कब सुरक्षित होगा रेल सफर


राजएक्सप्रेस,भोपाल। ओडिशा राज्य के बलांगीर जिले के टिटिलागढ़ स्टेशन पर एक ट्रेन के बिना इंजन के 15 किमी तक दौड़ जाना मानवीय भूल नहीं, बल्कि अक्षम्य लापरवाही है। रेल प्रशासन ने अपने कुछ कर्मचारियों को निलंबित कर लोगों के गुस्से को शांत करने का प्रयास किया जरूर है, मगर आए दिन हो रहे हादसे, यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा में चूक लगातार सवाल उठा रहे हैं। इन सवालों का जवाब तभी मिलेगा, जब यात्रियों का सफर भयरहित बनेगा और यह तब होगा जब कर्मचारी सोएंगे नहीं। कब सुरक्षित होगा रेल सफर (Train Travel)?
रेलवे विभाग की घोर लापरवाही के चलते एक भयंकर हादसा होते-होते बचा। स्टेशन पर खड़ी बिना इंजन की ट्रेन अपने-आप चलने लगी। ढलान होने के चलते ट्रेन ने कुछ ही मिनटों में तेज गति पकड़ ली। पटरी पर दौड़ती बिना इंजन की ट्रेन को देखकर चारों ओर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। लोग हंगामा काटने लगे। साथ ही ट्रेन में सवार सभी यात्री जोर-जोर चिल्लाने लगे। लेकिल पूरे दृश्य को रेल महकमे के अधिकारी असहाय और निष्कर्म बनकर देखते रहे। चलती ट्रेन को कोई रोके भी तो रोके कैसे। मामला ओडिशा राज्य के बलांगीर जिले के टिटिलागढ़ स्टेशन का है।
गत शनिवार को टिटिलागढ़ स्टेशन पर अहमदाबाद-पुरी एक्सप्रेस पहुंची, तो आगे जाने के लिए दूसरा इंजन लगाना था और पहले से लगे इंजन को बदलना था। स्टेशन पर ट्रेन पहुंचने के करीब दस मिनट बाद ही इंजन को बदल दिया गया। लेकिन रेलवे कर्मचारियों ने बदलते वक्त ट्रेन के स्पीड ब्रेक का प्रयोग नहीं किया। गलती से स्पीड ब्रेक को फ्री ही छोड़ दिया। टिटिलागढ़ रेलवे स्टेशन कुछ ढलान पर स्थित है। इस वजह से खड़ी ट्रेन आगे की तरफ जाने लगी। जब तक कोई समझ पाता ट्रेन अपने 22 डिब्बों के साथ आगे बढ़ने लगी।
थोड़ी देर तक तो रेल में सवार यात्रियों को कुछ समझ नहीं आया। धीरे-धीरे ट्रेन की गति तेज हुई, तो यात्रियों के चिल्लाने की आवाजें आने लगी। यात्री बुरी तरह से भयभीत हो गए। जान बचाने के लिए चीखने-चिल्लाने लगे। कुछ यात्रियों ने रेल विभाग की हेल्पलाइन में फोन भी किए। जिस पर हेल्पलाइन वालों ने जवाब दिया कि इसमें हम आपकी सहायता नहीं कर सकते। यह हमारे दायित्व में नहीं है। रेलवे कर्मचारियों ने जब कोई सहायता नहीं की तो कुछ यात्री उसी ट्रेन से कूदकर नीचे आए, पटरी पर पत्थर-लकड़ियां रखकर रोकने का प्रयास किया।
करीब दस मिनट बाद उन्हें सफलता मिली, लेकिन जब तक ट्रेन रुकती तब तक 15 कि.मीटर की दूरी नाप चुकी थी। गनीमत यह रही कि सभी यात्री सुरक्षित रहे। रेल रुकने के बाद रेलवे कर्मचारी वहां पहुंचे और तुरंत इंजन मंगाया उसके बाद गंतव्य के लिए ट्रेन को विदा किया। हालांकि, कर्मचारियों को यात्रियों के गुस्सा का भी सामना करना पड़ा। सरकार रेलवे की दशा सुधारने के लिए हर आधुनिक प्रयास कर रही है। नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। विभाग को हर सहूलियतें और सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। बावजूद विभाग लापरवाही नहीं छोड़ रहा है।
उक्त घटना पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि इसमें विभागीय चूक सामने आई है। उनसे पूछा जाना चाहिए कि जब ट्रेन स्टेशन पर पहुंची तो कर्मचारियों और चालकों ने स्पीड ब्रेक का प्रयोग क्यों नहीं किया। हालांकि, रेलवे विभाग ने मामले को शांत करने के लिए तुरंत आरोपी रेल कर्मचारी कांता खर्सेल व धर्मेद्र निहाल सहित सात को निलंबित कर दिया गया है। भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो, इसके लिए विशेष ध्यान देने के लिए रेलवे डीआरएम जयदेव गुप्ता ने निर्देश दिया है।
रेलवे की सेफ्टी और यात्री सुरक्षा से जुड़े मसलों पर हमेशा से बहस होती आई है, लेकिन रेलवे विभाग अभी तक कोई माकूल उपाय नहीं निकाल सका। यही वजह है कि रेलवे के हादसे लगातार हो रहे हैं। साल 2014-15 में 135 और 2015-16 में 107 रेल हादसे हुए। जबकि 2016-17 में नवंबर 2016 तक 85 रेल हादसे हुए। इसके बाद के ताजा आंकड़े और भयावह हैं। ट्रेनों के ज्यादातर हादसे महकमे की लापरवाही के कारण होते हैं। सरकार की ओर से सुविधाएं मिलने के बाद भी कर्मचारी नहीं चेतते। हर रेलवे हादसे के बाद इसके कारणों को लेकर कई तरह की बातें कही और सुनी जाती हैं।
हादसे के बाद सरकारें जांच के आदेश देती है, हालांकि अधिकतर मामलों में कसूरवार रेलवे महकमा ही होता है। टिटिलागढ़ रेलवे स्टेशन पर बिना इंजन के चली रेल ने रेलवे विभाग के सुरक्षा-सुविधा देने के दावों की पोल खोल दी है। देखिए, भारत की तकरीबन जनमानस की सुगम यात्रा की जिम्मेदारी आज भी रेलवे पर निर्भर है। इसलिए रेलवे की पूरी जिम्मेवारी बनती है कि वह जनता की आकांक्षाओं पर खरा उतरे। बेशक, सरकार ने नए वित्तवर्ष में रेलवे के लिये जो एक लाख 48 हजार 528 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जाने का प्रावधान किया है, जो अब तक का सबसे बड़ा बजटीय आवंटन है।
इससे वह रेलवे में सुरक्षा सर्वप्रथम नीति को लागू करने में सफल रहेगी। मौजूदा केंद्र सरकार डिजिटल सुरक्षा को बढ़ाना चाहती है ताकि उससे निर्बाध रूप से उस पर अमल भी सुनिश्चित किया जा सके। गौर करने वाली बात है कि सरकार ने समूचे रेल नेटवर्क को ब्रॉडगेज में परिवर्तित करने की अप्रत्याशित घोषणा की है, जिस पर रेल बजट का बड़ा हिस्सा खर्च किया जाएगा, ताकि रेल यात्र सुगम और निरापद रह सके।
सरकार रेलवे सुरक्षा पर कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही। केंद्र सरकार ने मौजूदा अपने बजट में 2017-18 के लिए रेल नेटवर्क को और मजबूत करने साथ रेल यात्रियों की सुरक्षा पर विशेष पहल की तस्वीर पेश की है।

