अब विवाद छोड़ें एलजी व सीएम


राजएक्सप्रेस, भोपाल। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने दिल्ली के बॉस पर फैसला सुनाते हुए केजरीवाल और एलजी (LG Vs Delhi Government)दोनों को उनके अधिकारों की याद दिलाई है। अब जबकि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली का बॉस कोई नहीं है, तो प्रतिष्ठा का लड़ाई पीछे छोड़ काम पर ध्यान हो।
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच 2015 से ही चली आ रही अधिकारों की जंग को लेकर आज देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले से उलट सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को भी कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा। सरकार बनाम उपराज्यपाल के बीच विवाद जगजाहिर है। हर मामले में दिल्ली सरकार उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार पर हमला करती रही है। हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 में दिए फैसले में स्पष्ट कर दिया था कि दिल्ली देश की राजधानी है और केंद्र शासित होने के चलते उपराज्यपाल ही दिल्ली के बॉस हैं। उनकी अनुमति जरूरी है। इस फैसले के बाद अधिकांश मामले में दिल्ली सरकार के पर कट गए और उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार के बीच विवाद बढ़ता गया। अब जबकि फैसला आ गया है, तो आम आदमी पार्टी और आक्रामक रुख अख्तियार करेगी।
वैसे, सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को कुछ राहत दी है तो तगड़े झटके भी दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मुमकिन नहीं है। सर्विसेज और एसीबी के मामले में भी सरकार की नहीं चलेगी। मतलब केजरीवाल दिल्ली में किसी भी कर्मचारी की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर सकते। केंद्र सरकार दिल्ली में कर्मचारियों के स्थानांतरण के फैसले पर अपना हक जताती है। केजरीवाल इसका शुरू से विरोध कर रहे हैं। कोर्ट ने सरकार के साथ एलजी को भी मर्यादा और सीमा में रहकर काम करने की नसीहत दी है। अब  उपराज्यपाल याद रखें दिल्ली की सरकार जनता की चुनी हुई सरकार है। विधानसभा के फैसलों के लिए उपराज्यपाल की सहमति जरूरी नहीं है। कैबिनेट के साथ मिलकर दिल्ली के उपराज्यपाल काम करें। एलजी का काम दिल्ली सरकार के हर फैसले पर रोकटोक करना नहीं है। उपराज्यपाल सिर्फ सरकार को सलाह दे सकते हैं, बाध्य नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस दृष्टि से भी अहम है कि कभी एसीबी पर अधिकार को लेकर झगड़ा तो कभी मोहल्ला क्लीनिक और राशन डिलीवरी स्कीम का विवाद। जब से केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में आए हैं, यह आरोप सुनने को मिलता रहता था कि उपराज्यपाल उन्हें काम करने नहीं दे रहे हैं। अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों को लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है, तो मानना होगा कि अब विवाद पीछे छूट जाएगा और दोनों दिल्ली के विकास के लिए मिलकर काम करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अराजकता शब्द का भी जिक्र किया है। पिछले दिनों जिस तरह से केजरीवाल अपने मंत्रियों समेत एलजी के घर धरने पर डट गए थे, उसे सुप्रीम कोर्ट ने भी सही नहीं माना है। अब केजरीवाल और एलजी को चाहिए कि दोनों सहमति के साथ मुद्दों को हल करें ताकि दिल्ली की जनता को दिक्कतें न उठानी पड़े।

Comments

Popular posts from this blog

झंडे की क्षेत्रीय अस्मिता और अखंडता

नेपाल PM शेर बहादुर देउबा का भारत आना रिश्तों में नए दौर की शुरुआत

देश में जलाशयों की स्थिति चिंतनीय, सरकार पानी की बर्बादी रोकने की दिशा में कानून बना रही है