वो सिर्फ हिंदू नहीं इंसान भी हैं


राज एक्सप्रेस,भोपाल।पाकिस्तान में पीढ़ियों से रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें चिंता पैदा करने वाली हैं। हिंदुओं पर अत्याचार अब आम बात होती जा रही है। पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार (Plight of Hindus in Pakistan)को लेकर भारत सरकार ने कई बार पड़ोसी मुल्क से बात की है, मगर उसका रवैया नहीं बदला है। हिंदुओं पर अत्याचार रोकने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे। सरकार जिस तरह से आतंक के मसले पर पाकिस्तान पर दबाव बना रही है, ठीक उसी तरह इस मुद्दे पर भी सख्ती दिखानी होगी।
पाकिस्तान में हिंदुओं पर धर्म परिवर्तन करने का दबाब बनाया जा रहा है। राजस्थान से डिपोर्ट हुए हिंदू परिवार पाकिस्तान में मुस्लिम धर्म अपनाने को मजबूर हो रहे हैं। कारण साफ है मुस्लिम नहीं, तो जीना मुहाल। बहू-बेटियों की इज्जत से लेकर जान माल तक सब खतरे में। पाकिस्तान ही नहीं विश्व के कई अन्य मुस्लिम देशों में हिंदुओं की स्थिति ठीक नहीं है। उन पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं, और उनसे जबरदस्ती धर्म परिवर्तन भी कराए जा रहे हैं। पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ जो हो रहा है वह अब किसी से नहीं छिपा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति दिन पर दिन खराब होती जा रही है। दशा इतनी खराब हो गई है कि आए दिन किसी न किसी हिंदू परिवार का एक सदस्य इस्लामिक कट्टरपंथियों का शिकार बनता है। बलात्कार और जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाओं में पिछले 4-5 वर्षो में इजाफा हुआ है।
यही कारण है कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदू समाज के लोग विभिन्न क्षेत्रों से या तो सुरक्षित स्थानों की ओर या फिर भारत की ओर पलायन कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि इन हालात का खुलासा मीडिया या अखबारों से पढ़ने को मिल रहा हो, हमेशा आतंक के साए में जीने को मजबूर हिंदू समाज से जुड़ी इस सच्चाई का खुलासा खुद पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी किया था। रिपोर्ट के अनुसार, 2010 में ‘ओरकजाय’एजेंसी नामक इलाके से 102 सिख परिवारों में से करीब 25 प्रतिशत लोगों ने तालिबान के फरमान के बाद अपना घर छोड़ दिया था। सभी घटनाओं में पुलिस प्रशासन का रवैया भी उनके प्रति भेदभावपूर्ण रहा है। पाकिस्तान की अल्पसंख्यक मामलों की स्थायी समिति ने अक्टूबर 2010 में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस उपाय करने की अपील की थी, लेकिन सरकार हमेशा कट्टरपंथियों का साथ देती नजर आई।
पूरे पाकिस्तान में सिर्फ दो जिले ऐसे है जहां हिंदू आबादी 40 फीसदी से ऊपर है। पाकिस्तान के हिंदुओं की शिकायत रहती है कि भारत सरकार उनके मामले को पाकिस्तानी सरकार के साथ उठा नहीं रही है। पाकिस्तान का हिंदू समुदाय अक्सर भारत में अपने वीजा का समय बढ़ाने और भारतीय नागरिकता देने की मांग करता है। अकेले बलूचिस्तान से करीब 500 हिंदू परिवारों ने अपना घर बार छोड़कर पलायन कर दिया है। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि हिंदू परिवार की लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। इसके लिए कट्टरपंथी पहले हिंदू लड़कियों का अपहरण करते हैं, और फिर उनके साथ बलात्कार करते हैं। अपहरण के 90 फीसदी मामलों में लड़कियों के साथ बलात्कार अवश्य किया जाता है फिर लड़कियों पर मुस्लिम बनने का दबाव डाला जाता है। पाकिस्तान के मानवाधिकार की मानें तो ऐसे मामलों में वहां की स्थानीय अदालतें भी न्याय नहीं देतीं।
