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Showing posts from November, 2017

मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बने आज 12 साल पूरे हो गए, सूबे के सरताज हैं शिवराजसिंह चौहान

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सबका साथ-सबका विकास। सत्ता में रहते हुए हर मजहब के लोगों को न केवल साथ लेकर चलना बल्कि सुख-दुख में बराबर से बिना भेदभाव किए भागीदारी निभाना, यह काम सिर्फ शिवराज सिंह चौहान के बस का है। बतौर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज 12 साल का रिकार्ड कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। जाहिर है उनकी इस उपलब्धि पर देश में उनकी चर्चा हो रही है। मौजूदा राजनीतिक उतार-चढ़ाव के दौर में जब किसी भी मुख्यमंत्री के लिए पांच साल का कार्यकाल बिना विवाद के पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं है तो ऐसी विषम परिस्थिति में शिवराज ने 12 साल मुख्यमंत्री रहते हुए न केवल कांग्रेस के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के रिकार्ड को ध्वस्त किया, बल्कि उन्होंने अपनी अद्भुत कार्यशैली से राजनीति के बड़े पंडितों को भी अचरज में डाल दिया है। 29 नवंबर-2005 को जब शिवराज सिंह चौहान ने 46 वर्ष की आयु में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की शपथ ली थी, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि वे मध्यप्रदेश में इतिहास लिखने जा रहे हैं। नर्मदा किनारे बसे सीहोर के जैतगांव में एक नवंबर-1959 को शिवराज सिंह का जन्म हुआ। पिता प्रेम सिंह चौहान और माता श्रीमती सुंद

दुष्कर्म की सख्त सजा जरूरी, आने वाले दिनों में सुरक्षित समाज की कल्पना साकार हो सकेगी

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मध्यप्रदेश में अब बारह साल की आयु से कम की नाबालिग बालिकाओं से दुष्कर्म और किसी भी उम्र की महिला से सामूहिक दुष्कर्म करने वालों को मृत्युदंड दिया जाएगा। हाल ही में दंड विधि संशोधन विधेयक को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई। महिलाओं व नाबालिग बच्चियों के साथ बढ़ते अपराधों पर कार्रवाई के लिए सख्त कानून के मसौदे को मंजूरी देने वाला यह विधेयक मौजूदा विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा। ऐसे में नाबालिग से रेप और गैंगरेप के आरोपी को मृत्युदंड की सजा देने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा। इतना ही नहीं प्रलोभन देकर शारीरिक शोषण करने पर सजा के लिए 493क में संशोधन करके इसे भी अपराध बनाने का प्रस्ताव किया गया है। महिलाओं के खिलाफ आदतन अपराधी को धारा-110 के तहत गैर जमानती अपराध और जुर्माने की सजा देने के साथ महिलाओं का पीछा करने का अपराध दूसरी बार साबित होने पर कम से कम एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जाएगा। बालिकाओं के साथ होने वाली दुष्कर्म की घटनाओं पर अंकुश लगाने और दोषियों को सख्त सजा देने की बात पर जोर देते हुए राज्य मंत्रिमंडल ने बैठक में यह विधेयक पारित किया है। हाल

मप्र में बच्ची के साथ बलात्कार करने पर फांसी की सजा दी जाएगी, यह सरकार का सराहनीय निर्णय

