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Showing posts from March, 2018

ट्रंप-किम के मिलन पर टिकी निगाहें

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)से उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग (Kim jong)की मुलाकात की जमीन चीन में तैयार हो गई है। दोनों नेताओं की मुलाकात पर पूरी दुनिया की निगाह टिकी है। देखना होगा कि ट्रंप अपनी मंशा के मुताबिक किम जोंग को किस हद तक दबाव में रखेंगे। जब अमेरिका (USA) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और उत्तर कोरिया के तानाशाह नेता किम जोंग उन (Kim Jong Un) एक साथ दुनिया के सामने आएंगे, तब वह नजारा सदी का सबसे अनोखा होगा। दुनिया को लगभग तीसरे विश्व युद्ध के दरवाजे तक ला चुके दोनों नेता अब एक-दूसरे से मिलने को तैयार हुए हैं, तो यह कम दिलचस्प नहीं है। ट्रंप और किम जोंग के बीच वार्ता की जमीन तैयार हो गई है। चीन ने इसे तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, बातचीत का जो खाका ट्रंप दुनिया के सामने पेश कर रहे थे, वह पिछले दो दिनों में अचानक बदल गया है। ट्रंप उत्तर कोरिया का ईरान जैसा नि:शस्त्रीकरण कराना चाहते थे, जबकि चीन का रुख उत्तर कोरिया के रुख पर मुहर लगाने का है, जिसके मुताबिक जब तक दक्षिण कोरिया में अमेरिकी फौजों की मौजू

खाप पंचायतों पर नकेल जरूरी

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि शादी के लिए सहमत दो बालिगों के बीच विवाह के मामले में खाप पंचायतों (Khap Panchayats) का किसी भी तरह का दखल अवैध है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ऑनर किलिंग के सारे मामलों का निपटारा विशेष अदालतों के जरिए होना चाहिए। खाप पंचायतों पर नकेल कसना वक्त की जरूरत है, क्योंकि वे समाज में बेहतर संदेश दे पाने में विफल साबित हो रही हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि शादी के लिए सहमत दो बालिगों के बीच विवाह के मामले में खाप पंचायतों (Khap Panchayats) का किसी भी तरह का दखल अवैध है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ऑनर किलिंग के सारे मामलों का निपटारा विशेष अदालतों के जरिए होना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर व न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऑनर किलिंग अवैध है और इसे एक पल भी अस्तित्व में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती। इससे पहले जनवरी माह में अंतरजातीय विवाह के खिलाफ तुगलकी फरमान जारी करने वाली खाप पंचायतों और ऐसे तमाम दूसरे संगठनों को सुप्रीम कोर्ट

छात्रों का भरोसा न टूटने पाए

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। सीबीएसई के 10वीं गणित और 12वीं अर्थशास्त्र का पेपर लीक (CBSE Paper Leak) होना व्यवस्थागत खामी का ताजा उदाहरण है। पेपर लीक होने या नकल कराए जाने का असर उन छात्रों पर पड़ता है, जो मेहनत से लक्ष्य को पाना चाहते हैं। हमारी जिम्मेदारी है कि भरोसा न टूटने दें। सीबीएसई (CBSE) के 10वीं गणित और 12वीं अर्थशास्त्र का पेपर लीक होने की जांच तेज करते हुए पेपर लीक के मुख्य आरोपी विक्की को हिरासत में लिया गया है। वहीं मामले में कुछ छात्रों से भी पूछताछ हो रही है। दूसरी तरफ विक्की को हिरासत में लिए जाने के बाद उसके इंस्टीट्यूट में पढ़ने वाले कई छात्र और माता-पिता समर्थन में उतर आए हैं। छात्रों का कहना है कि उनके शिक्षक निर्दोष हैं, और गलत आरोप लगाए जा रहे हैं। बहरहाल, परीक्षाओं को रद्द करने और फिर से कराए जाने को लेकर बवाल मचा हुआ है। पेपर लीक होने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नाराजगी जताई है। मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर छात्रों को भविष्य में बेहतर व्यवस्था बनाए जाने का भरोसा दे रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि, एक के बाद एक परीक्षा में सामने आ रही धांधली के

