PM नरेंद्र मोदी के भाषण में‘भारत जोड़ो’ नारा एक, लक्ष्य अनेक



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लालकिले की प्राचीर से अपने भाषण में कई मुद्दों को छुआ। महंगाई, जीएसटी, सर्जिकल स्ट्राइक व नोटबंदी से लेकर कश्मीर और तीन तलाक पर भी बोले। प्रधानमंत्री के तौर पर अपने चौथे भाषण के दौरान मोदी ने देश की फिजा में एक नया नारा घोल दिया..‘भारत जोड़ो’। दरअसल, इसी नौ अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन के 75 साल पूरे हुए हैं। उस वक्त ‘भारत छोड़ो’ की जमकर चर्चा हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने उसी तर्ज पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ‘भारत जोड़ो’ का नारा दिया।

प्रधानमंत्री मोदी का यह नारा साफ करता है कि अब देश को एकजुट होना होगा। एक दिव्य और भव्य भारत के सपने को साकार करने के लिए ‘भारत जोड़ो’ नारा भले ही एक है, लेकिन इसके लक्ष्य अनेक है। यानी हम यूं कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री एक तीर से कई निशाने लगाने को तत्पर हैं। तभी तो देश के बिगड़े माहौल पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, यह देश बुद्ध का है, गांधी का है। यहां आस्था के नाम पर हिंसा के रास्ते को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। इसके साथ ही कश्मीरियों को गले लगाने की बात की, तो आतंकियों के खिलाफ सख्ती की बात भी कही। उन्होंने इसके लिए भी एक नारा दिया कि ‘न गाली से, न गोली से बल्कि गले लगाने से कश्मीर में बदलाव होगा।’
नरेंद्र मोदी ने यह नारा उचित समय पर दिया है, क्योंकि बहुत से कश्मीरी नौजवान मुख्यधारा में लौट रहे हैं। उन्होंने कश्मीरियों को ही नहीं, अलगाववादियों एवं आतंकियों को भी संदेश दिया कि भारत की एकता अक्षुण्ण है। इस एकता और अखंडता को जो भी तोड़ने की कोशिश करेगा उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने पाक और आतंकी संगठनों को संदेश दिया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में हम अकेले नहीं हैं। हमें पूरे विश्व का सहयोग मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि सेना ने कश्मीर में इस जनवरी से अगस्त माह तक 100 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया है।
अरसे बाद भारत का चीन से सीमा विवाद नाजुक मोड़ पर है। चीन लगातार युद्ध की धमकी दे रहा है, इन हालात के बीच भी मोदी इस मुद्दे पर भले ही कुछ नहीं बोले, लेकिन उन्होंने खुले शब्दों में कहा कि भारत अपनी रक्षा करने में समर्थ है और आंतरिक सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। चाहे वह हमारा समुद्र हो या सीमा, साइबर दुनिया या अंतरिक्ष सभी तरह की सुरक्षा करने में और शत्रु ताकतों को हराने में भारत सक्षम है। पीओके में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक से दुनिया को हमारी ताकत के बारे में पता चला। मोदी की टिप्पणी भारत और चीन के बीच सिक्किम क्षेत्र के डोकलाम में जारी गतिरोध को लेकर ही आई है। यह गतिरोध भारत-चीन-भूटान के बीच तिराहे को लेकर है, जिससे भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ गया है।
हालांकि, मोदी ने पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा विवाद का कोई उल्लेख नहीं किया, लेकिन उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी दी है। प्रधानमंत्री ने न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए सबको साथ मिलकर काम करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि न्यू इंडिया लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है। लोकतंत्र सिर्फ मत पत्र तक सीमित नहीं। न्यू इंडिया का लोकतंत्र ऐसा होगा, जिसमें तंत्र से लोक नहीं, बल्कि लोक से तंत्र चलेगा। बदला है, बदल रहा है, बदल सकता है..