करीब दो हजार करोड़ रुपए का सुरक्षा कोष, नई पटरियां बिछाने और सभी स्टेशनों के पुनर्विकास और उनका आधुनिकरण करने पर जोर दिया है। रेल दुर्घटनाओं या फिर पटरियों से उतरने की कई घटनाओं के बाद एक लाख करोड़ रुपए के सुरक्षा कोष का अलग से प्रावधान करना रेल सुरक्षा के हित में माना गया है, लेकिन इस बात से लगभग सभी वाकिफ हैं कि घटनाएं थमी नहीं, जिससे लोग हमेशा सशंकित रहते हैं। केंद्र सरकार अपना काम कर देती है लेकिन महकमा अपना कर्तव्य ठीक से निर्वाह नहीं करता। टिटिलागढ़ रेलवे स्टेशन की घटना बड़ा रूप ले सकती थी अगर समय रहते यात्री अपने प्रयास से उसे न रोक पाते।
शिकायत और फोन करने बाद भी रेलवे विभाग के लोग सतर्क नहीं हुए। सभी मूकबधिर बनकर हादसा होने का इंतजार करते रहे। विभाग की इसे घोर लापरवाही ही कही जाएगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाने की दरकार है, ताकि आगे से ऐसी घटना न घट सके। इस तरह की घटनाएं यात्रियों में भय पैदा करती हैं और रेलवे के प्रति विश्वसनीयता कम करती हैं। जिस तरह से यह घटना सामने आई है, वह पहली नहीं है। इससे पहले भी इस तरह के हादसे हो चुके हैं और कार्रवाई भी हो चुकी है। बावजूद इसके इस तरह की घटनाओं पर रोक नहीं लगी।
टिटिलागढ़ मामले में भी रेलवे ने कार्रवाई करते हुए सात को सस्पेंड कर दिया है, मगर इस कार्रवाई से यह संकेत नहीं मिल रहा कि आगे से ऐसा नहीं होगा। कायदे से होना यह चाहिए कि किसी बड़े अफसर पर कार्रवाई की गाज गिरे और रेल महकमा कोई ऐसा प्लान दिखाए, जो लोगों में व्याप्त भय दूर कर सके। आज देशवासियों के लिए परिवहन का सबसे बड़ा पहला साधन ट्रेन है, लेकिन वे यात्रा भयमुक्त हो नहीं कर पा रहे हैं। रेलवे की प्राथमिकता यही होनी चाहिए कि वह लोगों का भरोसा जीते।

रमेश ठाकुर (वरिष्ठ पत्रकार)

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