ट्रंप-किम के मिलन पर टिकी निगाहें


राजएक्सप्रेस, भोपाल। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump)से उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग (Kim jong)की मुलाकात की जमीन चीन में तैयार हो गई है। दोनों नेताओं की मुलाकात पर पूरी दुनिया की निगाह टिकी है। देखना होगा कि ट्रंप अपनी मंशा के मुताबिक किम जोंग को किस हद तक दबाव में रखेंगे।
जब अमेरिका (USA) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और उत्तर कोरिया के तानाशाह नेता किम जोंग उन (Kim Jong Un) एक साथ दुनिया के सामने आएंगे, तब वह नजारा सदी का सबसे अनोखा होगा। दुनिया को लगभग तीसरे विश्व युद्ध के दरवाजे तक ला चुके दोनों नेता अब एक-दूसरे से मिलने को तैयार हुए हैं, तो यह कम दिलचस्प नहीं है। ट्रंप और किम जोंग के बीच वार्ता की जमीन तैयार हो गई है। चीन ने इसे तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है। हालांकि, बातचीत का जो खाका ट्रंप दुनिया के सामने पेश कर रहे थे, वह पिछले दो दिनों में अचानक बदल गया है।
ट्रंप उत्तर कोरिया का ईरान जैसा नि:शस्त्रीकरण कराना चाहते थे, जबकि चीन का रुख उत्तर कोरिया के रुख पर मुहर लगाने का है, जिसके मुताबिक जब तक दक्षिण कोरिया में अमेरिकी फौजों की मौजूदगी समाप्त नहीं की जाती और दोनों देशों के बीच साझा फौजी अभ्यास बंद नहीं होते, तब तक वह नि:शस्त्रीकरण के नाम पर सिर्फ इतना ही कर सकता है कि नए एटमी और मिसाइली परीक्षणों पर रोक लगा दे। हालांकि, चीन में किम ने परमाणु प्रसार बंद करने का भरोसा दिया है, मगर उनकी जैसी फितरत है, उसके मुताबिक कुछ भी संभव है।
संभव तो यह भी है कि वे एक और परीक्षण करके ही ट्रंप से मिलें। इस तरह ऊपरी स्तर पर सारा मामला दुरुस्त है, लेकिन नीचे खेल बदल गया है। किम जोंग उन की चीन यात्रा के बाद चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक निजी संदेश में ट्रंप को इस दौरे के बारे में जानकारी दी है। अगला कदम ट्रंप और उन की मुलाकात का कार्यक्रम तय करने का हो सकता है, बशर्ते ट्रंप इस मुलाकात के मकसद को लेकर आश्वस्त हों। इस यात्र का घोषित उद्देश्य उत्तर कोरिया से चीन के द्विपक्षीय संबंध सुधारना था, जो पिछले कुछ समय से पटरी से उतर गया था।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन चीन ने भी किया था और उत्तर कोरिया को तेल और अन्य ईंधनों की आपूर्ति रोक दी थी, जिसके चलते पहले से ही तमाम अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध झेल रहे किम जोंग उन के लिए भारी मुश्किलें खड़ी हो गई थीं। अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर उनके रुख में बदलाव का यह काफी बड़ा कारण था।चीन के बगैर किम का एक कदम भी आगे बढ़ना आसान नहीं है। इसीलिए वह भागे हुए चीन पहुंचे और वहां परमाणु प्रसार को रोकने का अपना संकल्प दोहराया।
लेकिन अमेरिका ने हाल में जिस तरह चीन के खिलाफ व्यापारिक प्रतिबंध लगाए हैं, उसे देखते हुए चीन की भी यह मजबूरी बन रही है कि वह अमेरिका को अपने नुकीले दांत दिखाए। यह काम उसने किम जोंग उन को शानदार राजकीय आतिथ्य देकर संपन्न कर दिया है। ऊपरी तौर पर उसने किम जोंग उन को वार्ता के लिए तैयार करके अपना फर्ज निभा दिया है। अब जब ट्रंप और किम मिलेंगे, तब क्या होगा, इसे लेकर सभी देश उत्सुक हैं। उम्मीद है कि सब कुछ बेहतर ढंग से निपटेगा।

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