कर्नाटक में दिखेगी दिलचस्प जंग

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Assembly Elections Karnataka)भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए करो या मरो की सियासी जंग है। इसके नतीजे का प्रभाव दोनों दलों के लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर पड़ेगा। कांग्रेस हारी तो वह न सिर्फ अंतिम बड़ा और महत्वपूर्ण राज्य गंवा देगी, बल्कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष को खुद के नेतृत्व में एकजुट करने की मुहिम पर पानी फिरेगा। भाजपा नाकाम रही तो राहुल गांधी का बढ़ा सियासी कद परेशानी खड़ी करेगा। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव (Assembly Elections Karnataka) की घोषणा हो गई है। 12 मई को वोटिंग होनी है, जबकि परिणाम 15 मई को घोषित किए जाएंगे। यह चुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिहाज से अहम समझा जा रहा है। 2014 के बाद से लगातार भाजपा से मुकाबले में हार रही कांग्रेस किसी भी कीमत पर यह चुनाव जीतना चाहती है। हाल में कांग्रेस के महाधिवेशन में सोनिया गांधी ने कर्नाटक चुनाव की तुलना 1978 में चिकमंगलूर लोकसभा उपचुनाव में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को मिली जीत से की थी। कांग्रेस को उम्मीद है कि सूबे की जीत उसे 1978 की तरह ही संजीवनी देगी। वहीं, भाजपा के लिए भी यह

संसद में हंगामे की प्रवृत्ति छोड़ें नेता

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। संसद में जारी हंगामे (Disorder in Parliament) के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों के सांसदों को खूब खरी-खोटी सुनाई। सही भी है लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाली संसद में अब काम की जगह हंगामा हावी हो गया है। यह प्रवृत्ति देश के लिए बेहद घातक बनती जा रही है । संसद में जारी गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी सांसदों को जमकर खरी-खोटी सुनाई। राज्यसभा के सांसदों के विदाई भाषण में उन्होंने कहा कि बहुत लोग होंगे जिनकी आखिरी सत्र में इच्छा रही होगी कि वे ऐतिहासिक निर्णयों में शामिल होकर विदाई लें, लेकिन यह सौभाग्य उन्हें नहीं मिला। सालों बाद यह कमी विदा हो रहे सांसदों को सालती रहेगी। मोदी ने जो कहा, उसमें कुछ गलत भी नहीं है। लोकतंत्र का मंदिर कही जाने वाली संसद में आज जो कुछ भी देखने को मिल रहा है वह दुखद और अप्रत्याशित है। संसद के दोनों ही सदनों लोकसभा और राज्यसभा में आए दिन हंगामा और गतिरोध के चलते कार्यवाही को स्थगित करना पड़ता है। यदि ऐसा एकाध बार हो तो भी ठीक है, लेकिन देखने में यही आता है एक दिन में कई-कई बार ऐसा होता है, जो पहले शायद ही हो

श्रम की भागीदारी की अनदेखी क्यों?

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया है कि मां का काम किसी नौकरी में करने वाले काम के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा होता है। इस अध्ययन के अनुसार, एक मां बच्चे की देखभाल में 98 घंटे प्रति सप्ताह काम करती है। बावजूद इसके हमारे परिवारों में न तो बच्चों और परिवार के लिए जीने वाली महिलाओं (Ignorance of Women Labor)के मन की जद्दोजहद समझी जाती है और न ही उनकी भागीदारी को सराहने की सोच मौजूद है। लिहाजा भावनात्मक टूटन के ऐसे दौर में अपनों का सहयोग जरूरी है। हाल ही में एक अध्ययन में सामने आया है कि मां का काम किसी नौकरी (Job) में करने वाले काम के मुकाबले ढाई गुना ज्यादा होता है। इस अध्ययन के अनुसार, एक मां बच्चे की देखभाल में 98 घंटे प्रति सप्ताह काम करती है। इस अमेरिकी सर्वे में 5 से 12 साल की उम्र के बच्चों की दो हजार मांओं को शामिल किया गया जिसके परिणाम हैरान करने वाले रहे। अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि बच्चे को पालना किसी पूर्णकालिक नौकरी से कम नहीं है। अमेरिका में हुई इस हालिया रिसर्च के मुताबिक, एक मां दिनभर में औसतन एक घंटा सात मिनट का समय ही अपने लिए निकाल पाती है। अध

