस का भंडार मिलने की स्थिति में ईंधन के इस्तेमाल के मौजूदा तरीके और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। नि:संदेह समुद्र की सतह में हाइड्रोजन के विशाल भंडार मानव प्रजाति के लिए एक वरदान साबित हो सकते हैं। उम्मीद है कि वैज्ञानिक इस मिशन में जल्द सफल होंगे। जी हां, पानी में आग मसलन पानी में ईंधन मिलने की वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है। शुरुआत में वैज्ञानिक खोजें अविश्वसनीय जरूर लगती है, लेकिन अंतत: ये हकीकत के रूप में सामने आकर मानव जीवन को सरल और सुविधायुक्त बनाने का ही काम करती हैं। अब इसी दिशा में अभिनव तलाश जारी है। समुद्र की तलहटी में भविष्य के ईंधन के रूप में हाइड्रोजन गैस बड़ी मात्रा में समाई हुई है। कहा जा रहा है कि इस गैस में अग्नि अंतर्निहित है। इसी आग को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने के उपाय वैज्ञानिक तलाश रहे हैं। अब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने समुद

ट्रंप-किम वार्ता सदी की बड़ी घटना

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। लंबे समय से जारी उहापोह के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन (Donald Trump Kim Jong Meeting)ने हाथ मिला लिया। दोनों नेताओं के बीच सिंगापुर में हुई बैठक पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं। वार्ता के बाद दोनों नेताओं ने जिन वादों और घोषणाओं का जिक्र किया है, वह कब और कैसे अमल में आएगा, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा। वैसे, संभावनाओं से ज्यादा आशंका ज्यादा बलवती है। अब देखना है कि ट्रंप और किम कितने समय तक शांत रहते हैं। सदी की सबसे बड़ी प्रघटना के रूप में दर्ज हो गई अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया प्रमुख किम जोंग के बीच हुई मुलाकात। दुनिया को दो दुश्मनों के मिलन से युद्ध की विभीषिका से मुक्ति के सकारात्मक प्रतिसाद मिला है। मुलाकात के मायने भविष्य में कैसे निकलेंगे वह और बात है लेकिन दोनों कट्टर दुश्मनों का एक साथ बैठना भी किसी चमत्कार से कम भी नहीं। ट्रंप-किम की मुलाकात को कोरियाई प्रायद्वीप के अलावा पूरी विश्व बिरादरी में शांति के उजाले के फैलने जैसा देखा जा रहा है। इन दोनों का न मिलना दुनिया के खत्म होने

ऑनलाइन अभद्रता पर लगाम जरूरी

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। Social Media Indecency: सरकार महिलाओं व बच्चों से संबंधित अशिष्ट और अपमानजनक शब्दों की एक सूची तैयार करने की योजना बना रही है। इस फेहरिस्त में शामिल शब्दों को सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित किया जाएगा। नि:संदेह, सही ढंग से लागू कर त्वरित कार्रवाई की जाए तो यकीनन यह सराहनीय कदम है, क्योंकि ऑनलाइन दुनिया में साझा की जा रही स्तरहीन भाषा और कुत्सित सामग्री दोनों ही असल दुनिया का माहौल बिगाड़ रही हैं। सरकार महिलाओं व बच्चों से संबंधित अशिष्ट और अपमानजनक शब्दों की एक सूची तैयार करने की योजना बना रही है। इस फेहरिस्त में शामिल शब्दों को सोशल मीडिया पर प्रतिबंधित किए जाने का विचार है। गौरतलब है कि महिला और बाल विकास मंत्रालय ऑनलाइन पोर्नोग्राफी सामग्री को हटाने के क्रम में इंटरनेट और सोशल मीडिया में अशिष्ट शब्दों पर लगाम लगाने की तैयारी में है। इस क्रम में सरकार ने बच्चों के लिए डॉग, स्टुपिड और महिलाओं के लिए बिच, रेप जैसे शब्दों को ऑनलाइन और सोशल मीडिया पर अब अस्वीकार्य करार दिया है। महिला और बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक अब चित्रों के अजब-गजब शीर्षक भी स्वीकार नहीं किए

स्वास्थ्य सेवाओं में गिरावट

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा (Plight of Government Hospitals) का एक और नमूना सामने आया है। कानपुर के सबसे बड़े अस्पताल के आईसीयू का एसी खराब होने से पांच मरीजों की मौत हो गई। मगर जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है। यह स्थिति देश की बदतर स्वास्थ्य सेवा को इंगित करती है। यह समस्या इसलिए है, क्योंकि कोई भी जवाबदारी लेने को तैयार नहीं है। मगर अब इस परिपाटी को खत्म करना होगा और अस्पतालों को मरीजों के जीने लायक बनाना होगा। बीमारी से निजात पाने अस्पताल जा रहे मरीजों की जान कब लापरवाही लील ले, किसी को पता नहीं। देश के अस्पतालों में एक के बाद एक किस्से सामने आ रहे हैं, मगर हर कोई बदइंतजामी के सामने बौना नजर आ रहा है। अब कानपुर के सबसे बड़े अस्पताल में एसी खराब होने से पांच मरीजों की मौत हो गई। ये सभी मरीज आईसीयू में भर्ती थे। जब आईसीयू की यह हालत है, तो दूसरे वार्डो में बदइंतजामी और लापरवाही का पैमाना हम आसानी से समझ सकते हैं। दरअसल, किसी भी देश में स्वास्थ्य का अधिकार जनता का सबसे पहला बुनियादी अधिकार होता है, लेकिन भारत में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में रोजाना हज