अधिकतर मामलों में अदालतें कट्टरपंथियों के सामने झुक जाती हैं। इस तरह की घटनाएं विशेष रूप से पाकिस्तान के व्यापारिक शहर कराची में हो रही हैं। जहां पर मौजूदा समय में 80 हजार से भी कम हिंदू बचे हैं, जबकि 1998 की जनगणना के अनुसार कराची की आबादी 98 लाख 56 हजार 318 थी, जिसमें 96 फीसदी आबादी मुस्लिम थी। 90 फीसदी जिले ऐसे हैं, जहां हिंदू आबादी एक फीसदी से भी कम है। उमरकोट में सबसे अधिक हिंदू आबादी रहती है तीन लाख। वर्तमान में पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग 25 लाख है जबकि कुल आबादी 13 करोड़ है। सिंध और बलूचिस्तान कभी हिंदू बहुल क्षेत्र माने जाते थे। मगर तालिबानी कहर और धार्मिक कट्टरवाद के चलते यहां से भी उनका लगभग सफाया हो गया। बीते तीन वर्षो में क्वेटा सहित कई व्यावसायिक क्षेत्रों में कई हिंदू व्यापारियों का अपहरण करके हत्या की घटनाएं हुई हैं।
1947 में हिंदुओं की जनसंख्या 20 फीसदी तक थी लेकिन छह दशकों में वहां के मुस्लिम हिंदुओं पर बकासुर की तरह टूट पड़े और आज यह हालत है कि हिंदू जनसंख्या 1.6 फीसदी है, जबकि भारत में देखें तो सन् 1951 के बाद हिंदू जनसंख्या तो 9 प्रतिशत घट गई, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 3 प्रतिशत बढ़ गई है। देश के 40 जिले 50 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाले हैं। जम्मू-कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्य जबरदस्त मुस्लिम आबादी वाले राज्य हैं। बांग्लादेश से लगे सभी 10 जिले और 22 लोकसभा क्षेत्र मुस्लिम बहुल हो गए हैं। असम के छह जिले तथा 126 में से 40 विधान सभा क्षेत्र मुस्लिम प्रभुत्व वाले बन गए हैं। पश्चिम बंगाल के 28 हजार गांवों में से 8 हजार गांवों में हिंदू अत्यंत अल्प संख्या में हैं तथा 10 जिले 24 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले बन चुके हैं।
उत्तरप्रदेश के 70 में से 19 जिले 20 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले हैं। हरियाणा की मुस्लिम जनसंख्या तीन गुनी हो गई है। जम्मू-कश्मीर के 7 जिले 90 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाले हैं। संपूर्ण केरल में मुस्लिम जनसंख्या 19.2 प्रतिशत हो गई है। देश की राजधानी दिल्ली में साल 1951 में मुस्लिम जनसंख्या 5.71 प्रतिशत थी जो अब 11.72 प्रतिशत हो गई है। अर्थात दोगुनी। उत्पीड़न की बड़ी घटनाओं के चलते पाकिस्तान से आए हिंदू पुन: पाकिस्तान नहीं गए। वे पुन: पाकिस्तान जाकर भी क्या करेंगे। पाकिस्तान में भी कई नेताओं ने अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न की बात स्वीकार की है। हिंदुओं की समस्या को लेकर न तो उन्होंने कभी पाकिस्तान सरकार से शिकायत की और न ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस मसले को उठाया। इस मामले को पुरजोर तरीके से पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक स्तर पर उठाना चाहिए।
भारत को इस समस्या को नए परिप्रेक्ष्य में देखकर रणनीति बनानी होगी। पाकिस्तान से आए इन अल्पसंख्यक परिवारों को भारत में शरणार्थी का दर्जा दिया जाना चाहिए। जो परिवार अब भी पाकिस्तान में बचे हैं उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार पाकिस्तान पर दबाव बनाए। आखिर पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों की जिम्मेदारी पाक सरकार की है जो उन्हें उठानी ही चाहिए। पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर भारत सरकार ने कई बार पड़ोसी मुल्क से बात की है, मगर उसका रवैया आज तक नहीं बदला है। पाक में हिंदुओं पर अत्याचार बिल्कुल आतंकवाद जैसा है।
वर्षो से रह रहे लोगों पर जब कट्टरपंथियों का हमला होता है, तो वे न तो भाग सकते हैं, और न ही रह सकते हैं। पाकिस्तान में यातना भोगकर पुन: भारत लौटे लोगों की दास्तान सुनें, तो पता चलता है कि वहां के हालात क्या हैं। पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार रोकने के लिए सरकार को अब कड़े कदम उठाने होंगे। सरकार जिस तरह से आतंक के मसले पर पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बना रही है, ठीक उसी तरह इस मुद्दे पर भी सख्ती दिखानी होगी, क्योंकि पड़ोसी मुल्क में यातना भोग रहे लोग भी तो अपने ही हैं।

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