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रेप और गैंगरेप की घटनाओं को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने कानून में बड़ा संशोधन किया है। कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि अब मप्र में 12 साल तक की बच्ची से किसी ने भी ज्यादती की तो उसे फांसी की सजा दी जाएगी। इसी तरह किसी भी महिला के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना होती है तो भी सारे दोषियों को फांसी पर लटका दिया जाएगा। इससे पहले दंड विधि (मप्र संशोधन विधेयक) 2017 में प्रस्तावित इस संशोधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को सहमति दे दी थी। बलात्कार को हर एक समाज और देश में अपराध माना जाता है। यह अपराध करने वाले को गलती की सजा देने के लिए सभी देशों में अलग-अलग सजा के प्रावधान हैं। इस कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार के निर्णय को रखा जा सकता है। निश्चित रूप से सजा का सख्त प्रावधान किए बिना अपराध और अपराधियों पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। मध्यप्रदेश सरकार के निर्णय के आलोक में देखें, तो सवाल यह भी है कि अब तक बलात्कार के प्रति कड़ी सजा का प्रावधान क्यों नहीं बनाया जा सका। निर्भया गैंगरेप के बाद कानून में भारी बदलाव कर सजा को सख्त बनाने की जो पहल की गई, वह अपराधियों में खौफ पैदा करने

पद्मावती पर चुप न बैठें सरकारें, फिल्म के विरोध का हिंसक होना खतरे की घंटी

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फिल्म पद्मावती के विरोध में हिंसक मोड़ आ गया है। जयपुर के ऐतिहासिक नाहरगढ़ किले की प्राचीर से शुक्रवार सुबह एक युवक का शव लटका मिला। युवक की पहचान चेतन नाम के शख्स के रूप में हुई है। शव के पास कोयले से जगह-जगह पद्मावती का विरोध लिखा है और यह भी लिखा गया है कि हम पुतले जलाते नहीं लटकाते हैं। विरोध का यह तरीका बेहद भयावह है। पद्मावती फिल्म के विरोध का सिलसिला अब देश की सीमा से बाहर विदेशों तक पहुंच चुका है। गुरुवार को ब्रिटेन में फिल्म की रिलीज को हरी झंडी मिलने के बाद वहां रह रहे राजपूतों ने आवाज बुलंद की है। इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने राज्य में फिल्म के प्रदर्शन की बात कही है। सेंसर बोर्ड फिल्म को पास करने की हिम्मत नहीं दिखा रहा है, तो सरकारों को राजपूतों के रूप में बड़ा वोट बैंक नजर आ रहा है। एक फिल्म को लेकर देश में जिस कदर हो-हल्ला मचाया जा रहा है, वह चरम पर है। एक भी चिंगारी नाहरगढ़ किले की घटना की पुनरावृत्ति होने में देर नहीं लगाएगी। सो, हम सजग हो जाएं। फिल्मों या रचनात्मकता पर विवाद नई बात नहीं, लेकिन उनके सामने आने से पहले ही इतने बड़े बव

सरकार ने कहा कि करोड़ों की बचत हुई, लेकिन विपक्ष ने कहा राफेल सौदे का सच सामने आए

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फ्रांस से राफेल विमानों की खरीद के सौदे को बोफोर्स-दो के नाम से प्रचारित कर रहे विपक्ष के सामने सरकार ने दावा किया है कि 12 हजार 600 करोड़ रुपए की बचत की गई है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि इन विमानों को उड़ने की स्थिति में खरीदा गया है। यह भी दावा किया गया है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में इस संबंध में कोई सौदा हुआ ही नहीं था। इससे पहले कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि सौदे की कीमत में तेज इजाफा हुआ है। यूपीए के कार्यकाल में एक विमान को 526 करोड़ रुपए में खरीदने की बात चल रही थी, लेकिन एनडीए सरकार में यह कीमत बढ़कर एक हजार 570 करोड़ रुपए हो गई। वैसे, विमान की खरीद प्रक्रिया यूपीए सरकार ने 2010 में शुरू की थी। वषर्-2012 से लेकर 2015 तक इसे लेकर बातचीत चलती रही। बहरहाल, राफेल पर उठे विवादों की वजह राजनीतिक है। हाल ही में सरकार ने बोफोर्स और अगस्तावेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदों की जांच फिर से कराने की बात कही थी, जिसके बाद कांग्रेस ने भाजपा को जवाब देने की तैयारी की है। ंसंसद का शीतकालीन सत्र बुलाने की जिद पर अड़ा विपक्ष संसद में इसी सौदे के सहारे सरकार को घेरने की तै

