सीबीआई ने 11वीं के छात्र को पकड़ा, इससे पहले कंडक्टर को, प्रद्युम्न का असली हत्यारा कौन?



पिछले माह आरुषि के माता-पिता की रिहाई के बाद सीबीआई की साख पर जो बट्टा लगा था, उसे मिटाने के लिए जांच एजेंसी के पास प्रद्युम्न हत्याकांड बड़ा जरिया था। अब जबकि वह हत्या के असली आरोपी को सामने लाने की बात कह रही है, तो भी उसकी थ्योरी पर यकीन से ज्यादा सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, इन सवालों में सीबीआई द्वारा पकड़े गए 11वीं के छात्र को क्लीन चिट देना नहीं है, लेकिन हरियाणा पुलिस की जांच से अलग जाकर मामले का पटाक्षेप करना आसानी से हजम होने वाली बात भी नहीं है। अगर पूरे मामले को देखें, तो हत्या के ठीक बाद पुलिस ने बस कंडक्टर अशोक कुमार को गिरफ्तार किया था। सीबीआई और हरियाणा पुलिस की थ्योरी पर नजर डालें, तो साफ दिखता है कि दोनों की कहानी एक जैसी है। दोनों में ही चाकू, टॉयलेट, पीड़ित और लगभग परिस्थिति एक जैसी ही है। बस बदला है तो किरदार यानी हत्या का आरोपी। पुलिस बस के कंडक्टर को आरोपी बता रही थी, तो अब सीबीआई स्कूल के 11वीं के छात्र को दोषी मान रही है।
गौरतलब है कि दो माह पहले आठ सितंबर को स्कूल के बाथरूम में कक्षा दो के छात्र की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। अभिभावकों के विरोध और माता-पिता की मांग पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जांच सीबीआई को सौंपी थी। सीबीआई के खुलासे के बाद अब बड़ा सवाल यह है कि हत्यारा 11वीं कक्षा का छात्र है तो क्या अशोक निदरेष है? लेकिन जांच एजेंसी अभी पुलिस की इस थ्योरी को नकार नहीं रही है। जांच एजेंसी ने कंडक्टर को क्लीन चिट नहीं दी है। यानी अभी वह खुद असमंजस में है। सवाल यह भी कि गिरफ्तारी के बाद कंडक्टर अशोक ने अपना जुर्म कबूला था और सिलसिलेवार घटना की जानकारी भी दी थी। ऐसे में अगर वह आरोपी नहीं है, तो फिर उसने किसके कहने पर जुर्म कबूल किया। हालांकि, जब कोर्ट में अशोक की पेशी हुई तो वह हत्या की बात से मुकर गया था। जो भी हो जांच तो इस बिंदु पर भी होनी चाहिए।
सीबीआई और हरियाणा पुलिस की थ्योरी में जमीन-आसमान का फर्क नजर आ रहा है। राज्य पुलिस और सीबीआई की जांच ठीक उसी तर्ज पर जा रही है, जैसे आरुषि हत्याकांड में सबने देखा था। इस हत्याकांड में पुलिस कुछ कह रही थी और बाद में सीबीआई ने कुछ कहा। आज भी यह केस सबसे बड़ी पहेली बनकर हमारे सामने है। मामले से जुड़े कई ऐसे सबूत हैं जो हरियाणा पुलिस के पास भी थे, लेकिन पुलिस का नजरिया उन्हें लेकर अलग था। चाहे वह हत्या के लिए इस्तेमाल किए गए चाकू की बात हो या हत्या के उद्देश्य की। इसके अलावा स्कूल प्रबंधन की भूमिका को लेकर भी दोनों की राय अलग-अलग लग रही है। प्रद्युम्न हत्याकांड की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्कूलों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक गंभीर हो गए हैं। इसलिए मामले का पटाक्षेप करने के चक्कर में सीबीआई कोई ऐसा कदम न उठाए, जिससे उसकी और किरकिरी हो। यदि अब आरोपी छात्र किसी कारणवश बच गया, तो जांच एजेंसी का भरोसा आसानी से नहीं लौट पाएगा।

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