शिक्षा का बाजारीकरण रोकना जरूरी

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राजएक्सप्रेस, भोपाल। बेहतर शिक्षा (Education) उपलब्ध कराने के नाम पर अस्तित्व में आए निजी विद्यालयों की मानसिकता पर अब सवाल उठने लगा है। आजादी के पूर्व और बहुत बाद तक निजी क्षेत्र के सम्मानित नागरिक, राजनेता और व्यापारी शिक्षा के क्षेत्र के लिए अपना योगदान देते थे। बड़ी-बड़ी संस्थाएं खड़ी करते थे, किंतु सोच में व्यापार नहीं, सेवा का ही भाव होता था। आज जो भी लोग शिक्षा के क्षेत्र में आ रहे हैं, वे व्यापार की नीयत से आ रहे हैं। इस दिक्कत को दूर करना बेहद आवश्यक है। समाज में शिक्षा समाज द्वारा पोषित और गुरुजनों द्वारा संचालित रही है। सरकार या राज्य का हस्तक्षेप शिक्षा में कभी नहीं रहा, पर बदलते समय के अनुसार सरकार और राज्य इसे चलाने और पोषित करने लगे। किंतु भावना यही रही है कि, इसकी स्वायत्तता बनी रहे। शिक्षा का यह बदलता दौर नई तरह की समस्याएं लेकर आया है। आज की शिक्षा सरकार से आगे बाजार तक जा पहुंची है। यह शिक्षा समाज के सामाजिक नियंत्रण से मुक्त है और सरकारें भी यहां अपने आपको पूरी तरह से असहाय महसूस कर रही हैं। निजी विद्यालयों से प्रारंभ हुआ यह क्रम अब निजी विश्वविद्यालयों तक

बच्चों को हिंसा से बचाना जरूरी

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राज एक्सप्रेस, भोपाल। सुप्रीम कोर्ट में पेश आंकड़ों के मुताबिक 2016 में ही देश भर में एक लाख बच्चे यौन अपराधों (Child Voilence)के शिकार हुए। यह आंकड़ा वर्ष 2015 के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा है। बच्चों के प्रति हिंसा को रोकने के लिए कानूनी सख्ती के साथ सामाजिक जागरूकता भी जरूरी है। उम्मीद की जाती है कि कोई भी समाज सभ्य होने के साथ-साथ अपने बीच के उन तबकों के जीवन की स्थितियां सहज और सुरक्षित बनाने के लिए तमाम इंतजाम करेगा, जो कई वजहों से जोखिम या असुरक्षा के बीच जीते हैं। लेकिन 21वीं सदी का सफर करते हमारे बच्चे अगर कई तरह के खतरों से जूझ रहे हैं तो निश्चित रूप से यह चिंताजनक है और हमारी विकास-नीतियों पर सवाल उठाता है। बच्चों के खिलाफ अपराध लंबे समय से सामाजिक चिंता का विषय रहे हैं, लेकिन तमाम अध्ययनों में इन अपराधों का ग्राफ बढ़ने के बावजूद इस दिशा में कुछ ऐसा नहीं किया जा सका है, जिससे हालात में सुधार हो। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2015 के मुकाबले 2016 में बच्चों के प्रति अपराध के मामलों में 11 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इनमें भी कुल अपराधों के आ

वो सिर्फ हिंदू नहीं इंसान भी हैं

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राज एक्सप्रेस , भोपाल ।पाकिस्तान में पीढ़ियों से रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें चिंता पैदा करने वाली हैं। हिंदुओं पर अत्याचार अब आम बात होती जा रही है। पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार (Plight of Hindus in Pakistan)को लेकर भारत सरकार ने कई बार पड़ोसी मुल्क से बात की है, मगर उसका रवैया नहीं बदला है। हिंदुओं पर अत्याचार रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे। सरकार जिस तरह से आतंक के मसले पर पाकिस्तान पर दबाव बना रही है, ठीक उसी तरह इस मुद्दे पर भी सख्ती दिखानी होगी। पाकिस्तान में हिंदुओं पर धर्म परिवर्तन करने का दबाब बनाया जा रहा है। राजस्थान से डिपोर्ट हुए हिंदू परिवार पाकिस्तान में मुस्लिम धर्म अपनाने को मजबूर हो रहे हैं। कारण साफ है मुस्लिम नहीं, तो जीना मुहाल। बहू-बेटियों की इज्जत से लेकर जान माल तक सब खतरे में। पाकिस्तान ही नहीं विश्व के कई अन्य मुस्लिम देशों में हिंदुओं की स्थिति ठीक नहीं है। उन पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं, और उनसे जबरदस्ती धर्म परिवर्तन भी कराए जा रहे हैं। पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है वह अब किसी से नहीं छिपा है। पाकिस्तान में अल्प

मुकदमों के बोझ से दबी अदालतें

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राज एक्सप्रेस , भोपाल ।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्यायालयों में बढ़ते लंबित मामलों और जजों के खाली पदों (Court Pending Cases Judges Vacant Post)को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पर सवाल उठाए हैं। भारत में न्यायिक सुधार की बातें सिर्फ बहसों तक सीमित रह गई हैं, जबकि इस दिशा में पूरी इच्छाशक्ति से काम करने की जरूरत है। न्यायिक सुधार की जिम्मेदारी जजों, वकीलों और सरकारों पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि जनता को भी सोचने की जरूरत है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्यायालयों में बढ़ते लंबित मामलों और जजों के खाली पदों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पर सवाल उठाए हैं। राहुल ने शनिवार को इससे संबंधित ट्वीट कर अपनी बात रखी। उन्होंने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन का आदेश खारिज करने वाले जज केएम जोसफ की सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तावित नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। राहुल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और स्थानीय अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित मामले हैं और न्यायालयों में लंबे समय से बड़ी स