अब राहुल गांधी अगले माह कांग्रेस अध्यक्ष बन जाएंगे, आसान नहीं राहुल की राह

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कांग्रेस के भीतर इंतजार की घड़ी खत्म होने की ओर है। अब यह पूरी तरह तय हो चुका है कि अगले माह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी हो जाएगी। अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए एक दिसंबर को अधिसूचना जारी होगी। इसके लिए 4 दिसंबर को नामांकन होगा और 16 दिसंबर को मतदान होगा। अगर मतदान हुआ तो 19 दिसंबर को मतगणना होगी और इसी दिन नाम का ऐलान भी कर दिया जाएगा। वैसे माना जा रहा है कि राहुल गांधी सर्वसम्मति से कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाएंगे। इसकी वजह यह है कि सभी दिग्गज नेता लंबे समय से उनको अध्यक्ष बनाए जाने की मांग करते रहे हैं। ऐसे में कोई अन्य नेता नामांकन दाखिल करेगा, इसकी संभावना बेहद कम है। अध्यक्ष पद पर ताजपोशी के लिए चुनाव प्रक्रिया राहुल गांधी की मंशा के अनुरूप ही हो रही है। दरअसल, वे चाहते हैं कि अध्यक्ष पद पर उनकी ताजपोशी महज सीडब्ल्यूसी के प्रस्ताव के आधार पर ही न कर दी जाए। राहुल संगठन चुनाव की प्रक्रिया के तहत ही अध्यक्ष पद पर अपनी ताजपोशी चाहते हैं। जनवरी-2013 में राहुल गांधी को महासचिव से पार्टी उपाध्यक्ष बनाकर नंबर दो की भूमिका सौंप दी गई थी। उसके एक साल ब

फिल्म पद्मावती के विरोध में अभिनेत्री दीपिक पादुकोण की नाक काटने की धमकी दी, तालिबान की तरफ भारत

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देशभर में भारी विरोध और हंगामे के बाद आखिरकार फिल्म पद्मावती की रिलीज टल गई है, पर जिस तरह विरोध की पराकाष्ठा पार की गई, क्या वह स्वीकार करने योग्य है। रानी पद्मावती के चरित्र की रक्षा को लेकर जिस तरह का प्रपंच रचा गया, उसे हम किस श्रेणी में रख सकते हैं, क्या इस दिशा में कोई विचार करेगा। क्या यह अजीब नहीं है कि महाराष्ट्र पुलिस ने अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को तो विशेष सुरक्षा दी है, मगर जिसने कैमरे के सामने खुलेआम उनकी नाक काटने की धमकी दी है, वह छुट्टा घूम रहा है? हरियाणा के एक भाजपा नेता दीपिका का सिर काटकर लाने वाले को 10 करोड़ रुपए देने का ऐलान कर रहे हैं। कोई भंसाली को जिंदा नहीं छोड़ने की बात कर रहा है, तो कोई देश में बवाल मचाने की धमकी दे रहा है। अब अगर इन सभी धमकियों और बयानों को देखें, तो लगता है जैसे देश को धीरे-धीरे पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसा बनाने की कवायद चल रही है, जहां की अदालतों में नाक-कान काटे जाने के बहुतेरे मामले सुनवाई के वास्ते विचाराधीन हैं। इस तरह की बर्बर घटनाओं से सभ्य कहे जाने वाला यूरोपीय समाज तक बचा नहीं है। अपने यहां गुंडा तत्व बड़े ही गर्व से

शिक्षा अधिकार कानून आज भी उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाया, इससे सबक ले या सफलता