हम इस विश्वास और संकल्प के साथ आगे बढ़ें। मोदी ने अपने भाषण में कहा कि टीम इंडिया के लिए न्यू इंडिया के संकल्प का सही समय यही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सब मिलकर एक ऐसा भारत बनाएंगे, जहां गरीब के पास पक्का घर होगा, बिजली होगी, पानी होगा। उन्होंने इसके लिए सही समय पर काम पूरा करने पर बल दिया। उन्होंने कहा-शास्त्रों में कहा गया है-‘अनियत काला: प्रवृत्तयो विप्लवन्ते’ अर्थात सही समय पर अगर कोई कार्य पूरा नहीं किया, तो फिर मनचाहे नतीजे नहीं मिलते। उन्होंने न्यू इंडिया के लिए सबकी सहभागिता पर जोर दिया और कहा कि कोई छोटा नहीं होता, कोई बड़ा नहीं होता। एक गिलहरी भी परिवर्तन की प्रक्रिया का हिस्सा बनती है। उन्होंने कहा कि साल-2022 तक सामूहिक शक्ति के द्वारा हम देश में परिवर्तन ला सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश को गरीबी से मुक्त कराने के लिए हमारे हर कर्तव्य में राष्ट्रभाव होना चाहिए। इससे परिणाम की ताकत अनेक गुना बढ़ जाती है। पीएम ने कहा कि 21वीं शताब्दी में जन्मे लोगों के लिए 2018 खास है। उन्होंने कहा कि वे सब इस साल 18 वर्ष के हो जाएंगे। वे देश में अपना योगदान दे सकते हैं। अपने 55 मिनट के भाषण में पीएम मोदी ने किसी भी विवादित मुद्दे को नहीं छुआ। तीन तलाक और गोरक्षा जैसे मुद्दों पर परोक्ष या फिर अपरोक्ष तरीके से उन्होंने बात की, लेकिन इसका विस्तार नहीं किया। उनके भाषण में विपक्ष या विपक्षी दलों के नेताओं पर भी कोई तंज नहीं था। पीएम मोदी ने इस बार अपने भाषण में अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाया। अपने भाषण में मोदी ने आर्थिक रिफॉर्म से जुड़ी पहल का जिक्र तो किया, लेकिन महंगाई अथवा रोजगार के घटते अवसरों के मुद्दे को नहीं छुआ।
दरअसल, जॉब की कमी और उद्योग जगत में छंटनी को लेकर पिछले दिनों काफी विवाद हुआ था और विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा भी बनाया था। पीएम मोदी ने हाल में चुनाव सुधार पर आगे बढ़ने का संकेत दिया था। लोकसभा व विधानसभा चुनाव साथ कराने के साथ ही चुनाव फंडिंग को लेकर सुधार लंबित हैं। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि जीएसटी से अब ट्रांसपोर्ट की क्षमता 30 फीसदी तक बढ़ गई है। इतना ही नहीं जीएसटी के बाद चेक पोस्ट खत्म होने से समय की भी काफी बचत हुई है। इससे व्यापार व व्यवसाय में पारदर्शिता भी आएगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने नोटबंदी का भी अपने भाषण में उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद तीन लाख करोड़ बैंकों में आए। उन्होंने कहा कि 18 लाख ऐसे लोगों की पहचान हुई है, जिनकी आय घोषित आय से ज्यादा है। दो लाख करोड़ तक कालाधन बैंकों में जमा हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार देश में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए हजार करोड़ तक दिया जाएगा। प्रधानमंत्री का यह एक अच्छा संकल्प है। रोजगार के मोर्चे पर प्रधानमंत्री ने कोई ठोस टिप्पणी नहीं की, पुरानी बातें ही दोहराईं कि कैसे लोग स्व-निवेश कर रहे हैं और दूसरों को रोजगार दे रहे हैं।
हालांकि, देश की आजादी को 70 साल हो चुके हैं। इन 70 सालों में देश ने तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं। आजादी के तुरंत बाद युद्ध झेला है, तो आजादी के दो दशकों में तीन युद्ध। यह अलग बात है कि भारत ने हमेशा चुनौतियों से निपटने में सफलता पाई, लेकिन कई आज भी सरकार के लिए चुनौती बनकर खड़ी है। इनमें गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, अर्थव्यवस्था में सुधार, विदेशों में जमा कालेधन की वापसी, भ्रष्टाचार से मुक्ति, उच्च शिक्षा में सुधार, स्वास्थ्य, आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ सांप्रदायिकता आदि मुख्य हैं। मोदी को आने वाले दिनों में इस दिशा में सार्थक कदम उठाकर जनता का और अधिक विश्वास जीतना होगा।

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