उपचुनाव पर भारी राज्यसभा की सफलता

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राज एक्सप्रेस ,  भोपाल । संख्याबल के लिहाज से भाजपा राज्यसभा की सबसे बड़ी पार्टी बन गई है और कुछ क्षेत्रीय दलों की मदद से आसानी से बहुमत के आंकड़े तक पहुंच सकती है। ऐसे में अब भाजपा के सामने उच्च सदन से किसी बिल को पास कराने के लिए पहले जैसी टेंशन नहीं रही। भाजपा और बहुमत के बीच का यह फासला और घटेगा क्योंकि तीन मनोनीत सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है और इनकी जगह नए लोग मनोनीत होंगे। 23 मार्च को संसद की 26 राज्यसभा सीटों के लिए सात प्रदेशों की राज्य विधानसभाओं में चुनाव हुए। वास्तव में राज्यसभा के लिए कुल 17 राज्यों में चुनाव हुए थे। इनमें से 10 राज्यों के 33 प्रत्याशियों को तो निर्विरोध चुन लिया गया और शेष सात राज्यों-उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, झारखंड, केरल, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ से सामान्य प्रक्रिया द्वारा सदस्य चुने जाने थे। इन 17 राज्यों के 58 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल अप्रैल-मई में समाप्त हो रहा है। दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा प्रतिनिधि राज्य है। सात राज्यों में से अकेले उत्तरप्रदेश से 10, पश्चिम बंगाल से पांच, कर्नाटक से चार, झारख

लालू यादव की बढ़ती मुश्किलें

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राज एक्सप्रेस ,  भोपाल । राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav)की परेशानियां और बढ़ गई हैं। चारा घोटाला के दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में रांची की सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को अब तक की सबसे बड़ी सजा सुनाते हुए दो धाराओं में सात-सात साल की सजा सुनाई है। अब सवाल है कि क्या लालू औपचारिक तौर पर पार्टी की कमान तेजस्वी यादव को सौंप देंगे और क्या तेजस्वी अपने पिता लालू की जगह को भर पाएंगे? इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की परेशानियां और बढ़ गई हैं। चारा घोटाला के दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में शनिवार को रांची की सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को अब तक की सबसे बड़ी सजा सुनाते हुए दो धाराओं में सात-सात साल की सजा सुनाई है। साथ ही 30-30 लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। जुर्माना नहीं देने पर एक साल की सजा बढ़ जाएगी। दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी से जुड़े मामले में लालू को विशेष अदालत ने सोमवार को दोषी करार दिया था। इस समय लालू रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं। चारा घोटाले से जुड़े छह मामलों में

नवजातों की मौत पर किया जाए गौर

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राज एक्सप्रेस ,  भोपाल । भारत में नवजातों की स्थिति पर यूनीसेफ की रिपोर्ट (Report on Infant Mortality Rate)चौंकाने वाली है। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान सबसे खराब स्थिति में भले दिखे, भारत कोई बहुत बेहतर स्थिति में नहीं है। इस स्थिति में सुधार के लिए देश में मिशन के रूप में काम करना होगा, ताकि सुधार दिखाई दे। भारत में नवजात बच्चों की स्थिति पर यूनीसेफ की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। इसमें सबसे खराब स्थिति में पाकिस्तान भले दिखे, भारत कोई बहुत बेहतर स्थिति में नहीं है। भारत उन दस देशों में है, जहां नवजात बच्चों की सबसे ज्यादा चिंता करने की जरूरत है। रिपोर्ट चौंकाती है कि लाख जतन के बावजूद नवजात शिशु मृत्यु-दर के मामले में हम बहुत कुछ नहीं कर सके हैं और आज भी बांग्लादेश, इथियोपिया, गिनी-बिसाऊ, इंडोनेशिया, नाइजीरिया, माली, पाकिस्तान और तंजानिया के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं, जिनके बारे में रिपोर्ट बहुत मुखर है कि नवजात का जीवन सुरक्षित करने के लिए सबसे ज्यादा चिंता करने की जरूरत इन्हीं को है। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सबसे ज्यादा जोखिम वाला देश है, जहां प्रति 22 नवजात में से एक अपना