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संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित ऐसा कानून जो देश के छह से 14 वर्ष के सभी बच्चों को नि:शुल्क, अनिवार्य और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की बात तो करता है, पर कानून बनने के सात साल बाद भी उपलब्धियां असरकारक नहीं हैं। सात साल पहले शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) का आना बड़ा कदम था। लेकिन खामियों और इसके क्रियान्वयन में सरकारों की उदासीनता के चलते इसके अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके। यदि आरटीई अपने उद्देश्यों को पूरा कर पाने में असफल साबित हो रहा है तो इसके लिए समाज और सरकार दोनों जिम्मेदार हैं। शिक्षा अधिकार कानून लागू होने के सात साल बाद हमारे सामने चुनौतियों की एक लंबी सूची है। इस दौरान भौतिक मानकों जैसे स्कूलों की अधोसंरचना, छात्र-शिक्षक अनुपात आदि को लेकर स्कूलों में सुधार देखने को मिलता है, लेकिन पर्याप्त व प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी, उनसे दूसरे काम कराया जाना, नामांकन के बाद स्कूलों में बच्चों की रुकावट, बीच में पढ़ाई छोड़ने की बढ़ती दर और संसाधनों की कमी जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। लेकिन सबसे चिंताजनक बात इस दौरान शिक्षा की गुणवत्ता और सावर्जनिक शिक्षा व्यवस्था पर भरोसे में कमी का हो

अपराध के दलदल में फंसते बच्चे को सही रास्ते पर लाने का एक भी उपक्रम हम नहीं कर सके

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रेयान स्कूल के सनसनीखेज प्रद्युम्न मर्डर केस में सीबीआई ने जो खुलासा किया है, वह हैरतअंगेज है। रोज ही नए-नए खुलासे हो रहे हैं। माना जाना चाहिए कि आने वाले दिनों में कई ऐसे राज सामने आएंगे, जो हमारी कल्पना से परे थे। लेकिन सवाल यह भी है कि हमारे बच्चे अपराध के दलदल में जिस तरह फंसते जा रहे हैं, वह क्या सही है? बच्चों में अपराध करने के विचार कहां से आ रहे हैं, हम इस दिशा में कभी सोच पाएंगे? सिर्फ फिल्म और टीवी को ही जिम्मेदार बताकर जिम्मेदारी टालने की जो प्रवृत्ति हमने बना रखी है, वही बच्चों को हिंसक बनाने में काफी हद तक कसूरवार है। बच्चों का अपराध की तरफ जाना आज का किस्सा नहीं है। जुवेनाइल एक्ट का होना बताता है कि अब हिंसा की कोई उम्र नहीं रह गई है। रेयान स्कूल में पढ़ने वाला ग्यारहवीं का छात्र प्रद्युम्न की हत्या का आरोपी है। एक मासूम बच्चे की गला रेतकर की गई हत्या के इस दर्दनाक मामले में आए नए मोड़ से फिर यह सवाल उठा है कि नई पीढ़ी में यह दिशाहीनता और आक्रामकता क्यों आ रही है? आखिर कैसे बच्चे बड़े कर रहे हैं हम? इससे पहले भी स्कूलों में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जो बच्चों में ब

सोशल मीडिया की अर्थहीन बहसें, बेमतलब की बहसों में उलझने से बेहतर कि हम अपना दायरा समझें

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हाल ही में विशाखापत्तनम में एक मानसिक रूप से विमंदित महिला के साथ खुलेआम फुटपाथ पर बलात्कार किया गया। इस शर्मनाक घटना के दौरान लोग उस राह से आते-जाते रहे, वीडियो बनाते रहे। लेकिन किसी ने उस विक्षिप्त महिला की मदद नहीं की। यह वायरल वीडियो समाचार चैनलों की खबर बना। लेकिन आभासी दुनिया में कोई हलचल नहीं दिखी। आभासी दुनिया में मन को उद्वेलित करने वाले इस वाकए को लेकर हलचल न होने से ढेरों सवाल उठना लाजमी है, क्योंकि सोशल मीडिया में अब महिलाओं की समस्याओं एवं शोषण को लेकर सार्थक ढंग से आवाज उठाने के बजाय परंपरा व प्रगतिशीलता का खेल ज्यादा हो रहा है। इन मुद्दों में स्त्री विमर्श की बातें कहीं दबकर रह गई हैं। मुखर हो मन की बात कहने के लिए मिला सोशल मीडिया का मंच अब चयनात्मक टिप्पणियों का अखाड़ा भर बन गया है। अब यहां स्त्री जीवन से जुड़ी समस्याओं से ज्यादा विमर्श पर्व-त्योहारों का उपहास करने और नकारात्मक माहौल बनाने में हो रहा है। विचार साझा करने के इन मंचों पर भाषाई अभद्रता के साथ ही चयनात्मक विचारों की अभिव्यक्ति पूरे माहौल को विद्रूप बना रही है। कभी करवा चौथ को लेकर तो कभी किसी और

