पंजाब नेशनल बैंक में हुए घोटाले के बाद अपनी जिम्मेदारी समझें सभी बैंक




पंजाब नेशनल बैंक में हुए घोटाले की परतें रोज खुल रही हैं। घोटाले को लेकर जांच एजेंसियों द्वारा किए जाने वाले खुलासे किसी को भी हैरत में डालने वाले हैं। इसी बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी कर बैंकों की असलियत से पर्दा उठाया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हर एक घंटे में चार बैंक कर्मचारी फ्रॉड करते हुए पकड़े जाते हैं। एक जनवरी 2015 से 31 मार्च 2017 के बीच सरकारी बैंकों के पांच हजार 200 कर्मचारियों को धोखाधड़ी के लिए दंडित किया गया है। आरबीआई के दस्तावेजों में कहा गया है, इन कर्मचारियों को दोषी पाया गया है और पेनाल्टी भी लगाई गई है, जिसमें सेवा से बर्खास्तगी तक भी शामिल है। केंद्रीय बैंक अप्रैल 2017 के बाद के आंकड़े जुटा रहा है। बैंक के कर्मचारियों का इस तरह से फ्रॉड में शामिल होना निश्चित रूप से सही नहीं है। बैंक ही वह स्थान है, जहां लोग अपने पैसों को लेकर निश्चिंत रहते हैं। माना कि बैंक में जमा पैसा लाख घोटालों व फर्जीवाड़ों के बाद भी सुरक्षित है, लेकिन इस तरह की खबरें मन को विचलित करती जरूर हैं।
पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रीच कैंडी शाखा में 11 हजार 360 करोड़ रुपए के घोटाले के बाद करोड़ों आम खाताधारक स्तब्ध हैं और वह अपने पैसे को सुरक्षित जगह रखने के लिए फिर से सोचने को मजबूर हो गए हैं। लेकिन सवाल यह भी है कि बैंकों से ज्यादा दूसरी सुरक्षित जगह कोई और है? अगर नहीं है, तो यह बैंकों की जिम्मेदारी नहीं बनती है कि वे अपने ग्राहकों का भरोसा बनाए रखें और ऐसा कोई काम न होने दे, जिससे बैंक और देश की साख पर बट्टा लगे। मगर पीएनबी के मामले में ऐसा ही हुआ है। माना कि घोटाला कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से एक-दो लोगों ने किया, मगर इस मामले के सामने आने के बाद देश की साख पहले जैसी नहीं रह गई है। आज देश और दुनिया में नीरव मोदी के कारनामों के अलावा कोई दूसरी चर्चा नहीं है। अगर थोड़ी सी सजगता दिखाई गई होती, तो इस परिस्थिति से बचा जा सकता था। पीएनबी घोटाले के बाद देश में राजनीतिक माहौल भी काफी गरम है। सत्ता पक्ष और विपक्ष आरोप लगाने में जुटे हैं। बावजूद इसके आंकड़े बताते हैं कि सरकारी बैंकों के साथ ही सबसे ज्यादा फ्रॉड होते रहे हैं।
आम लोग अपने पैसे निजी बैंकों की तुलना में सरकारी बैंकों में जमा करने को तरजीह देते रहे हैं, लेकिन इंडिया स्पेंड की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि कुछ सालों में सरकारी बैंकों के साथ फ्रॉड के मामले सबसे ज्यादा हुए हैं। 21 सरकारी बैंकों में शीर्ष पांच पायदान पर सरकारी बैंक ही हैं। दर्ज मामलों को संख्या के आधार पर देखें तो आठ हजार 168 केसों में एसबीआई के साथ दो हजार 466 फ्रॉड हुए। बैंक ऑफ बड़ौदा, सिंडिकेट बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के साथ क्रमश: 782, 552 और 527 मामले सामने आए। इसमें से एक हजार 714 मामलों में बैंक के कर्मियों की मिलीभगत रही। अत: बैंकों की जिम्मेदारी है कि वे अपना दामन बचाकर रखें।

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