अब दाऊद को देनी होगी सजा, जब तक इंसाफ पूरा नहीं होगा



मुंबई में 12 मार्च 1993 को सीरियल ब्लास्ट केस में स्पेशल टाडा कोर्ट ने अबू सलेम और करीमउल्ला शेख को उम्रकैद की सजा सुनाई है। उन पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने रियाज सिद्दीकी को 10 साल की सजा सुनाई है, जबकि ताहिर मर्चेट और फिरोज अब्दुल राशिद खान को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 16 जून को इन सभी के साथ मुस्तफा दौसा को भी दोषी ठहराया था, मगर सजा सुनने से पहले ही उसकी मौत हो गई। 1993 में मुंबई में एक के बाद एक 12 बम धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे व 27 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ था। टाडा कोर्ट का यह फैसला मुंबई के लिए सुकूनभरा है और पीड़ितों के घाव पर मरहम का काम करेगा। लेकिन न्याय तो अब भी अधूरा है।
धमाकों का मास्टर माइंड दाऊद इब्राहिम अब तक पकड़ में नहीं आया है, जब तक उसे फांसी पर नहीं लटकाया जाएगा, तब तक इंसाफ पूरा नहीं होगा। वैसे इस मामले में 27 आरोपी अब भी फरार हैं, जिनमें टाइगर मेमन व छोटा शकील भी हैं। अब इन्हें भी पकड़कर भारत लाना होगा और कानून के सामने खड़ा करना होगा, ताकि उनकी करतूत के लिए सजा दी जा सके। बहरहाल, अबू सलेम को सजा सुनाया जाना भी राहत भरा है। सलेम को हमले के लिए गुजरात से हथियार मुंबई लाने-बांटने, साजिश रचने व आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने का दोषी पाया गया है। अपने अपराध के लिए फांसी की सजा से बचने के लिए सलेम को पुर्तगाल के कानून का साथ मिला है। दरअसल, धमाकों के बाद सलेम बचता-फिरता पुर्तगाल पहुंच गया था। 20 सितंबर 2002 को सलेम को उसकी प्रेमिका मोनिका बेदी के साथ इंटरपोल ने लिस्बन, पुर्तगाल में गिरफ्तार किया था। फरवरी 2004 में पुर्तगाल की कोर्ट ने भारत में प्रत्यर्पण किए जाने को मंजूरी दे दी थी। मगर इस शर्त के साथ कि उसे मौत की सजा नहीं दी जाएगी। हालांकि, उसके खिलाफ केस उन्हीं धाराओं में चलाया गया, जिसमें मौत की सजा का प्रावधान है।
अब जबकि सलेम समेत अन्य दोषियों का हिसाब हो गया है, तो बाकी बचे लोगों को भी फांसी पर लटकाना होगा। मुंबईकरों को अगर पूरा न्याय देना चाहते हैं, तो पाकिस्तान में छिपे बैठे दाऊद को भारत लाने के प्रयास तेज करने होंगे। अब तो वैश्विक माहौल भी भारत के पक्ष में है। इस स्थिति का फायदा उठाते हुए भारत को पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए। मुंबई धमाकों में हताहत हुए लोगों की भी यही मांग है कि दाऊद को फांसी पर लटकाया जाए। बहरहाल, हमें इसी विश्वास के साथ जीना होगा कि सरकार एक न एक दिन तो दाऊद को पकड़ कर भारत लाएगी। तब तक अभी आए फैसले को स्वीकार करते हुए जश्न मनाना चाहिए। टाडा कोर्ट का फैसला उन दहशतगर्दो को भी सख्त संदेश है कि अगर उन्होंने भारत की तरफ नजर उठाई तो वे बख्शे नहीं जाएंगे। अब ऊपरी अदालतों से भी इन दहशगगर्दो को राहत कतई नहीं मिलनी चाहिए और ताउम्र जेल की दीवारों के पीछे ही रखा जाना चाहिए।

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