दिल्ली के प्रदूषण ने एक बार फिर हमारी सरकारों के चेहरे से नकाब हटा दिया, नाकामी जनता क्यों भोगे?

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अभी कुछ दिनों पहले आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि वर्ष 2015 में प्रदूषण से भारत में 25 लाख मौतें हुई है, तब इस तथ्य पर शायद ही किसी ने गौर किया हो। प्रदूषण हमारे लिए कभी बड़ा मुद्दा रहा ही नहीं। विकास की अंधी दौड़ में हम प्राकृतिक संसाधनों के साथ जिस तेजी से खिलवाड़ करते जा रहे हैं, उसका हश्र अब दिल्ली के रूप में हमारे सामने है। राष्ट्रीय राजधानी का अभी जैसा हाल है, वह सिर्फ और सिर्फ हमारी देन है। बावजूद इसके अभी तक हम सच को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। यह लगातार दूसरा साल है, जब दिल्ली की हवा जहरीली हुई है। हमारे पास संजीदा होने के लिए पूरा एक साल था, मगर न तो सरकार और न ही समाज ने इस दिशा में सोचने का वक्त निकाला। समय के साथ समस्या खत्म हुई, तो सब अपने काम में लग गए। अब जबकि दिल्ली फिर प्रदूषण की गिरफ्त में आई है, तब कुआं खोदने का काम शुरू हो गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली और केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। एनजीटी ने दिल्ली व एनसीआर के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ तीन दिन के भीतर बैठक कर प्रदूषण नियंत्रण के उपाय तलाशने को कहा है। म

सीबीआई ने 11वीं के छात्र को पकड़ा, इससे पहले कंडक्टर को, प्रद्युम्न का असली हत्यारा कौन?

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पिछले माह आरुषि के माता-पिता की रिहाई के बाद सीबीआई की साख पर जो बट्टा लगा था, उसे मिटाने के लिए जांच एजेंसी के पास प्रद्युम्न हत्याकांड बड़ा जरिया था। अब जबकि वह हत्या के असली आरोपी को सामने लाने की बात कह रही है, तो भी उसकी थ्योरी पर यकीन से ज्यादा सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, इन सवालों में सीबीआई द्वारा पकड़े गए 11वीं के छात्र को क्लीन चिट देना नहीं है, लेकिन हरियाणा पुलिस की जांच से अलग जाकर मामले का पटाक्षेप करना आसानी से हजम होने वाली बात भी नहीं है। अगर पूरे मामले को देखें, तो हत्या के ठीक बाद पुलिस ने बस कंडक्टर अशोक कुमार को गिरफ्तार किया था। सीबीआई और हरियाणा पुलिस की थ्योरी पर नजर डालें, तो साफ दिखता है कि दोनों की कहानी एक जैसी है। दोनों में ही चाकू, टॉयलेट, पीड़ित और लगभग परिस्थिति एक जैसी ही है। बस बदला है तो किरदार यानी हत्या का आरोपी। पुलिस बस के कंडक्टर को आरोपी बता रही थी, तो अब सीबीआई स्कूल के 11वीं के छात्र को दोषी मान रही है। गौरतलब है कि दो माह पहले आठ सितंबर को स्कूल के बाथरूम में कक्षा दो के छात्र की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अभिभावकों के विरोध और माता-प